गदर फिल्म के हीरो सनी देओल को अपने पाले में लाकर पीएम मोदी ने ट्वीटर पर लिखा – ”हिन्दोस्तान था, हिन्दोस्तान है, हिन्दोस्तान रहेगा”। गदर फिल्म में सनी देओल पाकिस्तान में दुश्मनों को ध्वस्त करते हुए यह डॉयलाग बोलते हैं। जाहिर है यह डायलॉग रिपीट करते हुए मोदी गदर में सनी की छवि को हाल के ”एयर स्ट्राइक” से जोड़कर अपनी ”दुश्मन के घर में घुसकर मारने वाली” वाली छवि से जोड़कर चुनावी तारतम्य बैठाना चाहते होंगे। लेकिन इस चुनावी राष्ट्रभक्ति में तड़का लगाने में मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह भी पीछे नहीं रहे। बोले – ”वो (सनी) फिल्मी फौजी हैं, मैं असली फौजी हूँ।”
पंजाब में भाजपा के पास खोने के लिए कुछ ज्यादा नहीं है। पाने के लिए मैदान खुला है। जितना पा सकेगी, उतना अपना। असली फौजी, यानी कैप्टेन अमरिंदर सिंह के सामने दो साल पहले जीती 77 (एक उपचुनाव जीतकर अब 78) विधानसभा सीटों के बूते अकाली-भाजपा गठबंधन को रोके रखने की चुनौती है। अभी तक अमरिंदर सरकार के खिलाफ कुछ सत्ताविरोधी रुख जनता के बीच दिखता नहीं, लिहाजा कांग्रेस से ज्यादा अपनी स्थिति बेहतर करने की चुनौती अकाली-भाजपा गठबंधन के सामने है।
आम आदमी पार्टी ने विधानसभा चुनाव से पहले जिस तेजी से अपनी जगह पंजाबियों के दिल में बनाई थी, उतनी ही तेजी से चुनाव नतीजे आने के बाद खो दी। इस बार आप के सामने 2014 में जीती सीटों के बराबर का प्रदर्शन कर पाना बड़ी चुनौती होगी। मुख्य मुकाबला कांग्रेस और अकालीदल-भाजपा गठबंधन में ही दिखता है। आप पंजाब में एकाध सीट निकलने के लिए दिल्ली-हरियाणा-पंजाब का साझा गठबंधन करना चाहती थी, जो सिरे नहीं चढ़ा। पंजाब में तो कैप्टेन अमरिंदर ने साफ मना कर दिया और आलाकमान को भरोसा दिया कि हम अपने बूते जीत जायेंगे।
साल 2014 में तो मोदी लहर थी। तब भी भाजपा पंजाब में 13 में 2 सीटें ही निकाल पाई थी। यह अलग बात है कि विनोद खन्ना के देहांत के बाद खाली हुई गुरदासपुर सीट को उपचुनाव में कांग्रेस के सुनील जाखड़ जीत गए थे। इस प्रकार इस समय पंजाब से लोकसभा में -कांग्रेस, आप और आकालियों के चार-चार सांसद हैं। जबकि भाजपा का एक सांसद है। इस बार तो मोदी लहर जैसा कुछ नहीं। अकाली दल ने तब चार सीटें जीती थीं। इस बार भाजपा के सामने यह दो सीटें बचाने और दल के सामने 4 सीटें बचाने की बड़ी और मुश्किल चुनौती है।
पंजाब में मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की अगुवाई में कांग्रेस सरकार मई 2017 से सत्ता में है। पार्टी ने विधानसभा चुनाव में कुल 117 सीटों में से 77 सीटों पर जबरदस्त जीत दर्ज की। तब तक कुछ जानकार आप की बड़ी जीत की भविष्यवाणी कर रहे थे। लेकिन कैप्टेन का जादू लोगों के सर चढ़कर बोला।
हालांकि, आप दूसरे नंबर पर रही और उसके सामने अपनी स्थिति मजबूत करने और पंजाब में एक ताकत बनाने का बेहतर अवसर था। लेकिन आप इसमें विफल रही है। पंजाब विधानसभा में मुख्य विपक्षी पार्टी आप में पिछले 3-4 साल में कई वरिष्ठ नेताओं को या तो पार्टी से निलंबित कर दिया गया है या फिर उन्होंने पार्टी छोड़ दी है।
इससे पहले 2014 के आम चुनाव में पंजाब ने राष्ट्रीय ट्रेंड के विपरीत आप और कांग्रेस में ज्यादा भरोसा जताया था।
अकाली-भाजपा गठबंधन सूबे की 13 लोकसभा सीटों में से केवल छह ही जीत पाई। अकाली दल को चार मिलीं और भाजपा के हिस्से आई महज दो। आप को पंजाब की मार्फत देश में पहली बार चार लोकसभा सीटों पर प्रतिनिधित्व का अवसर मिला जिसे उसने अब कमोवेश गंवा दिया है। कांग्रेस को तब तीन सीटें मिली थीं और 2014 में गुरदासपुर में उपचुनाव जीतकर उसने इसे चार कर लिया।
आप के दो सांसद धर्मवीर गांधी और हरिंदर सिंह खालसा मार्च 2015 से पार्टी से निलंबित चल रहे हैं। भाजपा, अकाली दल और आप जैसी पार्टियां तैयारी कर रही हैं, लेकिन कांग्रेस को भरोसा है कि इस दौड़ में वह आगे है।
