जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पांच कश्मीरी अलगाववादी नेताओं को दी गयी सुरक्षा वापस ले ली है। इनमें हुर्रियत नेता मीरवाइज उमर फारुक भी शामिल हैं हालाँकि
सूची में अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी और यासीन मलिक का नाम नहीं है जिन्हें पाकिस्तान समर्थक नेता माना जाता है और जो रोज भारत विरोधी ब्यान जारी करते हैं।
जिन अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा वापस लेने की आदेश जारी किये गए हैं उनमें मीरवाइज़ के अलावा अब्दुल गनी बट्ट, बिलाल लोन, हाशिम कुरैशी और शब्बीर शाह शामिल हैं। बिलाल लोन के भाई सज्जाद लोन भाजपा-पीडीपी की पूर्व सरकार में भाजपा कोटे से मंत्री थे। उनकी पार्टी जम्मू कश्मीर में पीपल्स कांफ्रेंस भाजपा की सहयोगी पार्टी है। सज्जाद लोन २००९ में मुख्यधारा की राजनीति में शामिल हो गए थे हालाँकि, उनके बड़े भाई बिलाल लोन हुर्रियत के साथ हैं।
जेके प्रशासन ने पांच अलगाववादी नेताओं को जो सूची जारी की है उसमें आश्चर्यजनक रूप से वरिष्ठ अलगाववादी नेताओं सईद गिलानी और यासीन मलिक का नाम नहीं है जिन्हें पाकिस्तान समर्थक माना जाता है और वे आज़ादी के सबसे बड़े समर्थक रहे हैं। यह दोनों नेता हर रोज भारत विरोधी ब्यान जारी करते हैं। जेके प्रशासन के मुताबिक अलगाववादियों को दी गई सुरक्षा और उपलब्ध कराए गए वाहन रविवार (आज) शाम तक वापस ले लिए जाएंगे। उधर इन नेताओं ने कहा है कि उन्हें किसी सुरक्षा की ज़रुरत नहीं है।
आदेश के मुताबिक किसी भी अन्य कारण से इन नेताओं को सुरक्षा या सुरक्षाकर्मी मुहैया नहीं कराए जाएंगे। अगर सरकार ने उन्हें किसी तरह की सुविधा दी है तो वह भी भविष्य में वापस ले ली जाएगी। गौरतलब है कि गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को श्रीनगर दौरे पर कहा था कि पाकिस्तान और उसकी एजेंसी आईएसआई से पैसा हासिल करने वाले लोगों को दी गई सुरक्षा की समीक्षा की जाएगी।
जेके प्रशाशन का यह फैसला पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद आया है जिसमें एक आत्मघाती विस्फोट में सीआरपीएफ के ४० जवानों की शहादत हो गयी थी। पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (जेएएम) के आत्मघाती हमलावर ने विस्फोटकों से भरे वाहन से सीआरपीएफ की बस को टक्कर मार कर यह हमला किया था।