हर चीज़ की एक उम्र होती है। खेल में तो यह बात बहुत क़ायदे से लागू होती है। प्रतिभा अवसर देती है। लेकिन प्रतिभा होते हुए भी समय पर अवसर न मिले, तो प्रतिभा को कुंद होने में कितना वक़्त लगता है। क्रिकेट की बात करें, तो कई ऐसे खिलाड़ी हैं जो प्रतिभावान होते हुए भी समय पर अवसर न मिलने से अँधेरे में खो गये। यह सिलसिला दशकों से चल रहा है और आज भी यही स्थिति है। बात करते हैं क्रिकेट की। एक खिलाड़ी उमरान मलिक हैं। कह सकते हैं कि आज की तारीख़ में देश में सबसे तेज़ गेंद उमरान ही फेंकते हैं। उम्र है 22 साल। हालाँकि तेज़ गेंदबाज़ी में उम्र मायने रखती है। क्योंकि तकनीक के साथ-साथ इसमें शारीरिक ताक़त भी ज़रूरी होती है। उमरान दोनों ही चीज़ें कर लेते हैं। यानी उनकी गेंदों में गति भी है और स्विंग भी। उनकी उम्र है कि उन्हें राष्ट्रीय टीम में अवसर दिया जाए। लेकिन न जाने क्यों ऐसा हो नहीं रहा। दुनिया की सबसे अमीर क्रिकेट संस्था होते हुए भी शायद बीसीसीआई के पास योजना की कमी है।बी
हाल के महीनों में उमरान ने बताया है कि उनके पास देश के लिए खेलते हुए अपनी गति से क्रिकेट की दुनिया के दिग्गजों को छका सकने की क़ुव्वत है। आईपीएल में दुनिया भर के दिग्गज हिस्सा लेते हैं और इसके पिछले संस्करण में उमरान ने कितना कमाल किया था, सभी जानते हैं। उनकी गति कई बार बल्लेबाज़ों को भयभीत करती है और कई बार अपनी स्विंग से वह कब विकेट बिखेर देते हैं, यह बल्लेबाज़ को भी समझ नहीं आता। उमरान को बेहतर कोच की देखरेख में और तराशे जाने से वह देश की गेंदबाज़ी की पूँजी बनने की क्षमता रखते हैं; यह बात क्रिकेट के जानकार ही कह चुके हैं।
पड़ोसी देश पाकिस्तान, जहाँ क्रिकेट के चयन को लेकर कई तरह की राजनीतियों के आरोप लगते हैं; वहाँ भी तेज़ गेंदबाज़ हर दौर में भारत के मुक़ाबले बेहतर रहे हैं। कारण यह है कि वहाँ तेज़ गेंदबाज़ों को सही समय पर अवसर दिये जाते हैं। भारत में ऐसा नहीं होता। उमरान को बेझिझक शुद्ध तेज़ गेंदबाज़ की श्रेणी में रखा जा सकता है। उनकी अधिकतम गति 157 किलोमीटर प्रति घंटा (केएमपीएच) मापी गयी है, जबकि टीम के रेगुलर तेज़ गेंदबाज़ जसप्रीत बुमराह 153.26 केएमपीएच है। पिछले क़रीब एक दशक की बात करें, तो इन दोनों के अलावा इरफ़ान पठान 153.7, मोहम्मद शमी 153.3, नवदीप सैनी 152.85 और इशांत शर्मा 152.6 और उमेश यादव 152.5 केएमपीएच की गति से गेंद फेंकते रहे हैं।
आईपीएल में उमरान की टीम सनराइजर्स हैदराबाद (एसआरएच) के गेंदबाज़ी कोच डेल स्टेन, जिनके दक्षिण अफ्रीका की तरफ़ से खेलते हुए टेस्ट मैचों में 439 विकेट सहित तीनों फार्मेट में 699 अंतरराष्ट्रीय विकेट हैं, वह भी उमरान की गति के मुरीद हैं। स्टेन उमरान को लम्बी रेस का घोड़ा बताते हैं। ख़ुद स्टेन ने 155.7 केएमपीएच की अधिकतम गति से गेंद फेंकी है और अपने समय में उनकी गति बल्लेबाज़ों को भयभीत करती थी।
