केंद्र की मोदी सरकार ने खेल रत्न पुरस्कार से पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का नाम हटा दिया है। खेलों के सबसे बड़े पुरस्कार का नाम बदलकर अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कर दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी।
एनडीए सरकार ने शुक्रवार को खेल पुरस्कारों से जुड़ा बड़ा फैसला लिया है। मोदी ने इस फैसले का ऐलान करते हुए कहा कि यह पुरस्कार हमारे देश की जनता की भावनाओं का सम्मान करेगा। मेजर ध्यानचंद के जन्मदिन 29 अगस्त को भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
मोदी ने कहा- ध्यानचंद भारत के पहले खिलाड़ी थे, जो देश के लिए सम्मान और गर्व लाए। देश में खेल का सर्वोच्च पुरस्कार उनके नाम पर रखा जाना ही उचित है।
भारतीय खेलों का सर्वोच्च पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार को तत्कालीन सरकार ने 1991-92 में शुरू किया था। इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेल क्षेत्र में शानदार और सबसे उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए दिया जाता है। इसे जीतने वाले खिलाड़ी को प्रशस्ति पत्र, अवॉर्ड और 25 लाख रुपये की राशि प्रदान की जाती है। पहला खेल रत्न पुरस्कार देश के पहले ग्रैंड मास्टर विश्वनाथन आनंद को दिया गया था।
अब तक 45 लोगों को ये अवॉर्ड दिया जा चुका है। हाल में क्रिकेटर रोहित शर्मा, पैरालंपियन हाई जम्पर मरियप्पन थंगवेलु, टेबल टेनिस प्लेयर मनिका बत्रा, रेसलर विनेश फोगाट को इस पुरस्कार से नवाजा गया था। हॉकी में अब तक तीन खिलाड़ियों को खेल रत्न पुरस्कार से नवाजा गया है। इनमें धनराज पिल्ले (1999-2000), सरदार सिंह (2017) और रानी रामपाल (2020) शामिल हैं।
हॉकी के जादूगर के नाम से मशहूर मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को इलाहाबाद में हुआ था। भारत में यह दिन राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। ध्यानचंद ने सिर्फ 16 साल की उम्र में भारतीय सेना जॉइन कर ली थी। वे ड्यूटी के बाद चांद की रोशनी में हॉकी की प्रैक्टिस किया करते थे, इसलिए उन्हें ध्यानचंद कहा जाने लगा। उनके खेल की बदौलत ही भारत ने 1928, 1932 और 1936 के ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता था। 1928 में एम्सटर्डम ओलंपिक में उन्होंने सबसे ज्यादा 14 गोल दागे थे। तब वहां के एक अखबार ने लिखा, ‘यह हॉकी नहीं, जादू था और ध्यानचंद हॉकी के जादूगर हैं।’ तभी से उनको हॉकी का जादूगर कहा जाने लगा।
41 साल बाद हॉकी में पदक जीतने का तोहफा
केंद्र सरकार का यह फैसला टोक्यो ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम के कांस्य पद जीतने के बाद एक दिन बाद लिया गया। बता दें कि भारतीय हॉकी टीम ने 41 साल बाद ओलंपिक में कांस्य पदक जीता है। इससे पहले भारत ने आखिरी बार ओलंपिक हॉकी में 1980 में पदक जीता था। इसके साथ ही महिला हॉकी टीम भी इतिहास में पहली बार टोक्यो ओलंपिक के सेमी फाइनल में पहुंची।