युद्ध कभी एक आवश्यक बुराई हो सकता है, लेकिन कितना भी आवश्यक क्यों न हो यह हमेशा एक बुराई है। यह कभी भी अच्छा नहीं होता। पूर्व अमेरिकी राष्ट्र्रपति जिमी कार्टर का यह कहना किसी तरह हज़ारों भारतीयों की दुर्दशा के अनुरूप है जिन्होंने भारत सरकार के द्वारा पाकिस्तान के साथ व्यापार शुल्क में अभूतपूर्व वृद्धि के निर्णय के बाद अचानक अपनी आजीविका खो दी। हजारों लोग जो इससे जीविका प्राप्त कर रहे थे जिनमें कुली, ड्राइवर, क्लीयरिंग एजेंट, इंपोर्ट हाउस के अलावा आयातक और व्यापारी हैं। वे पाकिस्तान के सामान पर आयात शुल्क में 200 फीसद की अचानक वृद्धि के कारण सदमे में हैं।
भारतीय सेना पर पुलवामा हमले के मद्देनज़र भारत सरकार ने एक अधिसूचना जारी की जिसमें द इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान से आने वाले सामान पर आयात शुल्क लगाया गया जो कस्टम टैरिफ अधिनियम 1975 की पहली अनुसूची के तहत आता है। कस्टम टैरिफअधिनियम की पहली अनुसूची में संशोधन करके इस शुल्क को 200 फीसद तक बढ़ा दिया गया है। यह अधिसूचना संख्या 5/2019-सीमा शुल्क 16.2.2019 को जारी की गई ।
हाल ही में कोच्चि बंदरगाह में 120 से अधिक कंटेनर, तूतिकोरिन में लगभग 200 कंटेनर और अटारी सीमा चेकपोस्ट के गोदाम में लगभग सामान से भरे 90 ट्रक खड़े हुए हैं क्योंकि आयातक 200 फीसद शुल्क का भुगतान करने में सक्षम नहीं है। अधिसूचना के अनुसार ‘‘पाकिस्तान में बना हुआ सामान अधिसूचना तारीख पर या उसके बाद पाकिस्तान या अन्य देशों से निर्यात किया गया। इससे पाकिस्तान से भारत में आयात प्रतिबंधित होगा, इसमें कोई शक नहीं है। लेकिन ‘‘पाकिस्तान से निर्यात’’ शब्द उन कार्गो को लक्षित करते हैं जिन्हें पहले ही पाकिस्तान से भेजा जा चुका है। पाकिस्तान से पहले भेजे गए कार्गो पर शुल्क की उच्च दर लागू करने से भारत में आयातकों को ही नुकसान होगा, इसलिए इस अधिसूचना के साथ भारत सरकार शायद इसके नतीजों को जाने बिनाद्ध कभी एक आवश्यक बुराई हो सकता है, लेकिन कितना भी आवश्यक क्यों न हो यह हमेशा एक बुराई है। यह कभी भी अच्छा नहीं होता। पूर्व अमेरिकी राष्ट्र्रपति जिमी कार्टर का यह कहना किसी तरह हज़ारों भारतीयों की दुर्दशा के अनुरूप है जिन्होंने भारत सरकार के द्वारा पाकिस्तान के साथ व्यापार शुल्क में अभूतपूर्व वृद्धि के निर्णय के बाद अचानक अपनी आजीविका खो दी। हजारों लोग जो इससे जीविका प्राप्त कर रहे थे जिनमें कुली, ड्राइवर, क्लीयरिंग एजेंट, इंपोर्ट हाउस के अलावा आयातक और व्यापारी हैं। वे पाकिस्तान के सामान पर आयात शुल्क में 200 फीसद की अचानक वृद्धि के कारण सदमे में हैं।
भारतीय सेना पर पुलवामा हमले के मद्देनज़र भारत सरकार ने एक अधिसूचना जारी की जिसमें द इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान से आने वाले सामान पर आयात शुल्क लगाया गया जो कस्टम टैरिफ अधिनियम 1975 की पहली अनुसूची के तहत आता है। कस्टम टैरिफअधिनियम की पहली अनुसूची में संशोधन करके इस शुल्क को 200 फीसद तक बढ़ा दिया गया है। यह अधिसूचना संख्या 5/2019-सीमा शुल्क 16.2.2019 को जारी की गई ।
