शैलेंद्र कुमार ‘इंसान’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में तीन देशों की छ: दिवसीय यात्रा की। सबसे पहले वह जापान गये। वहाँ जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के निमंत्रण पर उन्होंने हिरोशिमा शहर में उन्होंने जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लिया, जिसमें 14 प्रशांत द्वीप देश शामिल थे। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पापुआ न्यू गिनी पहुँचे, जहाँ इस देश के उनके समकक्ष जेम्स मरापे ने पैर छुए तथा अपने देश का सर्वोच्च सम्मान दिया। यहाँ उन्होंने फोरम फॉर इंडिया-पैसिफिक आइलैंड्स को-ऑपरेशन के तीसरे शिखर सम्मेलन में भी भाग लिया। इसके बाद मोदी ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री अल्बनीस के निमंत्रण पर सिडनी पहुँचे। ऑस्ट्रेलिया की यात्रा के दौरान उन्होंने द्विपक्षीय बैठक की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्रा कोई नयी बात नहीं है। नयी बात यह है कि वह हर बार विदेश यात्रा के दौरान कुछ-न-कुछ ऐसा नया करते हैं, जिससे उनकी पीठ थपथपायी जा सके तथा देश में उनके विरोधियों को यह संदेश दिया जा सके कि देखो, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसा दुनिया में कोई दूसरा प्रभावशाली नेता न तो हुआ है तथा न ही हो सकता है। इसके लिए बिकाऊ मीडिया अपनी चाटुकारिता के पूरे ज़ोर लगा देता है तथा वही दिखाया जाता है, जो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं।
पहली बार प्रधानमंत्री बनने के बाद जब प्रधानमंत्री मोदी कुछ देशों की यात्रा पर गये, तब उन्होंने भारत में निवेश के लिए विदेशी उद्योगपतियों को मनाने की हर सम्भव कोशिश की। भारत लौटकर इस बात को बड़े गर्व से कहा भी कि विदेशी निवेश से भारत में रोज़गार बढ़ेगा तथा देश को आर्थिक मज़बूती मिलेगी। परन्तु इस बार उन्होंने विदेश जाकर दुनिया के सामने आने वाली चुनौतियों, जलवायु परिवर्तन, रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने के लिए मदद जैसे मुद्दों पर बातचीत की; विदेश यात्रा का कोई ज़िक्र नहीं किया, सीधे राजदंड के मुद्दे में देश को उलझाने की कोशिश में लग गये तथा नये संसद भवन का उद्घाटन किया।
प्रधानमंत्री की विदेश यात्रा का भारतीय व्यापारी मीडिया ने जिस तरह से उनका महिमामंडन किया, उसके उलट कुछ तथ्य थे, जो मीडिया ने नहीं दिखाये। पहला यह आस्ट्रेलिया ने बीबीसी लंदन द्वारा जारी प्रधानमंत्री की डाक्यूमेंट्री को अपने संसद भवन में दिखाया। दूसरा आस्ट्रेलिया ने भारत के पाँच राज्यों के छात्रों को अपने यहाँ शिक्षा लेने से प्रतिबंधित कर दिया। यह सब उसी दौरान हुआ, जब प्रधानमंत्री आस्ट्रेलिया गये। व्यापारी मीडिया ने यह भी नहीं दिखाया कि मोदी की इस यात्रा पर कितना अधिक पैसा ख़र्च हुआ। विदेश मंत्रालय ने यात्रा के बाद ट्वीट किया कि एक्शन से भरपूर यात्रा का समापन! प्रधान भागीदारों के साथ दो दिनों के गहन द्विपक्षीय तथा बहुपक्षीय सम्बन्धों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान की अपनी यात्रा समाप्त की।
