केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा पर पूरी तौर पर ध्यान दिया जाता रहा है। वे प्रधानमंत्री की सुरक्षा पर माओवादी साजिश के अंदेशे पर बोल रहे थे। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने शुक्रवार आठ जून को जानकारी दी थी कि दो दिन पहले गिरफ्तार किए गए एक व्यक्ति के पास से इस आशय का एक पत्र मिला है। कांग्रेस ने मांग की है कि साजिश के इस दावे की पूरी तौर पर जांच की जाए।
उधर महाराष्ट्र की पुणे पुलिस ने दावा किया है कि उन्हें एक ई मेल मिला है जिससे इस साजिश का पता चलता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राजीव गांधी की हत्या की घटना की ही शैली में खत्म करने की माओवादी योजना रही है। इस दावे के कुछ ही समय के अंदर भाजपा ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वह माओवादी साजिश पर कतई गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं जो हिंसा के जरिए देश में अस्थिरता लाना चाहते हैं। उधर भाजपा के प्रमुख नेता और देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि माओवादी फिलहाल हारी हुई लड़ाई लड़ रहे हैं। जल्दी ही यह खत्म होगी।
जम्मू में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि हम अपने प्रधानमंत्री की सुरक्षा को लेकर बराबर गंभीर रहते हैं। जहां तक माओवादियों की बात है उनके बारे में कहना चाहूंगा कि इस समय वे एक हारी हुई लड़ाई लड़ रहे है। माओवादी हिंसा लगातार कम हुई है। इसमें 85 फीसदी कमी आई है। पहले 135 जिलों में इनका प्रभाव था। अब यह घट कर 90 जिलों में हैं। इनमें भी दस में ये ज्य़ादा सक्रिय है। इस उग्रवाद का समापन हो रहा है। जैसे उत्तर-पूर्व में इसका समापन हुआ।
गुरूवार (7 जून) को कथित माओवादी संगठनों से संपर्क रखने वाले पांच लोगों को पुणे पुलिस ने जिला अदालत में उन्हें हिरासत में रखने के लिए पेश किया गया था। जिले के सरकारी वकील उज्जवला पवार ने बिना मोदी का नाम लिए अदालत में कहा था कि इन पांच लोगांं में किसी के लैपटॉप में राजीव गांधी टाइप घटना का जि़क्र आता है। जिन लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया है वे हैं एल्गार परिषद के सुधीर ढावले। वे मुंबई में रिपब्लिकन पैंथर्स जाति अवताची चालवाल (आरपी), दिल्ली स्थित कमेटी फार रिलीज ऑफ पॉलिटिकल प्रिज़नर्स (सीआरपीपी) नागपुर स्थित इंडियन एसोसिएशन ऑफ पीपुल्स लॉयर्स (आईएपीएल) के वकील सुरेंद्र गाडलिंग और नागपुर विश्वविद्यालय की प्रोफेसर शोभा सेन, और प्रधानमंत्री की ग्रामीण विकास (पीएमआरडी) के फेलो रहे महेश राउत। पुलिस का आरोप है कि ये पांचों लोग 31 दिसंबर 2017 को पुणे में शनिवारबड़ा में एल्गार परिषद की ओर से हुई सभा में हुए भाषणों में भी शरीक हुए थे। इसके बाद ही पहली जनवरी को भीमा कोरेगांव के युद्ध की 200वीं बरसी में हिंसा हुई।
भाजपा के नेतृत्व में केंद्र में सरकार चला रही एनडीए में सामाजिक न्याय के राज्यमंत्री रामदास अठावले ने सात जून को इन गिरफ्तारियों पर कहा था कि दलित अधिकारों की रक्षा के लिए लडऩे वाले दलित कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी अनुचित है। उन्होंने कहा कि पुलिस को भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा पर हिंदू नेता संबाजी भिडे की भूमिका की पड़ताल करनी चाहिए। पहली जनवरी को भीमा कोरेगांव हिंसा के मामले में पुलिस को किसी दलित को गिरफ्तार नहीं करना चाहिए था। अंबेडकर के आदर्शों के लिए आंदोलन करने वाले कार्यकर्ताओं को नक्सली बता कर उन पर कानूनी कार्रवाई करना अनुचित है।
महाराष्ट्र पुलिस ने पहले ऊँ ची जाति के नेता संबाजी भिडे और मिलिंद एकबोटे को पहली जनवरी 2018 को भीमा कोरेगांव युद्ध की 200 वीं बरसी पर हुए आयोजन में हिंसा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया था। लेकिन अब जांच करने वाली एजंसियों ने जांच का रु ख अचानक बदल दिया है और शहरी माओवादी समर्थकों में पांच की गिरफ्तारी की। इसके बाद नए-नए खुलासे हो रहे हैं।
अठावले के अनुसार वे यह नहीं समझ पा रहे हैं कि एल्गार परिषद और भीमा कोरेगांव हिंसा में क्या संबंध है जिसे पुलिस अब आपस में जोड़ रही है। मैं मानता हूं कि कानून से बड़ा कोई नहीं है। अपने एक भाषण में संबाजी भिडे ने कहा, ‘सर्वधर्म समभावÓ कुछ नहीं होता। यह बात संविधान विरोधी है। पुलिस क्यों नहीं उस पर कार्रवाई करती। समाज में विवाद पैदा करने वाले भाषण पर कार्रवाई होनी चाहिए। संबा जी भिडे पर कार्रवाई करनी चाहिए।