हाल ही में कोच्चि बंदरगाह में 120 से अधिक कंटेनर, तूतिकोरिन में लगभग 200 कंटेनर और अटारी सीमा चेकपोस्ट के गोदाम में लगभग सामान से भरे 90 ट्रक खड़े हुए हैं क्योंकि आयातक 200 फीसद शुल्क का भुगतान करने में सक्षम नहीं है। अधिसूचना के अनुसार ‘‘पाकिस्तान में बना हुआ सामान अधिसूचना तारीख पर या उसके बाद पाकिस्तान या अन्य देशों से निर्यात किया गया। इससे पाकिस्तान से भारत में आयात प्रतिबंधित होगा, इसमें कोई शक नहीं है। लेकिन ‘‘पाकिस्तान से निर्यात’’ शब्द उन कार्गो को लक्षित करते हैं जिन्हें पहले ही पाकिस्तान से भेजा जा चुका है। पाकिस्तान से पहले भेजे गए कार्गो पर शुल्क की उच्च दर लागू करने से भारत में आयातकों को ही नुकसान होगा, इसलिए इस अधिसूचना के साथ भारत सरकार शायद इसके नतीजों को जाने बिना उन नागरिकों को दंडित कर रही है जिनका सामान पहले ही पाकिस्तान से बाहर जा चुका है लेकिन अभी तक भारतीय बंदरगाह पर नहीं पहुंचा है।
इसी समय हमारे देश ने किसी भी अधिसूचना द्वारा भारत से पाकिस्तान को होने वाले निर्यात पर कोई रोक नहीं लगाई है। संक्षेप में अधिसूचना में गलत अधूरे शब्दों के कारण न तो पाकिस्तान और न ही भारत सरकार को कुछ नुकसान हो रहा है लेकिन भारतीय आयातक जिनका सामान अधिसूचना के समय रास्ते में है वे हारे हुए हैं।
भारतीय आयातकों के चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के उपाध्यक्ष प्रदीप सहगल ने कहा, ‘‘आईपीसी से सामान की ढुलाई के लिए विभिन्न ट्रांसपोर्टरों द्वारा लगभग 900 ट्रकों को रूटीन में लगाया गया था जो कि अब व्यवसाय से बाहर हैं।’’ पंजाब में करीब 5000 परिवार पाकिस्तान के साथ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से व्यापार पर निर्भर है, जोकि सीमावर्ती जि़लों में कोई वैकल्पिक रोज़गार के अवसर उपलब्ध नहीं होने के कारण शुल्क की बढ़ोतरी से बुरी तरह प्रभावित हैं। सहगल ने कहा, ‘‘पाकिस्तान के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा साझी करने वाले जि़लों में पहले से ही राष्ट्रविरोधी और असामाजिक गतिविधियों का खतरा है। इस स्तर पर बेरोज़गारी आगे स्थिति को बदतर बना देगी।’’
पाकिस्तान से सीमेंट, जिप्सम, ड्राई फ्रूट और रसायन का प्रमुख आयात होता है। जबकि पाकिस्तान हमसे सूती धागा और कपास की गंाठें खरीदता है। ताजा सब्जियां का भी निर्यात किया जाता था लेकिन कुछ साल पहले पाकिस्तान ने इस पर रोक लगा दी। तीन साल पहले पाकिस्तान ने इतने कड़े प्रतिबंध लगाए थे कि सामान की खेप रद्द कर दी गई। किसानों की आय को दोगुना करना इनके एजेंडे में है। पािकस्तान के साथ व्यापार के सरल पुनरूद्वार की चर्चा कभी नहीं होती हैं। इसके लिए किसी नए निवेश की आवश्यकता नहीं है, केवल इरादे की ज़रूरत है।
