पैरा २५ में संशोधन के लिए मोदी सरकार कोर्ट में

राफेल मामले में कैग रिपोर्ट पर कांग्रेस का सरकार पर हमला जारी

एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में मोदी सरकार ने शनिवार को सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष हलफनामा दायर कर राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर शीर्ष न्यायालय के फैसले में उस पैरा २५ में संशोधन की दरखास्त की है जिसमें नियंत्रक और  महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट और संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के बारे में संदर्भ है।
उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को अपने फैसले में कहा था कि ”कैग” के साथ कीमत के ब्यौरे को साझा किया गया और ”कैग” की रिपोर्ट पर पीएसी ने गौर किया। इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रेस कांफ्रेंस करके सरकार की कैग रिपोर्ट पीएसी को रिपोर्ट देने सम्बन्धी कोर्ट में कही बात को झूठ बताते हुए जबरदस्त हमला किया था। अब सरकार के इस बारे में हलफनामा  डालने की बात सामने आई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र सरकार ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर सरकार ने राफेल डील के मामले में सभी याचिकाकर्ताओं को उसकी कॉपी भेजी है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक एक विधि अधिकारी ने बताया है कि अदालत को अवगत कराने के लिए याचिका दायर की गयी है कि कैग और पीएसी से जुड़े मुहरबंद दस्तावेज के मुद्दे पर अलग-अलग व्याख्या की जा रही है।
कैग और पीएसी के मुद्दे के बारे में शीर्ष अदालत के फैसले के पैरा २५ में इसका जिक्र है। फैसले में कहा गया था कि फ्रांस से ३६ राफेल लड़ाकू विमानों की खरीदारी में किसी तरह की अनियमितता नहीं हुई।
पीएसी के चेयरमैन मल्लिकार्जुन खड़गे का कहना है कि ऐसी कोई रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है और सीएजी इसके बारे में भी नहीं जानता। कांग्रेस नेता खड़गे ने राफेल विमान सौदे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा – ”मैं लोक लेखा समिति के सभी सदस्यों से अनुरोध करूंगा कि अटॉर्नी जनरल और सीएजी को यह बात पूछने के लिए तलब करें कि राफेल सौदे पर सीएजी की रिपोर्ट कब संसद में पेश की गई।” उन्होंने कहा कि सरकार को राफेल सौदे पर सीएजी की रिपोर्ट के बारे में गलत तथ्य पेश कर सुप्रीम कोर्ट को गुमराह करने के लिये माफी मांगनी चाहिए। हम उच्चतम न्यायालय का सम्मान करते हैं, लेकिन यह जांच एजेंसी नहीं है। सिर्फ जेपीसी राफेल सौदे की जांच कर सकती है।
खड़गे ने कहा कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में झूठ बोला कि सीएजी रिपोर्ट संसद और पीएसी में पेश की गई थी और पीएसी ने इसकी जांच की है। ”कोर्ट में सरकार ने कहा कि यह पब्लिक डोमेन में है। कहां है? क्या आपने इसे देखा है? मैं इसे पीएसी के अन्य सदस्यों के सामने लाने ले जा रहा हूं। हम अटॉर्नी जनरल और सीएजी को बुलाएंगे।”