पीयू छात्र परिषद में नारी शक्ति जीती, सूरत बदली

पंजाब विश्वविद्यालय के छात्रों ने इस बार धनपति और बाहुबली ताकतों को भारी शिकस्त दी है। इस जागरूकता से इस बार विश्वविद्यालय में दक्षिणपंथी कामयाब नहीं हो पाए। तमाम विरोध और शोरगुल के बावजूद वहां एक छात्रा कनुप्रिया पंजाब विश्वविद्यालय छात्र परिषद के अध्यक्ष पद पर जीती है। उन्हें 2802 वोट मिले।

पंजाब विश्वविद्यालय में काफी लंबी लड़ाई के बाद छात्र राजनीति में ऐसे वामपंथी कामयाब हो सके जो छात्रों की समस्याएं जानते थे। पहले सिर्फ एनएसयूआई और एसओआई छात्र इकाइयां थी जो छात्रों के मुद्दों को जोरदार तरीके से उठाती तो थी लेकिन छात्रों को वे जोड़े नही रख पाते थे।

तकरीबन आठ साल पहले पंजाब विश्वविद्यालय के परिसर में सचिंदर पाली और उनके चार साथियों ने स्टूडेंट्स फेडरेशन फार सोसाइटी (एसएफएस) की शुरूआत की। आज इनमें से सिर्फ सचिंदर पाल पाली ही सक्रिय है। वे कहते है कि इस बार की जीत बताती है कि बाहुबल, धन की बारिश और यह ठसक की महिलाएं पंजाब विश्वविद्यालय में अध्यक्ष नहीं बन सकती जैसी सोच को तोडऩे में हमें इस बार कामयाबी मिली है। एसएफआई को 2013 में परिसर में ज़्यादातर छात्रों ने अपना साथी संगठन माना था। जब फीस बढ़ाए जाने के विरोध में छात्र एकजुट हुए। लेकिन अप्रैल 2017 में इसे ‘अराजकतावादी’ और ‘पत्थरबाज’ कहकर बदनाम किया गया। पहली बार एसएफएस ने 2014 में महिला अध्यक्ष के तौर पर अमनदीप कौर को छात्र संघ चुनाव में उतारा। हालांकि वह हार गई। एक साल बाद 2016 और 2017 में भी एसएफएस के छात्र चुनाव में उतरे। लेकिन वे हारते रहे।

लेकिन पार्टी ने उम्मीद नहीं खोई। अपनी रणनीति बदल ली। अपने नेताओं को छात्रों के बीच प्रचार में डाला और उन्हें रुपयों और बाहुबल का मुकाबला करने की प्रेरणा दी।

पंजाब विश्वविद्यालय के छात्र स्ंाघ चुनाव में हमेशा ताकत, रुपया और बाहुबल छाया रहा है। एसएफएस ने अपने न्यूनतम कार्यक्रमों के तहत दूसरी पार्टियों के लोगों से भी बातचीत करके उन्हें प्रेरित किया कि वे परिसर में अपना खर्च भी सीमित करें। इन्होंने हर समस्या पर आपसी संवाद बढ़ाने पर ज़्यादा से ज़्यादा जोर दिया। इनकी मांग थी कि लड़कियों के लिए चौबीस घंटे की छात्रावास में छूट हो। हर किसी को छात्रावास की सुविधा मिले। स्वंय वित्तपोषी कोर्स की पढ़ाई में फीस का ढांचा नियमित हो। छात्रों को स्कालरशिप मिले। सीनेट में उनका प्रतिनिधित्व हो।

छात्रों के मुद्दों को चुनावी मुद्दों में बदलना और उनका लाभ छात्रों तक पहुंचाने का काम खासा कठिन होता है। लेकिन अब एसएफएस पर है कि कैसे वह इसे हासिल कर पाती है। यह सब मुश्किल तब और हो जाता है जब विश्वविद्यालय का वाइस चांसलर खुद छात्र विरोधी जान पड़ता हो।