आज दुनिया में तीव्रतम गेंद फेंकने वाले न्यूजीलैंड के लोकी फर्गुसन 157.3, दक्षिण अफ्रीका के एनरिक नॉरजे 156.22 और पाकिस्तान के शाहीन अफ़रीदी 157 केएमपीएच को गति के मामले में अपने उमरान ही टक्कर देते दिखते हैं। इसमें कोई दो-राय नहीं कि भारत में उमरान सबसे तेज़ हैं। ऐसे में उमरान को ज़्यादा अवसर और प्रोत्साहन और भी बेहतर गेंदबाज़ बना सकते हैं। जसप्रीत बुमराह और उमरान मलिक भारत के लिए गेंदबाज़ी की घातक जोड़ी बन सकते हैं। उनके अलावा मोहम्मद शमी, प्रसिद्ध कृष्णा, आवेश खान और मोहम्मद सिराज भी कम नहीं हैं। ये सब भी एक ताक़तवर पेस बैटरी बनने की क्षमता रखते हैं। लेकिन उमरान को अवसर नहीं मिल पा रहा।
जम्मू-कश्मीर के इस युवा ने कहा था कि देश की टीम में आना उनका सपना है। वह टीम में शामिल भी किये गये हैं; लेकिन तीन मैच ही उनके हिस्से आये हैं, जिसमें उनके दो विकेट हैं। उमरान ने पहला अंतरराष्ट्रीय मैच इसी साल 26 जून को डबलिन में आयरलैंड के ख़िलाफ़ खेला था, जिसमें उन्हें एक ही ओवर करने का अवसर मिला था। उनके पास अनुभव की कमी ज़रूर है; लेकिन प्रतिभा की नहीं।
ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ़ उमरान के मामले में हुआ है। इतिहास पर यदि नज़र दौड़ाएँ, तो ज़ाहिर होता है कि कई खिलाड़ी समय पर अवसर न मिलने के कारण फिर कभी बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाये और अँधेरों में खो गये। कई बार होता यह है कि महत्त्वपूर्ण सीरीज या बड़े टूर्नामेंट के कारण प्रबंधन अनुभवी खिलाडिय़ों पर भरोसा करता है। वे नहीं भी चलें, तो भी उनसे उम्मीद ख़त्म नहीं होती, और यह सिलसिला चलता रहता है। चयनकर्ता उन पर भरोसा दिखाते जाते हैं और इस फेर में कई अच्छे युवा खिलाडिय़ों का भविष्य चौपट हो जाता है। बात कप्तान पर भी निर्भर होती है। धोनी को देखें, तो उनका स्पिनर्स पर ज़्यादा भरोसा रहता था। उन्होंने अपने समय में स्पिनर्स को ज़्यादा अवसर दिये। हालाँकि जब विराट कोहली कप्तान बने, तो उन्होंने तेज़ गेंदबाज़ों पर ज़्यादा भरोसा दिखाया। उनके समय में टीम के कोच रवि शास्त्री, जो ख़ुद एक स्पिनर थे; ने भी कोहली की सोच का हमेशा समर्थन किया।
रिकॉड्र्स पर नज़र दौड़ाएँ, तो ज़ाहिर होता है कि तेज़ गेंदबाज़ों ने विदेशी दौरों में भारत की जीत का प्रतिशत बढ़ाया है। हाल के वर्षों में जबसे देश में 145 केएमपीएच से ज़्यादा की गति वाले गेंदबाज़ देश में उभरे हैं। हमारी टीम ने विदशी दौरों में ज़्यादा मैच जीते हैं। सन् 2000 तक विदेशी दौरों में हमारी जीत का प्रतिशत आठ था, जो आज की तारीख़ में 45 से 50 के बीच रहता है।
