गंगा स्वच्छता अभियान के अंतर्गत विश्व की सबसे पवित्र नदी गंगा को उसकी वर्तमान प्रदूषित और दयनीय स्थिति से बाहर निकालकर दोबारा उसका मूल स्वरूप लौटाने के लिए पांच सकारों को मिलकर प्रयास करने होंगे। माने सरकार, सेना, संत, समाज और संस्थाएं। ये पांचों मिलकर सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं। ऐसा कहना है ऋषिकेश स्थित परमार्थ निकेतन आश्रम के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती का। इस बड़े और कठिन काम के लिए उनके परमार्थ निकेतन का मॉडल है- सबको जोडऩा और सबसे जुडऩा। इसके अलावा महानदी को फिर से अविरल और निर्मल बनाने के लिए जियो ट्यूब तकनीक का इस्तेमाल और छह टी का फार्मूला अना रहे हैं।
पिछले दिनों परमार्थ निकेतन में उनसे हुई विशेष मुलाकात में गंगा स्वच्छता अभियान को लेकर कई बातों पर चर्चा हुई। स्वामी चिदानंद कहते हैं कि गंगा स्वच्छता का काम केवल सरकार का नहीं है। जैसे मां गांगा सबकी है, वैसे ही सबको अपनी ईगो (अहं) और लोगों को दूरकर उसकी सेवा करनी चाहिए। सरकार को रोकें, टोकें लेकिन खुद को भी तो झोंके। हमें खुद को पर्यावरण के पैराकार बनना होगा। पहली बात जो कुछ भी कचरा व अन्य वस्तुएं गंगा में डाले जा रहे हैं, उन्हें बंद करना होगा। वेस्ट मैनेजमेंट करें लेकिन कचरे का उत्पादन न करें। अपनी जीवनशैली को बदलते हुए पर्यावरण प्रेमी बनें। मुनि ने कहा कि अगर हमें अपने भविष्य को अच्छा देखना है तो प्राकृतिक होकर चलना होगा। अपने गोबर से लिपे हुए फर्श की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि वे पचास वर्षों से यहीं बैठते आ रहे हैं और यहीं सबसे मिलते हैं। बांस की दीवारें, गोबर-मिट्टी का फर्श और हरियाली की शोभा इको फ्रेंडली निवास का उत्तम उदाहरण है।
बढ़ते कर्मकांड की वजह से प्रदूषित हो चुकी गंगा के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि अध्यत्म के मार्ग में मान की ज़रूरत होती है। इसके साथ ही कर्म तो करें मगर कांउ न करें, क्योंकि जब कांड होते हैं तो धर्म बदनाम होता है। कर्म बदनाम होता है तो हमें सजा मिलती है। धर्म बदनाम होता है तो आने वाली पीढिय़ां उसको भोगती हैं।
कांवड़ मेला न बने कूड़ा मेला
मेले मेल बढ़ाते हैं न कि मैल। नौ अगस्त को कांवड़ मेला संपन्न हो गया था लेकिन इतना कचरा पीछे छोड़ गया कि महीने भर उसकी गंदगी से स्थानीय लोगों, प्रशासन और स्वयसेवी संस्थाओं को दो-चार होना पड़ा। इसी दौरान 16 सितंबर को स्वामी चिदानंद ने भी आश्रम के अन्य लोगों के साथ मिलकर कांवड़ मेले वाली सारी सड़क को साफ किया। मुनि जी कहते हैं कि वो कांवड़ मेला नहीं कूड़ा मेला हो गया। उन्होंने बताया कि अगली बार के लिए कांवड़ वालों को पकड़ में लाना, उनको समझाना, उनको जोडऩे के लिए योजना बना रहे हैं। ताकि वे अपने कपड़े, प्लास्टिक पन्नियां जो साथ में लाते हैं यहां न छोड़कर जाएं, उनका स्तिारण करें या अपने साथ ले जाएं। इसके लिए रास्ते में कलश लगाए जाएंगे ताकि उनमें डाल सकें।
तय करें कौन सा गुटका हाथ में हो
कांवड़ यात्रा के दौरान नशे के बढ़ते चलन पर चर्चा हुई तो स्वामी चिदानंद ने इसका बड़ा अच्छा उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि एक वो लोग हैं जो डेढ़ सौ साल पहले अफ्रीका, ग्याना, फिजी, सूरीनाम, ट्रिनिडाड, अरेबियन देशों में गए लेकिन जर्दे-तंबाकू का नहीं, साथ में तुलसी का पौधा और रामायण का गुटका लेकर गए। आज भी हर घर के आगे तुलसी का पौधा, हनुमान का मंदिर और उनका ध्वज लगा हुआ मिलेगा। मुनि ने कहा कि आप ये क्या कर रहे हैं, गुटखा खा रहे हैं। उनका नारा है- ‘जि़ंदगी को हां-तंबाकू को ना’। स्वामी कहते हैं कि ये हमे तय करना है कि हाथ में कौन सा गुटखा लेना है। क्योंकि तंबाकू ज़हर है और ये ज़हर जिंदगी में कहर बन कर आएगा। इसके लिए समाज को जागरूक होना पड़ेगा, जब समाज खड़ा हो जाएगा तो न डिमांड होगी और न नशे की सप्लाई। इस्तेमाल हम करते हैं और दोष सरकारों को देते हैं।
परमार्थ निकेतन का 6 टी कार्यक्रम
शौचालयों का निर्माण, कूड़ादान लगाना, पेड़ लगाना, पीने वाले पानी के लिए नल लगाना, रास्तों का निर्माण और बाघों का सरक्षण।
गंगा एक्शन परिवार
स्वामी चिदानंद मुनि गंगा एक्शन परिवार के संस्थापक हैं जो 4 अप्रैल 2010 को शुरू की गई थी। इसमें प्रोफेशनल, इंजीनियर, वैज्ञानिक, धर्म गुरू, पर्यावरणविद् और समर्पित कार्यकता शमिल हैं।
जियो ट्यूब तकनीक
सीवेज प्वाइंट से सेल्फी प्वाइंट तक: स्वामी चिदानंद मुनि के मार्गदर्शन में गंदे नालों को साफ करने के लिए जियो ट्यूब तकनीक का नवीन प्रयोग किया गया है। उनका कहना है कि इस तकनीक के सफल रहने से जहां गंदे नाले साफ होंगे, वहीं नदियों को
गंदे नालों के पानी से मुक्ति मिलेगी। सीवर प्वाइंट को सेल्फी प्वाइंट बनाने का प्रयास है यह तकनीक। उन्होंने बताया कि चंद्रभागा नाले पर इस तकनीक का प्रयोग कर जल का शुद्धिकरण किया गया अैर प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सीवेज प्वाइंट पर सेल्फी लेने वाले पहले मुख्यमंत्री बने हैं।