इसके बाद इसी तरह प्रधानमंत्री की पापुआ न्यू गिनी तथा आस्ट्रेलिया दौरे की तारी$फों के पुल बांधे गये। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट करके अपनी यात्रा में अपनी उपलब्थियों का बखान किया। विदेश यात्रा ही नहीं, देश में प्रधानमंत्री मोदी पर आरोप लगते रहे हैं कि वह अपना महिमामंडन करने के लिए ही प्रयासरत रहते हैं; परन्तु अपने विरोध में उठे सुरों तथा छवि को नुक़सान पहुँचाने वाले पहलुओं को वह दिखाना नहीं चाहते, जो वास्तव में घटित होती घटनाओं का अहम हिस्सा होते हैं। उन पर कथित रूप से कैमराजीवी होने का आरोप भी लोगों ने लगाया है।
कई राजनीति के जानकार तथा विपक्षी दलों के नेता उन पर विदेशी समझ न होने के भी कयास लगाते रहते हैं। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को केवल इस बात की समझ है कि लाइम लाइट तथा कैमरा लाइट में कैसे रहना है। वह प्रशंसा के भूखे हैं, जबकि आलोचना उन पर बर्दाश्त नहीं होती तथा सवालों को वह पसन्द नहीं करते। आलोचना एवं सवालों के चलते ही उन्होंने विपक्षी दलों के कई ताक़तवर नेताओं को जेल भिजवाया तथा राहुल गाँधी को संसद से बाहर का रास्ता दिखा दिया। उनका वश चले, तो वह विपक्ष का जड़ से सफ़ाया कर दें, जिसके प्रयास में वह तथा उनके दाहिने हाथ अमित शाह लगे हुए हैं। प्रधानमंत्री मोदी तथा गृह मंत्री अमित शाह की स्वयंभू नीतियों के चलते ही भाजपा में भी अंदरखाते उथल-पुथल है, परन्तु डर तथा मलाई मिलने के चलते कोई बोल नहीं रहा है। ताक़तवरों का साथ देना इन दोनों नेताओं की सबसे बड़ी ख़ासियत है, चाहे वो ताक़तवर किसी भी क़िस्म की आपराधिक पृष्ठभूमि के हों।
अब तक की प्रधानमंत्री मोदी की विदेश यात्राओं से पता चलता है कि उन्होंने विदेश यात्राओं से कुछ ख़ास हासिल नहीं किया, परन्तु अरबों रुपये इन विदेशी यात्राओं पर ख़र्च कर दिये हैं। प्रधानमंत्री मोदी की यात्राओं पर हुए ख़र्च से इस देश में करोड़ों लोगों को रोज़गार मिल सकता था। 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी 26 मई 2023 तक 90 से अधिक देशों की यात्राएँ कर चुके हैं।
