कोरोना महामारी के बीच ज्यादातर लोगों के काम धंधे बुरी तरह प्रभावित हुए है। दूसरी ओर महंगाई की मार ने आम लोगों के जीवन को और दुश्वार कर दिया है। इस बीच, पेट्रोल और डीजल के दामों में ही बढ़ोतरी नहीं हो रही है, बल्कि हर घर में इस्तेमाल होने वाले खाने के तेल के दाम में भी आग लगी है। ऐसा लगता है कि अब इनके कीमतों पर सरकारों की भूमिका बेहद सीमित हो गई है और मुनाफाखोर जमकर कमाई कर रहे हैं।
देश के छह राज्यों में पेट्रोल के दाम 100 रुपये प्रति लीटर को पार कर चुके हैं। रविवार को एक बार फिर पेट्रोल-डीजल की कीमतों में इजाफा किया गया है। पेट्रोल में 27 पैसे प्रति लीटर और डीजल में 29 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है। दिल्ली में आज पेट्रोल 95.03 रुपये प्रति लीटर और डीजल 85.95 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गया है जो अपने रिकाॅर्ड ऊंचाई के स्तर पर है।
मुंबई में पेट्रोल 101.25 रुपये और डीजल 93.10 रुपये, कोलकाता में पेट्रोल 95.02 रुपये और डीजल 88.80 रुपये, चेन्नई में पेट्रोल 96.47 रुपये और डीजल 90.66 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है। एक रपोर्ट के अनुसार, देश के 135 जिलों में पेट्रोल के दाम 100 रुपये प्रति लीटर से अधिक हो चुके हैं। इसी साल पेट्रोल की कीमतें 13 फीसदी तक बढ़ चुकी हैं।
इसी बीच, देश के अलग-अलग इलाकों में खाने के तेल के दामों में भी आग लगी हुई है जिससे ज्यादातर लोग परेशान हैं। गत एक वर्ष में इन सभी खाने के तेलों के दामों रिकाॅर्ज तेजी दर्ज की गई है। दिल्ली में एक साल पहले जो सरसों का तेल 130 रुपये प्रति लीटर था वो इस वक्त 180 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच चुका है। 179 रुपये किलो वाला मूंगफली का तेल 200 रुपये को पार कर चुका है। खुदरा में कीमतें इससे भी ज्यादा हैं।
बता दें कि खाद्य तेलों का घरेलू उत्पादन उसकी जरूरतें पूरी करने के लिए पर्याप्त नहीं है। भारत अपनी कुल जरूरत का केवल 40 फीसदी खाद्य तेल का उत्पादन करता है। डिमांड और सप्लाई के गैप को पूरा करने के लिए देश की जरूरत का 60 तेल निर्यात किया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में खाने के तेल के दाम पिछले एक साल में बढ़े हैं। इसी वजह से देश में इनके दामों में इजाफा हुआ है। ये बातें खुद सरकार ने इसी साल मार्च में लोकसभा में कही थीं।