नई दिल्ली। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शुक्रवार को संसद में कहा कि भारत में किसी अध्ययन ने यह दावा नहीं किया कि प्रदूषण से जीवन की उम्र कम हो जाती है। इसको लेकर जनता के बीच किसी तरह का मनोवैज्ञानिक डर पैदा करने की जरूरत नहीं है।
सदन में प्रदूषण से जीवन प्रत्याशा घटने के दावों से जुड़े सवाल पर जावड़ेकर ने कहा, सरकार प्रदूषण को कम करने की दिशा में जरूरी कदम उठा रही है और अब जल्द ही आने वालों दिनों में असर भी दिखने को मिलेगा और दिखने भी लगा है। उन्होंने बताया कि भारतीय अध्ययनों में प्रदूषण और जीवन प्रत्याशा के बीच किसी तरह के संबंध का जिक्र नहीं है। वहीं जिन अध्ययनों में ऐसा जिक्र है भी वे पहली पीढ़ी के आंकड़ों पर आधारित नहीं हो सकते।
पिछले कुछ दिनों में मोदी सरकार के कई मंत्री अपने बयानों के चलते घिर चुके हैं। इस बार केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने प्रदूषण को लेकर एक अजीबोगरीब बयान है।
जावड़ेकर ने यह बात तृणमूल कांग्रेस की सांसद काकोली घोष के सवाल का जवाब देते हुए कही। काकोली घोष ने पूछा था कि कई अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि प्रदूषण के चलते लोगों की उम्र साढ़े चार साल तक कम हो रही है। ऐसे में सरकार इस समस्या से निपटने के लिए क्या कदम उठा रही है?
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि प्रदूषण से निपटने के लिए पुराने कानूनों में संशोधन होना चाहिए, इस पर जावड़ेकर ने कहा कि इस सुझाव पर विचार किया जा सकता है।
बता दें कि दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता (ए क्यू आई)फिर बेहद खराब श्रेणी में पहुंच गई है। बीते महीने इसके बेहद गंभीर हो जाने के चलते कई दिनों के लिए स्कूल बंद करने पड़े थे। इसके अलावा दिल्ली-एनसीआर में निर्माण कार्यों, जनरेटर और फैक्ट्री पर रोक भी लगा दी थी।