नारायण एक्सिम्प कारपोरेशन के निदेशक राजदीप उप्पल ने तहलका को बताया कि हमारे नीति निर्माताओं के कार्यों और शब्दों में एक विरोधाभास बना रहता है। ‘‘हमारे व्यापार और वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार शुल्क वृद्धि पाकिस्तान को अलग करना है। यह हास्यास्पद दिखता है जब आप पाते हैं कि पाकिस्तान जो कुछ भारत से लेता उसे सस्ते मूल्य पर आयात कर रहा है। आयात शुल्क अछूते हैं। समझौता एक्सप्रैस फिर से शुरू की जाती है, करतारपुर कॉरिडोर के लिए बातचीत जारी है और कश्मीर सीमा से वस्तु विनिमय व्यापार बेरोकटोक जारी है। क्या व्यापार के एक हिस्से को सज़ा देने से पाकिस्तान को कोई नुकसान होगा। यह एक आधा-अधूरा प्रयास है और किसी को इससे लाभ नहीं होगा।’’
भारत ने 1996 में पाक को मोस्ट फेवरेट नेशन का दर्जा दिया था। बाघा से व्यापार 2.4 बिलियन अमरीकी डालर प्रतिवर्ष का है और मुख्य रूप से कश्मीर से तनाव के कारण काफी कम हो गया है। वास्तव में इस सीमा चौकी की अनुमानित क्षमता 70 बिलियन डालर से अधिक है। बिगडते रिश्तों ने क्षेत्र में सामाजिक, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, स्वास्थ्य सेवा पर्यटन की संभावनाओं को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है।
प्ंाजाब राज्य सीआईआई के पूर्व अध्यक्ष गनबीर सिंह ने कहा, ‘‘पाकिस्तान में नई इमरान सरकार बनने के बाद भी स्थिति में सुधार की कमी और भारत में राष्ट्रीय चुनाव, कश्मीर में विध्वंसकारी कार्रवाई के कारण दोनों देशों के व्यापार और वाणिज्य में सुधार की बहुत कम गुंजाइश है।’’
प्ंाजाबी विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर और वरिष्ठ अर्थशास्त्री सुच्चा सिंह गिल के अनुसार, ‘‘हमारा व्यापार पाकिस्तान के साथ ‘सरप्लस’ है, हम जितना निर्यात करते हैं उससे अधिक आयात करते हैं। आयात शुल्क में बढ़ोतरी से व्यापार की स्थिति खराब हो जाएगी और इससे हमारे देश को कोई लाभ नहीं होगा।’’
पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने 2012 में आईसीपी के उद्घाटन के साथ इस क्षेत्र के लोगों के उज्जवल भविष्य की उम्मीद की थी। क्योंकि इससे द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा मिलने की उम्मीद थी। लेकिन सरकारी नीतियों में फ्लिप-फ्लॉप और शांति के समय में संवाद की कमी व्यापार को सुविधाजनक बनाने में विफल रही है।
चाइॅस एसोसिएट्स एर्नाकुलम के मालिक अरूण जिमी 2014 से इस कारोबार में हैं। उनका कहना है कि हम पाकिस्तान से सीमेंट का आयात करते हैं और हमने सीमेंट के 90 से अधिक कंटेनर का आर्डर दिया। जब जहाज पर सामान लादने का कार्य हुआ तो अधिसूचना संख्या सीयूएस 50/2017 दिनांक 30.6.2017 के अनुसार शुल्क लागू था और केवल आईजीएसटी ही देय था। कंटेनर का 16.2.2019 से पहले कराची बंदरगाह से भेज दिया गया था। जब कंटेनर कोच्चि बंदरगाह पर पहुंचे तो हम पर अधिसूचना के अनुसार 200 फीसद सीमा शुल्क का भार है। इस अधिसूचना का उद्देश्य पाकिस्तान के व्यापार को रोकना था लेकिन अधिसूचना संख्या 05/2019 सीमा शुल्क दिनांक 16.02.2019 में स्पष्टता की कमी के कारण हम जैसे आयातकों पर अतिरिक्त सीमा शुल्क लगाया गया है।