निश्चित ही भारत के पास आज जो तेज़ गेंदबाज़ हैं, वे दुनिया के तेज़ गेंदबाज़ों को मज़बूत टक्कर देते हैं। चाहे गति का मामला हो या स्विंग या एक्यूरेसी का। वर्तमान में हमारे पास आठ ऐसे तेज़ गेंदबाज़ हैं, जो 150 के आसपास या उससे भी ऊपर की गति से गेंद फेंक रहे हैं। यहाँ तक कि शार्दुल ठाकुर और दीपक चाहर जैसे मध्यम तेज़ गेंदबाज़ भी 140 से 145 की गति से गेंद डालते हैं।
हाल के दशकों में जब स्पिनर्स टीम में दबदबा रखते थे, तब भारत की जीत का प्रतिशत कम था; लेकिन तेज़ गेंदबाज़ों ने इस खाई को कम किया है। सन् 2010 से सन् 2020 के बीच तेज़ गेंदबाज़ों ने 922 विरोधी खिलाडिय़ों के विकेट उखड़े, जबकि स्पिनर्स ने 877 विकेट। इस दौर में धोनी सन् 2014 तक कप्तान रहे, जिनका स्पिनर्स पर ज़्यादा भरोसा रहा। दिसंबर, 2014 में विराट कोहली ने जब टेस्ट टीम की कप्तानी सँभाली, तो तेज़ गेंदबाज़ों को अपेक्षाकृत ज़्यादा अवसर मिलने शुरू हुए। कोहली लगातार पाँच तेज़ गेंदबाज़ों के साथ खेलते रहे।
भारत में स्पिनर्स बनाम तेज़ गेंदबाज़ देखें, तो सन् 1971 से सन् 1980 के दौर में स्पिनर्स ने टेस्ट में 643, जबकि तेज़ गेंदबाज़ों ने महज़ 291 विकेट लिये। इसी तरह सन् 1981 से सन् 1990 के बीच यह आँकड़ा 546-528, सन् 1991 से सन् 2000 के बीच 517-471 और सन् 2000 से सन् 2010 के बीच 868-783 रहा। हालाँकि सन् 2011 से सन् 2021 के बीच तेज़ गेंदबाज़ 922 विकटों के मुक़ाबले स्पिनर्स 877 विकेट ही ले पाये। टेस्ट चैंपियनशिप, जिसमें भारत फाइनल तक पहुँचा; के कुल खेले 17 मैचों में भारतीय तेज़ गेंदबाज़ों ने 303 विरोधी बल्लेबाज़ों की किल्लियाँ उखाड़ीं।
उमरान को लेकर दिग्गज तेज़ गेंदबाज़ों के बयान ज़ाहिर करते हैं कि वह अच्छे बॉलर हैं और उन्हें अवसर मिलना चाहिए। डेल स्टेन ने उमरान से कहा था कि उन्हें लाइन-लेंथ की चिन्ता न करके स्ट्रेंथ पर ध्यान देना चाहिए। स्टेन की उमरान को सलाह है कि जितनी तेज़ डाल सकते हो, उतनी तेज़ी से गेंद डालो। उधर वेस्ट इंडीज के पूर्व तेज़ गेंदबाज़ इयान बिशप कहते हैं- ‘उमरान जैसे युवा गेंदबाज़ तेज़ी से सीखते हैं। इससे वे जल्दी अंतरराष्ट्रीय स्तर के लिए तैयार होते हैं।’
भारत के गतिमान
- उमरान मलिक 157 केएमपीएच
- जसप्रीत बुमराह 153.26 केएमपीएच
- मोहम्मद शमी 153.3 केएमपीएच
- नवदीप सैनी 152.85 केएमपीएच
- उमेश यादव 152.5 केएमपीएच
- प्रसिद्ध कृष्णा 152.22 केएमपीएच
- आवेश ख़ान 149 केएमपीएच
- मोहम्मद सिराज 145.7 केएमपीएच
- भुवनेश्वर कुमार 145 केएमपीएच
(गति केएमपीएच में)