भारत सरकार के एक पोर्टल पर अभी तक 52 विदेश यात्राओं में 59 देशों की यात्रा का ब्योरा दिखाया जा रहा है, जो कि 2022 तक का है। इसके अनुसार, 15 जून से 16 जून, 2014 तक वह भूटान गये, जिसमें 2,45,27,465 रुपये का ख़र्च आया। इसके बाद 13 जुलाई से 17 जुलाई, 2014 के बीच उन्होंने ब्राजील की यात्रा की, जिस पर 20,35,48,000 रुपये ख़र्च हुए। इसके बाद 3 अगस्त से 5 अगस्त, 2014 तक वह नेपाल यात्रा पर गये। यह यात्रा उन्होंने भारतीय वायुसेना का बीबीजे विमान से यात्रा की, जिसके ख़र्च का ब्योरा नहीं दिया गया है। 30 अगस्त से 3 सितंबर, 2014 तक प्रधानमंत्री जापान यात्रा पर थे, जिसमें 13,47,58,000 रुपये का ख़र्च आया। 25 सितंबर से 1 अक्टूबर, 2014 तक प्रधानमंत्री अमेरिका पर रहे, जिसमें 19,04,60,000 रुपये का ख़र्च हुआ। 11 नवंबर से 20 नवंबर, 2014 तक वह म्यांमार, ऑस्ट्रेलिया तथा फिजी की यात्रा पर रहे, जिसमें 22,58,65,000 रुपये ख़र्च हुए। 25 से 27 नवंबर, 2014 तक वह दोबारा नेपाल गये, जिसमें उन्होंने भारतीय वायुसेना का बीबीजे विमान का इस्तेमाल किया। इसमें भी ख़र्च तो हुआ ही होगा, परन्तु ब्योरा नहीं दिया गया है। 10 मार्च से 14 मार्च, 2015 को प्रधानमंत्री सेशेल्स, मॉरीशस तथा श्रीलंका गये, जिसमें 15,85,25,000 रुपये का ख़र्च आया। 28 मार्च से 29 मार्च, 2015 को वह सिंगापुर गये। इस यात्रा में भी सरकारी वेबसाइट पर भारतीय वायुसेना का बीबीजे विमान का इस्तेमाल दिखाया गया है।
इसके बाद 9 अप्रैल से 17 अप्रैल, 2015 को वह फ्रांस, जर्मनी तथा कनाडा यात्रा पर गये, जिसमें 31,25,78,000 रुपये का ख़र्च आया। 14 से 19 मई, 2015 तक वह चीन, मंगोलिया तथा दक्षिण कोरिया यात्रा पर गये, जिसमें 15,15,43,000 रुपये का ख़र्चा हुआ। 6-7 जून, 2015 को प्रधानमंत्री बांग्लादेश में थे, जिसमें भारतीय वायुसेना के बीबीजे विमान का उपयोग बताया गया है, ख़र्चा नहीं। 6 से 14 जुलाई, 2015 तक वह उज्बेकिस्तान, कज़ाख़स्तान, तुर्कमेनिस्तान, किर्गिस्तान, रूस तथा ताजिकिस्तान में रहे, जिसमें 15,78,39,000 रुपये का ख़र्च हुआ।
16-17 अगस्त, 2015 को मोदी ने संयुक्त अरब अमीरात का दौरा किया, जिसमें 5,90,66,000 रुपये ख़र्च हुए। 23 से 29 सितंबर, 2015 को उन्होंने आयरलैंड तथा अमेरिका की यात्रा की, जिसमें 18,46,95,000 रुपये का ख़र्चा हुआ। 12 से 16 नवंबर, 2015 तक वह ब्रिटेन तथा तुर्की यात्रा पर रहे, जिस पर 9,30,93,000 रुपये का ख़र्च आया। 20 से 24 नवंबर, 2015 तक मोदी मलेशिया तथा सिंगापुर यात्रा पर रहे, जिसमें 7,04,93,000 रुपये का ख़र्च आया। 29 से 30 नवंबर, 2015 तक वह फ्रांस यात्रा पर थे। इसमें 6,82,81,000 रुपये का ख़र्च आया। 23 से 25 दिसंबर, 2015 तक प्रधानमंत्री रूस, अफ़ग़ानिस्तान तथा पाकिस्तान में रहे, जिसमें 8,14,11,000 रुपये का ख़र्च आया। 30 मार्च से 3 अप्रैल, 2016 तक प्रधानमंत्री मोदी बेल्जियम, संयुक्त राज्य अमेरिका तथा सऊदी अरब में रहे, जिसमें 15,85,02,000 रुपये का ख़र्चा आया। 22-23 मई, 2016 में उन्होंने ईरान य़ात्रा की, जिसमें भारतीय वायुसेना का बीबीजे विमान को दिखाया गया, परन्तु ख़र्चा नहीं बताया गया।
