राजस्थान के चूरू की जनसभा में आक्रमक अंदाज में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह कहा कि ‘देश सुरक्षित हाथों में है’ तो यह साफ हो गया कि पुलवामा की घटना के बाद भारत की पाकिस्तानी की सीमा केभीतर जाकर आतंकियों के ठिकाने पर की गई हवाई कार्रवाई (एयर स्ट्राइक) ने दो महीने बाद होने वाले चुनाव की धारा को बदल दिया है।
निश्चित रूप से, पुलवामा हमले और भारत की प्रतिक्रिया का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए, लेकिन सर्जिकल स्ट्राइक 2.0 आने वाले दिनों और महीनों में निश्चित ही चर्चा के केंद्र में रहेगी।
इस सब से भाजपा के लिए पटकथा कैसे बदलेगी, यह तब स्पष्ट हो गया था जब प्रधानमंत्री ने 2014 के चुनाव प्रचार के लिए गीतकार प्रसून जोशी लिखित भाजपा गान का पाठ किया था – ‘सौगंध मुझे इस मिट्टीकी, मैं देश नहीं मिटने दूंगा, मैं देश नहीं रुकने दूंगा, मैं देश नहीं झुकने दूंगा।’ भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी ट्वीट किया – ‘हमारे सशस्त्र बलों की बहादुरी और वीरता को बधाई और नमन। कार्रवाई बताती हैकि भारत पीएम नरेंद्र मोदी के मजबूत और निर्णायक नेतृत्व में सुरक्षित है।’
पिछले साल तीन राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के चुनावों में भाजपा को झटका देने के बाद कांग्रेस आम चुनाव में अपने पुनरुथान की उमीद कर रही थी। साल के शुरू में कांग्रेस अध्यक्ष राहुलगांधी ने मास्टरस्ट्रोक खेला और बहन प्रियंका गांधी वाड्रा को महासचिव बनाकर 80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में ज्योतिरादित्य माधवराव सिंधिया के साथ सूबे में कांग्रेस को पुनर्जीवित करने का जिमासौंपा। बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में एक मजबूत गठबंधन बनाया । तृणमूल कांग्रेस ने विपक्षी एकता के लिए ‘सामान्य न्यूनतम कार्यक्रम’ का एक विचार सामने रखा।
भाजपा जानती है कि एक भावनात्मक मुद्दा ही उसे जीत दोहराने का अवसर दे सकता है, और जनता के सामने वादा करने के लिए यह भी मुद्दा है कि उसके पास राष्ट्र को सुरक्षित और एकजुट रख सकने वालानेतृत्व है। पुलवामा हमले के बाद जनता में जबरदस्त गुस्सा था और तमाम देशभक्त भारतीय चाहते थे कि पाकिस्तान को करारा जवाब देते हुए सीआरपीएफ के 40 जवानों की शहादत का बदला लिया जाए।वायुसेना के पाक के भीतर आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले ने इस गुस्से को शांत किया है। देश में मोदी को उनके समर्थकों ने एक निर्णायक नेतृत्व के रूप में उभारा है। इसके लिए वे एक पीएम के रूप में उनकेसाहस दिखाने और सेना को ळी हैण्ड देने का उदहारण देते हैं। भाजपा नेता पहले से ही कहते रहे हैं कि ऐसा साहस 56 इंच सीने वाला व्यक्ति ही कर सकता है। हाल की इन घटनाओं से भाजपा ने देश में यहसन्देश दिया है राष्ट्र को एक सशक्त नेतृत्व चाहिए। वैसे भी विपक्ष के पास एयर स्ट्राइक की प्रशंसा करने के अलावा कोई चारा नहीं है, भले वे इसका श्रेय मोदी को नहीं देते। निसंदेह मोदी और भाजपा को इनपरिस्थितियों ने बढ़त प्रदान की है। हालांकि, यह भी सत्य है कि देश की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए हर राज्य के अपने स्थानीय मुद्दे भी हैं, जो चुनावों में भूमिका निभाते हैं। फि र भी भारत में कुछ चुनावएक अकेले कारक के कारण जीते या हारे गए हैं। नए हालत में विपक्ष को अपनी चुनावी रणनीति और मुद्दों में परिवर्तन करना होगा। हो सकता है हाल में ताकत से उभरे राफेल, किसानों के मसले, नौकरियों कीकमी, जीएसटी, नोटबंदी, अल्पसं[यकों में उभरा गुस्सा और असहिष्णुता जैसे ज्वलंत मुद्दे परदे के पीछे चले जाएं। विपक्ष अच्छी तरह जनता है कि भाजपा के इस राष्ट्रवाद का विरोध उस पर ‘’राष्ट्र विरोधी’’ होने काठप्पा चस्पा सकता है।
पुलवामा के बाद भाजपा नेता शहीदों के अंतिम संस्कार में शामिल हो रहे हैं और उनके परिजनों से मिल रहे हैं। राष्ट्रीय युद्ध स्मारक 25 फ रवरी को राष्ट्र को समर्पित किया गया। सोशल मीडिया पहले से ही इनसंदेशों से भरा पड़ा है जिसमें कहा गया है कि कांग्रेस 26/11 के बाद चुप रही, मोदी सरकार ने उड़ी और पुलवामा के बाद सर्जिकल स्ट्राइक करके बदला लिया। हवाई हमले अंतिम परिणामों में कितना अंतर लातेहैं, अभी कहना मुश्किल है, लेकिन सत्य यह है कि चुनाव से ऐन पहले चुनाव की धारा बदल गई है।