कोरोना की बढ़ती रफ्तार को रोकने लिये केन्द्र और राज्य सरकारें तामाम पाबंदियां लगा रही है। लेकिन सरकार ये भूल रही है। कि एक पाबंदी पर दूसरी पाबंदी लगाये जाने पर पहली पांबदी शिथिल पड़ जाती है। वैसे ही कोरोना को रोकने के लिये देश में तामाम तरह की पाबंदी लग चुकी है। अब फिर पाबंदियों का सिलसिला जारी कर दिया गया है। जबकि सच्चाई सरकार जानती है। साधन के अभाव में लोगों के बीच अफरा-तफरी और आराजकता वाला माहौल बनता है।
दिल्ली-एनसीआर वैसे ही तामाम पाबंदियों के चपेट में है। उस पर दिल्ली सरकार ने मैट्रो और दिल्ली परिवहन बसों पर 50 प्रतिशत तक यात्रियों को आना-जाने की अनुमति दी है। ऐसे में अब फिर से बस अड्डो और मैट्रो स्टेशन पर यात्रियों की भीड़ बढ़ेगी। जो कोरोना को बढ़ावा में एक अहम् भूमिका निभा सकते है।
लोगों ने तहलका संवाददाता को बताया कि सरकार अगर साधन बढ़ाये जाये और लोगों को सहूलियत दें। तो ठीक है। अन्य़था बसों में जगह ना मिलने के काऱण दूसरी बसों के इंतजार में सैकड़ों लोगों की भीड़ एकत्रित होगी जो आसानी से कोरोना संक्रमण फैला सकती है।सोशल वर्कर अनिल अरोड़ा का कहना है कि वैसे ही देश की आर्थिक स्थिति कोरोना काल में बिगड़ी है। ऐसे में सरकार को बाजारों में यात्रायात में व्यवस्था ना लगाकर लोगों को सुविधाओं कर विचार करना होगा। अन्य़था लोगों की अनियंत्रित भीड़ लोगों के बीच कोरोना को आसानी से फैला सकती है।
क्योंकि सरकार तो दिल्ली परिवहन की बसों में तो यात्रियों को 50 प्रतिशत की पाबंदी लगा रही है। जबकि मिनी प्राईवेट बस वाले ठूस-ठूस कर यात्रियों को ले जाते। उस पर सरकार को कोई कारगर कदम उठाने होगे। अन्य़था सब बेमानी साबित होगा।