4 से 9 जून, 2016 के बीच वह अफ़ग़ानिस्तान, क़तर, स्विट्जरलैंड, अमेरिका तथा मेक्सिको में रहे, जिसमें 13,91,66,000 रुपये का ख़र्च आया। 23-24 जून, 2016 को वह उज्बेकिस्तान गये, जिसमें 6,32,78,000 रुपये का ख़र्च हुआ। 7 से 11 जुलाई के बीच वह मोजांबिक, दक्षिण अफ्रीका, तंजानिया तथा केन्या गये, जिसमें 12,80,94,000 रुपये का ख़र्चा आया। 2-5 सितंबर. 2016 के बीच वह वियतनाम तथा चीन यात्रा पर गये, जिसमें 9,53,91,000 रुपये ख़र्च हुए। 7-8 सितंबर, 2016 के बीच वह लाओस गये, जहाँ 4,77,51,000 रुपये ख़र्च हुए। 10 से 12 नवंबर, 2016 को वह फिर जापान गये, जिसमें 13,05,86,000 रुपये ख़र्च हुए। 11-12 मई, 2017 के बीच वह श्रीलंका रहे, जिसमें 5,24,04,000 रुपये ख़र्च हुए। 29 मई से 3 जून, 2017 तक मोदी ने जर्मनी, स्पेन, रूस तथा फ्रांस की यात्रा की, जिसमें 16,51,95,000 रुपये ख़र्च हुए। 8-9 जून, 2017 को वह कज़ाख़स्तान गये, जिसमें 5,65,08,000 रुपये ख़र्च हुए। 24 से 27 जून, 2017 के बीच वह पुर्तगाल, अमेरिका तथा नीदरलैंड्स गये, जहाँ उन पर 13,82,81,000 रुपये ख़र्च हुए। 4 से 8 जुलाई, 2017 को वह इजरायल तथा जर्मनी यात्रा पर रहे, जिसमें 11,28,48,000 रुपये ख़र्च हुए। 3 से 7 सितंबर, 2017 के बीच प्रधानमंत्री मोदी चीन तथा म्यांमार यात्रा पर रहे, जिसमें 13,87,80,000 रुपये ख़र्च हुए। 12 से 14 नवंबर, 2017 के बीच मोदी फिलीपींस रहे, जिसमें 10,11,68,000 रुपये ख़र्च हुए।
इसी तरह 22-23 जनवरी, 2018 को मोदी स्विट्जरलैंड गये, जहाँ 13,20,83,000 रुपये ख़र्च हुए। 9 से 12 फरवरी के बीच वह जॉर्डन, फिलिस्तीन, संयुक्त अरब अमीरात तथा ओमान यात्रा पर रहे, जिसमें 9,59,64,000 रुपये का ख़र्चा हुआ।
16 से 20 अप्रैल, 2018 के बीच वह स्वीडन, ब्रिटेन तथा जर्मनी में रहे, जिसमें 10,62,57,000 रुपये का ख़र्चा हुआ। 26 से 28 अप्रैल, 2018 के बीच मोदी चीन गये, जिसमें 6,07,46,000 रुपये ख़र्च हुए। 11-12 मई, 2018 को मोदी फिर नेपाल पहुँचे, जिसमें 1,61,09,298 रुपये ख़र्च हुए। 21-22 मई, 2018 को प्रधानमंत्री ने रूस यात्रा की, जिसमें 7,26,38,000 रुपये ख़र्चा हुए। 29 मई से 2 जून, 2018 के बीच वह इंडोनेशिया, मलेशिया तथा सिंगापुर गये, जिसमें 10,21,84,000 रुपये ख़र्च हुए। 9-10 जून, 2018 को वह फिर चीन पहुँचे, जिसमें 7,83,56,000 रुपये ख़र्च हुए। 23 से 28 जुलाई, 2018 तक वह रवांडा, युगांडा तथा दक्षिण अफ्रीका की यात्रा पर रहे, जिसमें 14,11,76,000 रुपये ख़र्च हुए। 