देश में कोरोना के कुल मामले ७०,००० पार हो जाने और गरीब-मजदूरों की लॉक डाउन के चलते बड़े पैमाने पर दुर्दशा के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज (मंगलवार) शाम ८ बजे फिर देश को संबोधित करेंगे। इससे पहले उन्होंने दो बार देश को संबोधित किया था। मोदी ने देश भर में मुख्यमंत्रियों से लॉक डाउन और कोविड-१९ को लेकर चर्चा की थी। कई राज्य, खासकर गैर भाजपा शासित राज्य, यह आरोप लगाते रहे हैं कि उन्हें केंद्र से उचित मदद नहीं मिल पा रही।
आज शाम ८ बजे पीएम मोदी देश को क्या बताएँगे, यह तो तभी पता चलेगा लेकिन मुख्यमंत्रियों से उनकी बातचीत के दौरान यह जाहिर हुआ है कि ज्यादातर राज्य अभी लॉक डाउन ख़त्म करने के हक़ में नहीं हैं। लॉकडाउन-तीन १७ मई को पूरा हो रहा है। सवाल यही है कि क्या इसे बढ़ाया जा सकता है ?
मुख्यमंत्रियों और पीएम के बीच हुई बैठक से जो संकेत दिख रहे हैं उससे तो यही लगता है कि लॉकडाउन बढ़ सकता है, खासकर बहुत ही संवेदनशील इलाकों में। हालांकि, इसमें राज्यों को ज्यादा अधिकार मिल सकते हैं जैसा कि कांग्रेस के नेता राहुल गांधी भी मांग कर चुके हैं। कुछ दिन पहले की प्रेस कांफ्रेंस में उनका कहना था कि लॉक डाउन में चीजें नीचे से ऊपर की तरफ जानी चाहिए न कि ऊपर से नीचे।
सोमवार की पीएम और सीएम बैठक काफी लंबी चली थी। मुख्यमंत्रियों ने अपनी परेशानियों, लॉकडाउन को लेकर मुद्दे सामने रखे। महाराष्ट्र, पंजाब, बंगाल और तेलंगाना ने लॉकडाउन बढ़ाने की मांग की जबकि कई अन्य राज्यों ने सिर्फ रेड ज़ोन और कंटेनमेंट ज़ोन में सख्ती का सुझाव दिया।
प्रधानमंत्री की ओर से राज्यों से लॉकडाउन को खोलने, आर्थिक गतिविधियों को चालू रखने और ग्रीन-रेड-ऑरेंज जोन को लेकर सुझाव मांगे गए हैं। कई राज्यों ने इस बात की मांग की थी कि ज़ोन तय करने की ताकत राज्य के हाथ में दे दी जाए। उद्धव ठाकरे ने कहा कि बिना लॉकडाउन के आगे बढ़ना काफी मुश्किल हो सकता है, वहीं ममता बनर्जी ने केंद्र पर राजनीति करने का आरोप लगाया और कहा कि हर किसी का साथ में होना जरूरी है। तेलंगाना, तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों ने ट्रेन सेवा या विमान सेवा की शुरुआत करने को मना किया।
इस बीच देश में कोविड-१९ संक्रमित लोगों का आंकड़ा ७१,२६८ हो गया है जिसमें ४५,९२६ सक्रिय मामले हैं जबकि २३,०२८ स्वस्थ , देश भर में २३१० लोगों की मौत हुई है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा ८६८, गुजरात में ५१३, मध्य प्रदेश में २२१, पश्चिम बंगाल में १९०, राजस्थान में ११५, दिल्ली में ८६ लोगों की जान गयी है।