वर्तमान राजद्रोह कानून पर बुधवार को सर्वोच्च न्यायालय ने रोक लगा दी है। अब इस क़ानून पर पुनरीक्षण होने तक नया मामला दर्ज नहीं हो सकेगा। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि राजद्रोह कानून पर पुनर्विचार तक इसका इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
सर्वोच्च अदालत ने कहा कि केंद्र हो या राज्य सरकार, 124ए के तहत कोई एफआईआर दर्ज नहीं की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट में देशद्रोह कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है।
प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की अगुवाई वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ मामले की सुनवाई कर रही है। सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से एसजी ने कहा कि हमने एक प्रस्ताव तैयार किया है। हम एक संज्ञेय अपराध को नहीं रोक सकते जो कि किया जाएगा। लेकिन हमने एक प्रस्ताव तैयार किया है। एफआईआर तभी दर्ज हो, जब एसपी स्तर के अधिकारी या उससे ऊपर के अधिकारी को लगता है कि देशद्रोह का आरोप लगाया जाना चाहिए।
अदालत में एसजी ने कहा कि आप (सुप्रीम कोर्ट) निर्देश दे सकते हैं कि जमानत के आदेश पर शीघ्र निर्णय किया जाए। लेकिन इससे परे एक ऐसे कानून पर बने रहना गलत होगा, जिसकी संवैधानिकता को पहले ही आंका जा चुका है। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि हम इस प्रस्ताव का विरोध करते हैं। उन्होंने कहा इस क़ानून पर रोक लगनी चाहिए।