राजस्थान में कांग्रेस के संकट का 14 अगस्त के विधानसभा सत्र से पहले ही पटाक्षेप होने को है। नाराज सचिन पायलट एक महीने के ‘अज्ञातवास’ से ‘ऊब’ गए हैं। वे कांग्रेस में ‘सम्मानजनक वापसी” के साथ अपनी पार्टी में बने रहने की तैयारी में हैं। ‘तहलका’ की जानकारी के मुताबिक आज उनकी दिल्ली में ‘गांधी परिवार’ से अपने कांग्रेस में बने रहने और पार्टी में रोल को लेकर गहन मंत्रणा हुई है। सचिन को कांग्रेस का राष्ट्रीय महासचिव या उपाध्यक्ष बनाया जा सकता है। राहुल गांधी ने उन्हें ‘भविष्य के भरोसे’ भी दिलाये हैं।
राजस्थान सरकार को जब से संकट हुआ, सचिन पायलट अपने समर्थक विधायकों के साथ अज्ञातवास पर थे। कभी हरियाणा तो कभी कहीं और उनके होने की ख़बरें मीडिया में आती रहीं। सचिन पायलट ने बार-बार यह कहा था कि वे कांग्रेस से बाहर नहीं जायेंगे और उनकी लड़ाई मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से ही है, पार्टी से नहीं।
‘तहलका’ ने संकट के समय भी यही लिखा था की सचिन कांग्रेस से बाहर नहीं जायेंगे। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, जिन्हें लेकर पिछले दिनों में मीडिया के एक वर्ग ने उनकी रिहाई से जोड़कर कुछ अलग तरह की ख़बरें दी थी, उन्हें लेकर सही खबर यही है कि वे सचिन के कांग्रेस में रहने के पक्ष में थे। सचिन अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस में ही रहना चाहते हैं। चाहे महासचिव या उपाध्यक्ष बनाये जाए, या सचिन को दोबारा राजस्थान भेजकर उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बना दिया जाये, इसपर चर्चा के लिए कांग्रेस एक कमेटी बना सकती है। उसके बाद ही कोई फैसला होगा।
जानकारी के मुताबिक सचिन पायलट को लेकर राहुल गांधी काफी संवेदनशील थे। उनका पार्टी में कहना था कि सचिन को उन्होंने भरोसा दिया था, जिसे पूरा नहीं किया गया। ऐसे में उन्हें राजस्थान में सम्मानजनक तरीके से रखा जाना चाहिए। हालांकि, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से उनकी खटपट चलती रही। आज ही गहलोत के समर्थकों ने यह भी कहा कि सचिन और उनके लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाये।
अब ‘तहलका’ की जानकारी के मुताबिक सचिन पायलट की राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से पहले दौर की मुलाकात हुई। वे आज ही दोबारा राहुल गांधी से मिल सकते हैं। यह माना जा रहा है कि 11 अगस्त को सोनिया गांधी के कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष के रूप में एक साल पूरा होने के बाद राहुल गांधी को अध्यक्ष का जिम्मा देने की कांग्रेस ने तैयारी कर ली है। ऐसे में उनकी बात को गंभीरता से सुना जाने लगा है। सचिन के मामले में राहुल गांधी ने ही जोर दिया है कि उन्हें पार्टी में बनाये रखा जाना चाहिए।
जानकारी के मुताबिक सचिन को कांग्रेस में ही रखने पर उन्हें खाली नहीं रखा जाएगा। आने वाले समय में, या उनके कांग्रेस में ही रहने की आधिकारिक घोषणा के बाद ही, उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर कोई भूमिका दी सकती है। अभी तक की जानकारी के मुताबिक यह जिम्मा महासचिव या उपाध्यक्ष का हो सकता है।
फिलहाल की स्थिति यह है कि 14 अगस्त को राजतक्षण विधानसभा का सत्र होना है। बसपा के 6 विधायकों की याचिका सुप्रीम कोर्ट में है, जिसमें उन्होंने उनके कांग्रेस में विलय को चुनौती देने वाली बसपा और भाजपा की याचिकाओं के मामले को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करनी की गुहार लगाई है। भाजपा अपने विधायकों में ‘टूट’ के डर से उन्हें संभालने में जुटी है और कांग्रेस के विधायक भी राज्य के दूसरे हिस्से में ‘यात्रा’ पर निकले हुए हैं।
वैसे तो पायलट के राजस्थान की राजनीति में फिलहाल काम ही रहने की संभावना है, पार्टी के बीच यह भी चर्चा रही कि गहलोत को कांग्रेस का कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया जा सकता है। ऐसे में सचिन की राजस्थान में वापसी हो सकती है। एक यह भी दावा है कि सचिन को दोबारा राजस्थान भेजकर उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बना दिया जाये। वैसे सचिन ने जिस तरह ट्वीटर पर पिछले दिनों कांग्रेस का चुनाव चिन्ह ‘हाथ’ वापस लगा दिया था।
यदि सचिन कांग्रेस में ही रहते हैं और उन्हें राज्य से निकालकर केंद्र की राजनीति में कोइ रोल दे दिया जाता है तो अशोक गहलोत को भी इससे कोई दिक्कत नहीं होगी। राहुल पहले से सचिन को मुख्यमंत्री बनाने के हक़ में रहे हैं, लिहाजा यह तय है कि राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष बने, सचिन कांग्रेस में ही रहे तो भविष्य में सचिन ही मुख्यमंत्री बनेंगे। गहलोत खेमा उन्हें लेकर दबाव जरूर बना रहा, लेकिन राहुल के कमांड में आने की स्थिति में इस बार शायद बुजुर्ग नेताओं के लिए चीजें उतनी आसान नहीं रहेंगी !