देश में अब 18 वर्ष से ऊपर के नागरिकों को भी 21 जून से मुफ्त में वैक्सीन लगेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम संबोधन में इसकी घोषणा की। केंद्र मुफ्त टीके का खर्चा उठाएगा और टीकाकरण का पूरा जिम्मा अब केंद्र ही संभालेगा। कांग्रेस नेता राहुल गांधी सहित अन्य राजनीतिक दल पहले से यह वैक्सीन मुफ्त में देने की मांग कर रहे थे। हालांकि, जो लोग निजी अस्पतालों में वैक्सीन लगवाना चाहेंगे उन्हें केंद्र के निर्धारित नियमों और मूल्य के तहत ही यह वैक्सीन अस्पतालों को लगवानी होगी।
मोदी ने यह भी ऐलान किया कि पिछले साल लॉक डाउन के समय मुफ्त राशन की जो योजना शुरू की थी उसे (प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना) को दीवाली तक बढ़ा दिया है। इसे पहले मई-जून तक के लिए घोषित किया गया था।
पीएम ने बताया कि देश में 23 करोड़ से ज्यादा कोरोना टीके लग चुके हैं।
देश में कोरोना संकट की बात करें तो अब मामले धीरे-धीरे कम हो रहे हैं। ज्यादातर राज्यों में कोरोना का पीक आकर जा चुका है, ऐसा लगता है।
पीएम ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर से पहले फ्रंटलाइन वर्कर्स, डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ को टीका नहीं लगा होता तो क्या होता। टीका लगा होने की वजह से वे निश्चिंत होकर काम कर पाए।
मोदी ने कहा – ‘पिछले एक साल में भारत ने दो मेड एन इंडिया वैक्सीन लॉन्च की। अब 23 करोड़ से ज्यादा कोरोना टीके लगाए जा चुके हैं। अभी और कोरोना टीके भी आएंगे। नेजल स्प्रे वैक्सीन पर काम चल रहा है। इसमें सफलता मिलती है तो टीकाकरण में और तेजी आएगी। बच्चों के लिए दो कोरोना टीकों पर काम चल रहा है।’
उन्होंने कहा कि पिछले काफी समय से देश लगातार जो प्रयास और परिश्रम कर रहा है, उससे आने वाले दिनों में वैक्सीन की सप्लाई और भी ज्यादा बढ़ने वाली है। आज देश में 7 कंपनियाँ, विभिन्न प्रकार की वैक्सीन्स का प्रॉडक्शन कर रही हैं। तीन और वैक्सीन्स का ट्रायल भी एडवांस स्टेज में चल रहा है।
मोदी ने कहा कि आज पूरे विश्व में वैक्सीन के लिए जो मांग है, उसकी तुलना में उत्पादन करने वाले देश और वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां बहुत कम हैं। कल्पना करिए कि अभी हमारे पास भारत में बनी वैक्सीन नहीं होती तो आज भारत जैसे विशाल देश में क्या होता? आप पिछले 50-60 साल का इतिहास देखेंगे तो पता चलेगा कि भारत को विदेशों से वैक्सीन प्राप्त करने में दशकों लग जाते थे।
पीएम ने कहा – ‘अभी हमारे पास भारत मे बनी वैक्सीन नहीं होती तो भारत जैसे विशाल देश में क्या होता ? सेकेंड वेव के दौरान अप्रैल और मई के महीने में भारत में मेडिकल ऑक्सीजन की डिमांड अकल्पनीय रूप से बढ़ गई थी। भारत के इतिहास में कभी भी इतनी मात्रा में मेडिकल ऑक्सीजन की जरूरत महसूस नहीं की गई। इस जरूरत को पूरा करने के लिए युद्धस्तर पर काम किया गया। सरकार के सभी तंत्र लगे. मोदी बोले कि सरकार ने मिशन मोड पर काम किया।’
मोदी ने यह भी ऐलान किया कि पिछले साल लॉक डाउन के समय मुफ्त राशन की जो योजना शुरू की थी उसे (प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना) को दीवाली तक बढ़ा दिया है। इसे पहले मई-जून तक के लिए घोषित किया गया था।
पीएम ने बताया कि देश में 23 करोड़ से ज्यादा कोरोना टीके लग चुके हैं।
देश में कोरोना संकट की बात करें तो अब मामले धीरे-धीरे कम हो रहे हैं। ज्यादातर राज्यों में कोरोना का पीक आकर जा चुका है, ऐसा लगता है।
पीएम ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर से पहले फ्रंटलाइन वर्कर्स, डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ को टीका नहीं लगा होता तो क्या होता। टीका लगा होने की वजह से वे निश्चिंत होकर काम कर पाए।
मोदी ने कहा – ‘पिछले एक साल में भारत ने दो मेड एन इंडिया वैक्सीन लॉन्च की। अब 23 करोड़ से ज्यादा कोरोना टीके लगाए जा चुके हैं। अभी और कोरोना टीके भी आएंगे। नेजल स्प्रे वैक्सीन पर काम चल रहा है। इसमें सफलता मिलती है तो टीकाकरण में और तेजी आएगी। बच्चों के लिए दो कोरोना टीकों पर काम चल रहा है।’
उन्होंने कहा कि पिछले काफी समय से देश लगातार जो प्रयास और परिश्रम कर रहा है, उससे आने वाले दिनों में वैक्सीन की सप्लाई और भी ज्यादा बढ़ने वाली है। आज देश में 7 कंपनियाँ, विभिन्न प्रकार की वैक्सीन्स का प्रॉडक्शन कर रही हैं। तीन और वैक्सीन्स का ट्रायल भी एडवांस स्टेज में चल रहा है।
मोदी ने कहा कि आज पूरे विश्व में वैक्सीन के लिए जो मांग है, उसकी तुलना में उत्पादन करने वाले देश और वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां बहुत कम हैं। कल्पना करिए कि अभी हमारे पास भारत में बनी वैक्सीन नहीं होती तो आज भारत जैसे विशाल देश में क्या होता? आप पिछले 50-60 साल का इतिहास देखेंगे तो पता चलेगा कि भारत को विदेशों से वैक्सीन प्राप्त करने में दशकों लग जाते थे।
पीएम ने कहा – ‘अभी हमारे पास भारत मे बनी वैक्सीन नहीं होती तो भारत जैसे विशाल देश में क्या होता ? सेकेंड वेव के दौरान अप्रैल और मई के महीने में भारत में मेडिकल ऑक्सीजन की डिमांड अकल्पनीय रूप से बढ़ गई थी। भारत के इतिहास में कभी भी इतनी मात्रा में मेडिकल ऑक्सीजन की जरूरत महसूस नहीं की गई। इस जरूरत को पूरा करने के लिए युद्धस्तर पर काम किया गया। सरकार के सभी तंत्र लगे. मोदी बोले कि सरकार ने मिशन मोड पर काम किया।’