30-31 अगस्त, 2018 को वह फिर नेपाल गये, जिसमें भारतीय वायुसेना का बीबीजे विमान से यात्रा मंत्रालय ने दिखायी है, ख़र्च नहीं बताया है। 27 से 30 अक्टूबर, 2018 तक वह जापान में रहे, जिसमें 8,51,10,000 रुपये का ख़र्च आया। 13 से 15 नवंबर तक वह सिंगापुर यात्रा पर थे, जिसमें 5,20,40,000 रुपये ख़र्च हुए। 17 नवंबर, 2018 को वह मालदीव गये, जिसमें 3,48,42,000 रुपये ख़र्च हुए। 28 नवंबर से 3 दिसंबर, 2018 के बीच प्रधानमंत्री ने अर्जेंटीना की यात्रा की। इस यात्रा में भी उन्होंने 15,59,83,000 रुपये ख़र्च कर दिए। 21 से 22 फरवरी के बीच वह दक्षिण कोरिया गये, जिसमें 9,48,38,000 रुपये ख़र्च हुए।
इसके अतिरिक्त 8-9 जून, 2019 को प्रधानमंत्री मोदी मालदीव तथा श्रीलंका यात्रा पर पहुँचे, जिसमें भारतीय वायुसेना के बीबीजे विमान का उपयोग दिखाया गया है, ख़र्च नहीं। 13-14 जून, 2019 को वह किर्गिस्तान गये, जिसमें 9,37,11,000 रुपये ख़र्च हुए। 27 से 29 जून के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने फिर जापान यात्रा की, जिसमें 9,91,62,000 रुपये ख़र्च हुए। 17-18 अगस्त, 2019 को वह भूटान गये, जिसमें भारतीय वायुसेना के बीबीजे विमान का उपयोग दिखाया गया है, ख़र्च नहीं बताया गया। 22 से 27 अगस्त, 2019 के बीच वह फ्रांस, संयुक्त अरब अमीरात तथा बहरीन यात्रा पर रहे, जिसमें 14,91,68,000 रुपये ख़र्च हुए। 4-5 सितंबर, 2019 को रूस यात्रा की, जिसमें 12,02,80,000 रुपये ख़र्च हुए। 21 से 28 सितंबर, 2019 को फिर मोदी की अमेरिका यात्रा में 23,27,09,000 रुपये ख़र्च हुए। 28 से 29 अक्टूबर, 2019 की सऊदी अरब यात्रा में फिर 5,03,03,000 रुपये ख़र्च हुए। 2 से 4 नवंबर, 2019 के बीच वह थाइलैंड पहुँचे, जहाँ 6,68,34,000 रुपये ख़र्च हुए। 13 से 15 नवंबर, 2019 को प्रधानमंत्री की ब्राजील यात्रा में 20,01,61,000 रुपये ख़र्च हुए।
मंत्रालय ने 26-27 मार्च, 2021 से बांग्लादेश, 22 से 26 सितंबर, 2021 के बीच अमेरिका, 29 अक्टूबर से 2 नवंबर, 2021 की इटली तथा यूके यात्रा, 2 से 5 मई, 2022 की उनकी जर्मनी, डेनमार्क तथा फ्रांस यात्रा, 16 मई 2022 की फिर नेपाल यात्रा, 23-24 मई, 2022 की जापान यात्रा, 26 से 28 जून, 2022 की जर्मनी तथा यूएई यात्रा, 15-16 सितंबर, 2022 की समरकंद, उज्बेकिस्तान यात्रा का, 27 सितंबर, 2022 की फिर जापान यात्रा का, 14 से 16 नवंबर, 2022 की इंडोनेशिया यात्रा ख़र्च का कोई ब्योरा नहीं दिया है। इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी ने देश में यात्राएँ की हैं। कहा जा सकता है कि जितनी यात्राएँ तथा उन पर खर्चे प्रधानमंत्री मोदी ने किए हैं, उतनी यात्राएँ, उतना ख़र्च आज तक किसी प्रधानमंत्री ने नहीं किया। यात्राओं में लगे इन अरबों रुपये से देश का संपूर्ण विकास सम्भव था।