‘मैं जानता हूँ कि पेड़-पौधे हमारे पर्यावरण की रक्षा के लिए कितने ज़रूरी हैं। आपको भी पता होगा प्रदूषण की वजह से हरियाली खत्म होती जा रही है। उसी की वजह से ऑक्सीजन कम और कार्बन डाइऑक्साइड ज़्यादा बढ़ रहा है। प्रदूषण की वजह से लोगों को बीमारियाँ हो रही है, साँस लेने में दिक्कत हो रही है। ऑक्सीजन के कम होने से जानवर भी परेशान है इंसान तो छोडि़ए, पेड़-पौधे कम हो रहे हैं। इंसान इतना खुदगर्ज़ हो गया है कि वह अपने लिए अपनी खुशी के लिए जंगलों को काट रहा है, वह यह नहीं जानता कि जंगलों को काटने से उसकी आने वाली पीढिय़ाँ पूरी तरह से तकलीफ में रहेंगी। आज जिस तरह से जंगलों को काटा जा रहा है, जिस तरह मेनग्रोव्स खत्म किये जा रहे हैं, जिसकी वजह से पृथ्वी का समतोल बिगड़ रहा है। पानी के स्रोत सूख रहे हैं। ग्लेशियर सूख रहे हैं। मौसम बदल रहा है। बरसात कम हो रही है। गर्मी बढ़ रही है। अगर सब कुछ ऐसे ही चलता रहेगा, तो इस कायनात को खत्म होने में वक्त नहीं लगेगा। मेरी तरफ से तो यह एक छोटा-सा प्रयास है। मैं चाहता हूँ कि हर शख्स कुदरत के इस अनूठे मुफ्त में दिये गये तोहफे यानी पेड़-पौधे कुबूल करें। पौधे लगाएँ, हरियाली फैलाएँ। इसमें खुदा का नूर है। यह हर किसी के ज़िन्दा रहने के लिए भी ज़रूरी है। इंसान के साथ-साथ दूसरे प्राणियों के लिए भी; यह भी हमारे जैसे ज़िन्दा हैं, साँस लेते हैं। इस काम में बहुत ज़्यादा कुछ नहीं है। बस थोड़ा-सा वक्त निकालना है। खुद के साथ-साथ बाकी सबको भी बचाने का प्रयास करना है। पर्यावरण को बचाना है। बस इसी उद्देश्य के साथ मैंने यह प्रयास शुरू किया है; आप भी शुरू कीजिए। दूसरों के लिए नहीं, तो कम-से-कम अपने और अपने बच्चों के लिए ही कीजिए।’ यह किसी वैज्ञानिक या पर्यावरण सुरक्षा से जुड़े किसी समाजसेवी या अधिकारी का के विचार नहीं है, बल्कि यह विचार नवी मुम्बई के एक ऑटो ड्राइवर उमर खान के हैं। उन्होंने अपने पूरे ऑटो रिक्शा को गमलों में लगे छोटे-छोटे पौधों से और हरी-भरी ग्रीनरी से सजा रखा है। इतना ही नहीं उमर पौधे लगाते हैं।
उमर बताते हैं कि इस छोटी-सी पहल से प्रभावित होकर हज़ारों यात्रियों ने, जो उनके ऑटो रिक्शा में बैठते हैं; ने अपने घर मे पौधे लगाये हैं और यही मेरी उपलब्धि भी है। नवी मुम्बई के नेरुल परिसर के करावे गाँव के निवासी रिक्शा चालक उमर खान को पर्यावरण की सुरक्षा का चिन्ता सता रही है। तकरीबन पिछले पाँच वर्ष से वह नवी मुम्बई परिसर में रिक्शा चलाते हैं। मध्य प्रदेश से नवी मुम्बई पेट पालने के लिए आने के बाद ध्यान में आया कि पर्यावरण का रक्षा करने के लिए अपना कुछ योगदान देना आवश्यक है। उमर ने अपने ऑटो रिक्शा में नौ अलग अलग प्रकार के पेड़ लगाये हैं। रिक्शा की छत पर कृतिम घास लगाकर रिक्शा को एक छोटा मैदान का स्वरूप दिया है। इस पूरे निकोबार में मेकओवर में उमर को 22 से 25 हज़ार रुपये खर्च करने पड़े। लेकिन इसका उन्हें कोई अफसोस नहीं है। वह कहते हैं कि लोग रिक्शा को देखकर उसकी तारीफ करते हैं। भीतर बैठते ही उन्हें सुकून महसूस होता है हरियाली देखकर आँखों में सुकून मिलता है, यह तो वैज्ञानिक भी साबित कर चुके हैं।
पर्यावरण को बचाने का संदेश देने वाले उमर को उनके इस अनोखे प्रयास से खूब सराहना मिलती है और साथ-साथ बढिय़ा बिजनेस भी। उमर बताते हैं कि कई यात्री उनके इस प्रयास से खुश होकर उन्हें अलग से भी पैसे दे देते हैं। क्या आप मान सकते हैं, उनका ऑटो रिक्शा जनवरी तक बुक हो चुका है?