एसएफएस की पंजाब विश्वविद्यालय में जीत से यह बात ज़रूर साबित हुई है कि वहां के छात्रों ने कितनी हिम्मत करके उस छात्र राजनीति से तौबा किया जिसमें मार-पीट-हिंसा ओर रुपयों की बरसात होती दिखती थी। अब वे समझ चुके हैं कि परिसर में पढ़ाई-लिखाई का शांत माहौल होना चाहिए। जहां समस्याएं है उन पर ठंडे दिमाग से बातचीत करते हुए उनका निदान करना चाहिए। तभी समाज स्वस्थ और खुशहाल हो पाता है। एसएफएस के नेता हरमनदीप सिंह का मानना है कि उनकी छात्र संस्था की जीत पंजाब विश्वविद्यालय के परिसर में लोकतंत्र की जीत है।

पंजाब विश्वविद्यालय छात्र संघ की पहली महिला अध्यक्ष कनुप्रिया ने अपने पहले ही इंटरव्यू मे अपने इरादे साफ कर दिए। उन्होंने कहा कि अब पंजाव विश्वविद्यालय में आरएसएस का एजेंडा नहीं चलेगा। अब छात्र ही राजनीति करेंगे और छात्रों के ही मुद्दे लिए जाएंगे। विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ बातचीत करके जो मॉडल निकलेगा उसे ही आगे बढ़ाया जाएगा। इस सवाल के जवाब में कि उनका छात्र राजनीति के प्रति लगाव कैसे बढ़ा तो उनका जवाब था कि छात्रों के मुद्दों की वजह से ही मैं चुनाव लड़ी। उन्होंने आगे कहा कि छात्रों के मुद्दे उठाना और उन्हें अधिक से अधिक सुविधाएं दिलवाना मेरी प्राथमिकता होगी। कनुप्रिया ने कहा विश्वविद्यालय के विभागों में जो भी खामियां है उन्हें दूर करने का प्रयास करूंगी। इसके अलावा छात्रों के अधिकारों के लिए भी मेरी और एसएफएस की लड़ाई जारी रहेगी। छात्रावास देने मेें पारदर्शिता लाने का काम किया जाएगा। लड़के और लड़कियों के बीच भेदभाव दूर करने का प्रयास करेंगे। लड़कियों के छात्रावास में 24 घंटे प्रवेश के लिए मेरी मांग मेरी प्राथमिकता होगी। इसके साथ ही विश्वविद्यालय परिसर में सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता कराने का प्रयास भी किया जाएगा। जनरल हाउस की बैठक के बाद कामों को करवाने के लिए वीसी ऑफिस में फाइल भेजी जाएगी।

एसएफएस के अध्यक्ष दमनप्रीत और हरमनदीप ने बताया कि कनुप्रिया कुछ सालों से काफी सक्रिय है। राजनीतिक मुद्दों पर उनकी अच्छी पकड़ है और उनमें नेतृत्व के सभी गुण हैं। छात्रों के सभी मुद्दों पर वे अपनी राय बेबाकी से रखती हैं।

पंजाब विश्वविद्यालय छात्र परिषद के चुनाव के परिणाम

अध्यक्ष:

कनुप्रिया (एसएफएस)    2802

आशीष राणा (एबीवीपी) 2083

जीत अंतर     719

उपाध्यक्ष:

दलेर सिंह (सोई)      3155

प्रदीप सिंह (एनएसयूआई) 2227

हरआशीष चाहल (एसएफपीयू)    1739

जीत का अंतर   333

सचिव:

अमरिदंर सिंह (सोई)    2745

अरूण कादियान (एनएसयूआई)   2409

सहिल जगलान (एसएफपीयू)     2180

सहसचिव:

विपुल आत्रेय (एनएसयूआई)     2357

हेंमत शर्मा (एचएसए)   2274

नीती धीमान (हिमासू)   2072

रोहित सिंह राणा (एचपीएसयू)   1600

जीत का अंतर   83

(एचएएस का गठबंधन एबीवीपी के साथ था। जबकि हिमाचल स्टूडेंट यूनियन (हिमासू) सोई के साथ मिली थी। हिमाचल प्रदेश स्टूडेंट यूनियन (एचपीएसयू) ने पुसु के साथ गठबंधन किया था)