उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले चरण के 11 जिलों में मेरठ, अलीगढ़, नोएड़ा, हापुड़, शामली, बागपत, बुलंदशहर, मथुरा, आगरा, गाजियाबाद और मुजफ़्फ़रनगर में आज शाम 5 बजे चुनाव प्रचार थम जायेगा। इसलिये प्रचार के आखिरी दिन प्रत्याशियों ने घर–घर जाकर वोट मांगे।
बताते चलें चुनाव में भाजपा और सपा के बीच कांटे की टक्कर है। लेकिन बसपा और कांग्रेस भी सपा और भाजपा को चुनाव में पराजय करने के लिये जोर लगा रही है। चुनाव में जातीय समीकरण और ध्रुवीकरण की राजनीति जमकर चलीं है। 11 जिलों के पहले चरण में वोट 10 फरवरी को डाले जाने है। वहां जाट और मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका है।
इस लिहाज से दोनों जातियों के बीच प्रत्याशियों और पार्टियों की जोर-आजमाईस देखने को मिली है। यहां के लोगों का कहना है कि चुनाव जरूर विकास के नाम पर होता है। लेकिन मतदान जातीय और धर्म के नाम पर होता है। ऐसे में ये अभी स्पष्ट तौर पर नहीं कहा जा सकता है कि किस पार्टी के बीच, किस पार्टी का मुकाबला है। क्योंकि चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा, सपा–रालोद गठबंधन और बसपा के साथ –साथ कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं ने धर्म और जाति को लेकर वोट मांगे है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति के जानकार आर के मान का कहना है कि चुनाव में जाट, मुस्लिम के साथ किसानों का वोट इस बार चुनावी समीकरण बदल सकतें। जिससे चुनावी परिणाम चौंकाने वाले साबित होगे। यहां के किसानों की समस्या कृषि कानून के विरोध के अलावा गन्ना किसानों की अपनी समस्या है। ऐसे में किसानों के मूड़ को जानना आसान नहीं है। उनका कहना है कि चुनाव प्रचार के दौरान जिस अंदाज में राष्ट्रीय नेताओं ने घर–घर जाकर वोट मांगे उससे तो साफ है। कि इस बार चुनावी हवा का रूख कुछ ओर ही है।