पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा ऐलान किया है। राज्य में हिंदू मतदातों को रिझाने की दृष्टि से ममता ने सूबे के करीब 8250 से ज्यादा गरीब सनातन ब्राह्मण पुजारियों को हर महीने 1,000 रुपये भत्ता देने के अलावा मुफ्त आवास देने की भी घोषणा की है। भाजपा ममता पर अल्पसंख्यक तुष्टिकरण का आरोप लगाती रही है, लेकिन ममता के इस फैसले से भाजपा को बेचैनी हो सकती है। इसके अलावा ममता ने हिंदी सेल का भी गठन किया है।
ऐसा नहीं है ममता का यह कोई पहला फैसला है। मुख्यमंत्री ने काफी समय पहले सनातन ब्राह्मण संप्रदाय को कोलाघाट में एक अकादमी स्थापित करने के लिए भूमि प्रदान कर चुकी हैं। ममता का कहना है कि इस संप्रदाय के कई पुजारी आर्थिक रूप से कमजोर हैं। ममता ने कहा – ‘हमने उन्हें प्रतिमाह 1,000 रुपये का भत्ता प्रदान करने और राज्य सरकार की आवासीय योजना के तहत मुफ्त आवास प्रदान करके उनकी मदद करने का फैसला किया है।’
यही नहीं सोमवार को ममता ने बंगाल में हिंदी भाषी मतदाताओं को और मजबूती से टीएमसी से जोड़ने के लिए अपनी पार्टी के हिंदी सेल का गठन किया है। इसे अहम मन जा रहा है। ममता ने पू्र्व केंद्रीय मंत्री और राज्य सभा सदस्य दिनेश त्रिवेदी को इस सेल का चेयरमैन जबकि वरिष्ठ पत्रकार विवेक गुप्ता को अध्यक्ष बनाया है। सेल के अध्यक्ष विवेक गुप्ता ने कहा – ‘ कोलकाता में करीब 350 स्कूल ऐसे हैं, जिनका मीडियम हिंदी है।’
इस सेल में तीन चरणों की समितियां होंगी जो राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर पर समन्वय का काम करेंगी। निश्चित ही टीएमसी इन कोशिशों से हिंदी भाषी मतदातों में अपनी सरकार की नीतियों के बेहतर प्रचार में सफल होगी।
पिछले कल हिंदी दिवस पर ममता ने जनता को बधाई देते हुए कहा था कि उनकी सरकार सभी भाषाओं का सम्मान करती है और उसमें भाषायी आधार पर पूर्वाग्रह नहीं रखती है। ममता ने कहा – ‘हम सभी भाषाओं का सम्मान करते हैं। हमने एक नई हिंदी अकादमी स्थापित करने का निर्णय किया है। हमने एक दलित साहित्य अकादमी भी स्थापित करने का निर्णय किया है। दलितों की भाषा का बंगाली भाषा पर प्रभाव है।’
बता दें ममता के नेतृत्व में टीएमसी पिछले विधानसभा चुनावों में लगातार जीत हासिल करती रही है। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने बहुत कोशिश की थी कि वो टीएमसी को पछाड़ कर बंगाल में ज्यादा सीटें हासिल कर सके, लेकिन उसे जनता का इस लायक समर्थन नहीं मिल पाया था, भले तब भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने बंगाल में बहुत सघन प्रचार अभियान चलाया था। अभी भी ममता की ज़मीन को छूने की कोशिश में भाजपा सफल नहीं हो पाई है, जबकि सूबे में वामपंथी दल और कांग्रेस उतने प्रभावशाली नहीं रहे हैं।