कारोबार के संबंध में पूर्ण भुगतान अग्रिम रूप से कर दिया है इससे न तो पाकिस्तान का और न ही भारत सरकार को कुछ नुकसान हो रहा है। लेकिन नुकसान भारतीय नागरिक का ही है। क्योंकि पैसे पहले ही विक्रेता को भेज दिए है। कोच्चि आने वाले कार्गो को पाकिस्तान को वापिस करने से पाक को दोहरा फायदा होगा क्योंकि उन्हें पहले ही पैसे का भुगतान मिल चुका है और अब उन्हें सामान भी मिल जाएगा।
केंद्र सरकार का उद्देश्य पूरा होना चाहिए लेकिन न्याय सभी भारतीय नागरिकों के लिए समान रूप से किया जाना चाहिए। अधिसूचना में एक स्पष्टीकरण यह किया जा सकता है कि 16.2.2019 से पहले पाकिस्तान से जो भी कार्गो निकला उसे पहले से लागू शुल्क पर कस्टम क्लीरयंस दी जाएगी और नई अधिसूचना उन कार्गो के लिए है जो 16.2.2019 या उसके बाद पाकिस्तान से चले हैं। इस संबंध में तत्काल निर्णय की आवश्यकता है। इसमें देरी होने से बंदरगाह द्वारा कंटेनर पर बिलंब शुल्क और स्टीमर लाइन द्वारा अवरोध शुल्क लगेगा और यह आयातक के लिए एक बड़ा झटका होगा।
मौजूदा नियमों के अनुसार बंदरगाह पर जहाज के पहुंचने के 24 घंटे के भीतर आयात के दस्तावेज कस्टम को पहुंचाने होते हैं नही ंतो तीन दिनों तक 5000 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना देना पड़ता है। इसके बाद यह जुर्माना 10,000 रुपए प्रति दिन के हिसाब से लगता है। जहाजों से सीमेंट की खेप लंबे समय से आ रही है और ये बिना किसी जुर्माने के बंदरगाह से बाहर जाती रही है। यह देरी केवल अधिसूचना 05/2019 के कारण हुई है। इस अधिसूचना के अनुसार कस्टम डयूटी 200 फीसद कर दी गई। जो सामान जहाजों में उस समय चल पड़ा जब यह अधिसूचना जारी नहीं हुई थी, उसके व्यापारियों को भारी नुकसान हुआ है। इस तरह भारत का आयात अंधेरे की ओर है।
इसके बारे में हमने एक याचिका डब्ल्यूपीसी 6167/2019 केरल के हाईकोर्ट में डाली है। इसमें निवेदन किया गया है कि उन 90 कंटेनर को बढ़ी हुई ड्यूटी से राहत दी जाए जो इस अधिसूचना के जारी होने से पहले बंदरगाह से चल चुके थे। केरल हाईकोर्ट ने आयात करने वालों के हितों को ध्यान में रख कर अंतरिम आदेश जारी कर दिया।
दूसरी ओर चीन ने बड़े गुप्त तरीके से अपने उत्पाद बाज़ार में पहुंचा दिए जो कि सस्ते हैं। हालांकि उनकी गुणवत्ता अच्छी नहीं पर फिर भी उन्होंने बाज़ार पर अपनी पकड़ बना ली है। अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में चीन पाकिस्तान का साथ देता आ रहा है। अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ ने चीन में बने उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। उसने चीनी उत्पादों पर 300 से 500 फीसद कस्टम डयूटी लगाने की मांग भी की है। साथ ही उनकी मांग है कि व्यापारियों और छोटे उद्योगों को विशेष पैकेज दिया जाए। व्यापारियों का कहना है कि सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रही।