कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी शुक्रवार को तिरुपति माथा टेकने गए थे और शनिवार को दिल्ली में जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में छात्रों के बीच थे। इस मौके पर राहुल ने एक छात्र के सवाल के जवाब में कहा कि कांग्रेस सत्ता में आने पर ड्यूटी पर जान देने वाले अर्धसैनिक बलों के जवानों को शहीद का दर्जा दिया जाएगा।
”शिक्षा: दशा और दिशा” विषय पर आयोजित कार्यक्रम में राहुल गांधी ने दिल्ली के कई कॉलेजों के छात्रों से बातचीत की। जींस-टीशर्ट और हाफ जैकेट में राहुल युवा लुक में दिखे और उन्होंने छात्रों के हर सवाल का जवाब संजीदगी से दिया। कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्र गान और पुलवामा के शहीदों के श्रद्धांजली देकर की गई।
पीएचडी की एक छात्रा ने राहुल से पूछा कि देश के लिए जान देने वाले अर्धसैनिक बलों को शहीद का दर्जा क्यों नहीं दिया जाता, जिसपर कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा – ”पैरामिलिटरी फोर्सिस को शहीद का दर्जा नहीं मिलता है। हमारी सरकार आएगी तो ड्यूटी पर जान देने वाले पैरामिलिटरी जवानों को शहीद का दर्जा मिलेगा।”
कांग्रेस अध्यक्ष ने अपने निजी जीवन में हिंसा का सामना करने की बात साझा कि जब वे शामली में शहीद जवान के परिवार से मिलने गए तो उन्हें लगा उनके पिता की हत्या भी बम घमाके से हुई थी। ”इसलिए मुझे पता था कि वो कैसा महसूस कर रहे हैं। इसके अलावा मेरी दादी को ३२ गोलियां मारी गईं। लेकिन आज हमसे पूछेंगे तो मैं यही कहूंगा कि हिंसा को प्यार से ही मिटाया जा सकता है। महात्मा गांधी, अशोक के जीवन से हमें यही संदेश मिलता है।”
राहुल ने कहा – ”प्रधानमंत्री नरेंंद्र मोदी संसद में मेरे परिवार के लिए भला-बुरा कह रहे थें, लेकिन मैं जाकर उनके गले मिला। जब मेरी दादी की मौत हुई तो मेरे पिता बंगाल में थे। मुझे काफी गुस्सा था जब मेरी दादी की हत्या हुई। उनकी हत्या करने वाले उनके सुरक्षागार्ड थे। लेकिन जब मेरे पिता आए और उन्होंने मुझे गले लगाया तो मेरा गुस्सा चला गया।”
देश और दुनिया में दक्षिणपंथ के उभार के सवाल पर राहुल गांधी ने कहा – ”भारत, अमेरिका और यूरोप की समस्या को देखें तो मुख्य समस्या यह है कि युवाओं को नौकरी नहीं मिल रही। रोजगार न मिलने के चलते युवाओं में रोष है और दक्षिणपंथी इसका फायदा उठा रहे हैं। लेकिन सरकार यह स्वीकार नहीं कर रही कि देश में रोजगार संकट है। इसका हल हो सकता है, लेकिन इससे पहले मानना होगा कि कहीं न कहीं समस्या है।”
राजनीतिक दलों के आरटीआई के दायरे में लाने के सवाल पर राहुल ने कहा – ”पारदर्शिता होनी चाहिए। राजनीतिक दल जनता का संगठन है। न्यायपालिका, प्रेस, नौकरशाही यह संस्था है। अगर राजनीतिक दलों पर आरटीआई होनी चाहिए तो प्रेस और न्यायपालिका में भी होनी चाहिए। अगर हम आरटीआई के दायरे में आते हैं तो मैं चाहूंगा कि यह १५-२० उद्योगपतियों पर भी लगे। आज आरटीआई कानून को कमजोर करने का काम किया जा रहा है।”
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के लोग एक के बाद एक विश्वविद्यालयों में बैठाए जा रहे हैं। ”उन्हें सिर्फ अपनी विचारधारा से मतलब है, छात्रों से कोई लेना देना नहीं। वो चाहते हैं कि हिंदुस्तान का शिक्षा तंत्र उनका गुलाम बन जाए। लेकिन ऐसा नहीं हो सकता, हमारा जवाब होगा कि इन संस्थाओं को स्वतंत्रता मिले, छात्रों को तय करने का मौका दिया जाए।”
राहुल ने सेंट स्टीफन्स कॉलेज के अपने दौर की बात साझा करते हुए कहा कि उन्हें याद है कि स्टीफन्स में पेड़ के नीचे उनकी रैगिंग हुई थी। ”इसके अलावा इतिहास के प्रोफेसर का लेक्चर भी याद है। लेकिन जब मैं अमेरिका पढ़ने के लिए गया तब मुझे कल्चरल शॉक लगा जब मैने देखा कि वहां पर छात्र कितना आक्रामक होकर सवाल पूछते हैं। क्या प्रधानमंत्री कभी आपके पास आकर इस तरह से बात करते हैं? लेकिन मैं आता हूं कि आप मुझसे कठिन सवाल पूछ सकते हैं। पीएम को आपकी बात सुननी चाहिए न कि अपनी बात बतानी चाहिए।”
गांधी ने भ्रष्टाचार पर कहा कि सबसे बड़ा भ्रष्टाचार जमीन के मामले में होता है। ”हम भूमि अधिग्रहण बिल लाए जिसमें यह था कि बिना किसान से पूछे जमीन नहीं ली जाएगी और अगर ली गई तो उन्हें चार गुना दाम देना पड़ेगा। लेकिन मोदी सरकार ने आते ही इसे कमजोर करने की कोशिश की।”
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा – ”कुछ लोग मुझे पसंद करेंगे, कुछ नापसंद करेंगे। लेकिन आप जिसका भी समर्थन कर रहे हैं, उसमें हिम्मत होनी चाहिए कि वो आपके सामने खड़ा होकर आपकी बात सुन सके। आपको गले लगा सके। अगर उसमें हिम्मत नहीं है तो आपको सवाल पूछना चाहिए कि उसमें इतनी हिम्मत क्यों नहीं है।”