तीन राज्यों केरल, पंजाब और राजस्थान के बाद सोमवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा ने भी नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर दिया। इसमें मांग की गयी है कि इस क़ानून को निरस्त किया जाये क्योंकि यह जनविरोधी है। कांग्रेस और माकपा भी सरकार के इस प्रस्ताव हे हक़ में हैं।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सीएए, एनसीआर और एनपीआर की मुखर विरोधी रही हैं। वे साफ़ तौर पर कह चुकी हैं कि इन्हें बंगाल में लागू नहीं किया जाएगा। आज विधानसभा में प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री और टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी ने कहा कि सीएए जनविरोधी है, इस कानून को फौरन निरस्त किया जाना चाहिए।
चर्चा के दौरान ममता ने कहा कि तुच्छ मतभेदों को दूर रखने और देश को बचाने के लिए एकजुट होने का वक्त आ गया है। ममता ने कहा – ”दिल्ली में एनपीआर बैठक में शामिल नहीं होने की बंगाल के पास कुव्वत है, यदि भाजपा चाहे तो मेरी सरकार बर्खास्त कर सकती है।”
बंगाल विधानसभा में सीएए के खिलाफ पास प्रस्ताव में केंद्र सरकार से इसे रद्द करने, राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) की योजनाओं को निरस्त करने की अपील की गई है। पश्चिम बंगाल से पहले केरल, पंजाब और राजस्थान विधानसभाओं में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पास हो चुके हैं।