एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने यह खुलासा करके भाजपा को बड़ी पेचीदी स्थिति में डाल दिया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार बनाने में मदद के लिए ”साथ मिलकर काम करने” का ऑफर दिया था, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया था। उनकी बेटी सुप्रिय सुले को केंद्र में मंत्री पद देने की पेशकश भी की गयी थी। पवार ने यह ब्यान देकर एक तरह से यह साफ़ कर दिया है कि किसी भी लालच में पड़े बिना उन्होंने शिव सेना सरकार को समर्थन का अपना वादा किसी भी स्तर पर नहीं तोड़ा था। दूसरे पीएम जैसे व्यक्ति से अपनी बातचीत को सार्वजनिक करके पवार ने कुछ न कहकर भी यह सन्देश देने की कोशिश की है कि महाराष्ट्र में ”हर हालत में भाजपा की सरकार” बनाने की कोशिश पीएम के स्तर पर हो रही थी।
पवार ने पीएम की तरफ से ऑफर का यह खुलासा एक मराठी चैनल को दिए इंटरव्यू में किया है। पवार ने इस इंटरव्यू में कहा है कि महाराष्ट्र के किसानों के मुद्दे पर बातचीत करके जब वे बाहर आने के लिए उठ रहे थे तब पीएम ने उन्हें यह ऑफर दिया यानी ”साथ काम करने” का प्रस्ताव दिया।
महाराष्ट्र में शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन की विकास आघाड़ी सरकार बनने के बाद पवार का यह बड़ा खुलासा है। शरद पवार ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें ”साथ मिलकर काम” करने का प्रस्ताव दिया था लेकिन उन्होंने प्रस्ताव को ठुकरा दिया। पवार ने मराठी टीवी चैनल को साक्षात्कार में दावा किया कि उनकी बेटी सुप्रिया सुले को मोदी सरकार में मंत्री पद का ऑफर भी दिया गया था।
इंटरव्यू में पीएम से हुई मुलाकात पर पवार ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने जब ”साथ आकर काम करने” का प्रस्ताव दिया था उन्होंने पीएम से कहा था कि हमारे निजी संबंध बहुत अच्छे हैं और वे हमेशा रहेंगे, लेकिन मेरे लिए साथ मिलकर काम करना संभव नहीं है। पवार ने कहा कि पीएम मोदी ने बेटी सुप्रिया सुले को कैबिनेट मंत्री बनाने का भी प्रस्ताव रखा था।
शरद पवार ने कहा कि पीएम मोदी का प्रस्ताव मैंने खारिज कर दिया था। पवार ने आधी रात को हुए शपथ पर कहा कि २८ नवंबर को जब उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो उस समय अजित पवार को शपथ नहीं दिलाने का फैसला ”सोच समझकर” किया गया था। उन्होंने कहा कि अजित पवार के फैसले में मेरी सहमति नहीं थी। ”जब मुझे अजित के (देवेंद्र फडणवीस को दिए गए) समर्थन के बारे में पता चला तो सबसे पहले मैंने ठाकरे से संपर्क किया। मैंने उन्हें बताया कि जो हुआ वह ठीक नहीं है और उन्हें भरोसा दिया कि मैं अजित के बगावत को दबा दूंगा”। मराठा दिग्गज ने कहा कि जब एनसीपी में सबको पता चला कि अजित के कदम को मेरा समर्थन नहीं है, तो जो पांच-दस (विधायक) उनके (अजित) साथ थे, उनपर दबाव बढ़ गया। अजित ने जो किया माफी योग्य नहीं है।