कोरोना वायरस से लड़ने के लिए फंड के नाम पर पीएम नरेंद्र मोदी एक नया फंड बनाने का ऐलान किया था। पीएम केयर्स फंड नाम से बनाए गए इस फंड को लेकर आम लोगों के बीच इसके हिसाब-किताब को लेकर काफी हलचल है। लोग यह जानना चाह रहे हैं कि इसमें कितना पैसा जमा हुआ है और वह कहां पर खर्च किया जा रहा है।
एक दिन पहले ही पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने भी पीएम केयर्स फंड से हर एक प्रवासी मजदूर को 10 हजार रुपये की मदद देने की अपील की थी। अब इस मामले को वकील अरविंद वाघमारे अदालत में ले गए हैं। मामले की सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने पीएम केयर्स फंड को लेकर नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। हाईकोर्ट ने नोटिस केंद्र सरकार और फंड के ट्रस्टियों को भेजा गया है। कोर्ट ने पूछा है कि फंड में कितने पैसे जमा हुए और कितने खर्च किए गए हैं?
वकील अरविंद वाघमारे ने याचिका में कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी पीएम केयर्स फंड के लिए बने ट्रस्ट के चेयरपर्सन हैं।गृह, वित्त और रक्षा मंत्री इसके सदस्य हैं। यह फंड कोरोना वायरस के चलते हुई समस्या से निपटने के लिए बनाया गया है। इसके जरिये इससे प्रभावित लोगों की मदद करने की बात कही गई थी। फंड बनाते समय कहा गया था कि तीन प्रतिष्ठित लोगों को बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के लिए नॉमिनेट किया जाएगा, पर उनके नाम तक तय नहीं हुए। इसके बावजूद इस फंड में अरबों रुपये का दान लिया गया।
वाघमारे ने कहा कि इस फंड में जितना भी पैसा जमा हुआ है, उसकी जानकारी सरकार वेबसाइट पर मुहैया कराई जाए। इस फंड की जांच का जिम्मा भारत के नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक यानी कैग को दिया जाए। इसके अलावा फंड के लिए बने ट्रस्ट में दो सदस्य विपक्षी दलों के भी होने चाहिए।
याचिका पर सुनवाई के दौरान भारत सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह पेश हुए। उन्होंने फंड की जांच कराने का न सिर्फ विरोध कि बल्कि याचिका को खारिज करने की अपील भी की। उन्होंने कोर्ट को बताया कि अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने इसी तरह की याचिका को खारिज कर दिया था। लेकिन जस्टिस एसबी शुक्रे और जस्टिस एएस किलोर की पीठ ने सरकार की दलील को नहीं माना। पीठ ने आदेश दिया कि सरकार दो हफ्ते के अंदर याचिका के जवाब में एफिडेविट दाखिल करे।