प्रॉविडेंट फण्ड (पीएफ) के कैलकुलेशन के लिए सुप्रीम कोर्ट ने पीएफ सदस्यों के लिए बहुत बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक स्पेशल अलाउंस भी बेसिक सेलरी का हिस्सा है और इसके आधार पर (इन सबको जोड़कर ही) पीएफ कटना चाहिए। कोर्ट के मुताबिक कंपनियां सैलरी से ”स्पेशल अलाउंस” को अलग नहीं कर सकतीं।
अभी तक कंपनियां पीएफ काटते समय बेसिक सैलरी में स्पेशल अलाउंस को नहीं जोड़ती थीं। इसे लेकर पीएफ ट्रिब्यूनल सहित दुसरी जगह कर्मचारियों के केस चल रहे थे। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय से फैसला आने के बाद कर्मचारियों के हिस्से बड़ी खुशी आई है। अब कंनियों को प्रोविडेंट फंड डिडक्शन के कैलकुलेशन में यह अलाउंस भी जोड़ने होंगे।
इस फैसले का हालाँकि उन कर्मचारियों पर असर नहीं होगा, जिनकी बेसिक सैलरी और स्पेशल अलाउंस हर महीने १५,००० रुपये से ज्यादा हैं। सुप्रीम कोर्ट की बेंच से पूछा गया था कि क्या संस्थान कर्मचारी को जो स्पेशल अलाउंस देते हैं, वे डिडक्शन के कम्प्यूटेशन के लिए ”बेसिक सैलरी” के दायरे में आएंगे कि नहीं।
इस पर फैसला देते हुए जस्टिस सिन्हा ने कहा – तथ्यों के आधार पर वेज स्ट्रक्चर और सैलरी के अन्य हिस्सों को देखा गया है। एक्ट के तहत अथाॉरिटी और अपीलीय अथॉरिटी दोनों ने इसकी परख की है। ये दोनों ही इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि अलाउंस बेसिक सैलरी का हिस्सा हैं। इसे छद्म तरीके से अलांउस की तरह दिखाया जाता है ताकि कर्मचारियों के पीएफ अकाउंट में डिडक्शन और कॉन्ट्रिब्यूशन से बचा जा सके। तथ्यों के निष्कर्ष के साथ हस्तक्षेप का मामला नहीं बनता है।