पिछले समय में अकाली दल में भी कुछ उठापटक रही है। कुछ वरिष्ठ नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया गया है। पिछले साल के आखिर में अकाली बागियों ने ”शिरोमणि अकाली दल (टकसाली)” नाम से नई पार्टी बना ली। शिअद प्रमुख सुखबीर सिंह बादल इस नए दल को गंभीरता से नहीं लेते। वो कहते हैं – ”उनका कोइ अस्तित्व नहीं, न जनता में कोइ असर है।” हालांकि, जानकार कहते हैं वे सेंध तो अकाली मतों में लगाएंगे।
पंजाब में अपनी स्थिति से भाजपा वाकिफ है। वह फ्रंटफुट पर न खेलकर अकाली दल को मुख्य चेहरा बनाकर चुनाव में है। कांग्रेस सिखों के पवित्र ग्रंथ, गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी जैसे संवेदनशील मुद्दों पर अकाली दल को निशाने पर रखे हुए है।
आप के जमीनी कार्यकर्ता असंतुष्ट और निराश हो चुके हैं। साल 2014 के अपने प्रदर्शन को दोहराना इस बार आप के लिए काफी मुश्किल होगा। पार्टी का जनता में जो समर्थन 2014 में था, उसे उसने पिछले पांच साल में काफी हद तक गँवा दिया है। आप ने एसएडी टकसाली के साथ गठबंधन की कोशिश भी की। छह छोटी पार्टियों के नेताओं ने हाल ही में पंजाब डेमोक्रैटिक गठबंधन (पीडीए) बनाया है।
पंजाब में उम्मीदवारों में कांग्रेस में सुनील जाखड़, परनीत कौर, मनीष तिवारी, शेर सिंह गुबाया, अकाली दल से सुखबीर सिंह बादल और हरसिमरत कौर बादल, प्रेम सिंह चंदूमाजरा, भाजपा से सनी देयोल, आप से भगवंत मान और पंजाब एकता पार्टी (पीईपी) के नेता सुखपाल सिंह खैरा प्रमुख हैं।
दो करोड़ से ज्यादा मतदाता
पंजाब में इस बार लोकसभा चुनाव में दो करोड़ से ज्यादा मतदाता हैं। युवा मतदाताओं की संख्या भी बढ़ी है। ढ़ाई लाख से अधिक युवा पहली बार वोट डाल सकेेंगे। राज्य में अंतिम चरण में मतदान से राजनीतिक दलों का चुनाव अभियान करीब दो माह चलेगा। युवा मतदाताओं पर राजनीतिक दलों की सबसे अधिक नजर है। इस सबके बीच पंजाब की सीमा पाकिस्तान से लगने के कारण चुनाव प्रक्रिया के दौरान सुरक्षा भी कड़ी चुनौती होगी। पंजाब में इस बार 2,55,887 लाख युवा मतदाता बने हैं। पंजाब में लोकसभा चुनाव में कुल मतदाता 2,03,74,375 है जबकि इनमें पुरुष 10754157 जबकि महिलाएं 969711 हैं। दिव्यांग और मूक बधिर मतदाता 68551 हैं जबकि थर्ड जेंडर 507 मतदाता हैं। पोस्टल बैलेट 100285 हैं। प्रदेश में कुल 23213 मतदान केंद्र बनाये गए हैं।
पंजाब के मुख्य चुनाव अधिकारी के करुणा राजू के मुताबिक 2014 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले इस बार 200 से ज्यादा कंपनियां मांगी गई हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब में चुनाव पर 243 करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान है, जिसमें से 60 करोड़ रुपये सुरक्षा-व्यवस्था पर खर्च होंगे। राज्य में 3.61 लाख लाइसेंसी हथियार हैं, जिनमें से 2.04 लाख पंचायत चुनाव के समय जमा कराए गए थे, वे अभी लौटाए नहीं गए हैं। अब इन्हें चुनाव के बाद ही लौटाया जाएगा।
छह लोकसभा हलके अमृतसर, गुरदासपुर, जलंधर, पटियाला, लुधियाना, बठिंडा को संवेदनशील घोषित किया गया है। इनमें अतिरिक्त फ्लाइंग स्क्वॉड तैनात किए जाएंगे। इस बार अभी संवेदनशील और अति संवेदनशील बूथों की संख्या घोषित नहीं की गई है। सभी 23,213 मतदान केंद्रों बूथों पर ईवीएम, वीवीपैट मशीनें लगेंगी। इनमें से 50 फीसद बूथों पर वेब कास्टिंग होगी। तीस फीसद ईवीएम रिजर्व में रहेंगी।
पंजाब के मुद्दे
साल 2016 में जब विधानसभा का चुनाव हुआ था, पंजाब में ”चिट्टे का कारोबार” सबसे बड़ा मुद्दा था। अब पंजाब में कांग्रेस सरकार दावा कर रही है कि प्रदेश में ड्रग्स की चेन को तोड़ दिया गया है। लेकिन विपक्ष कहता है कुछ नहीं हुआ।
आम आदमी पार्टी तो अपने प्रमुख अरविंद केजरीवाल के पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया से माफी मांगने के बाद से ही बैकफुट पर है। चुनाव के पास पार्टी ने फिर मोर्चा जरूर खोला है, इसका ज्यादा असर दिख नहीं रहा। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा – ”ड्रग्स अब कोई मुद्दा नहीं है। इसकी सप्लाई चेन तो तोड़ दी गई है।” नशे को लेकर प्रदेश भाजपा नेता श्वेत मलिक का आरोप है कि कैटेन सरकार ने ड्रग्स के नाम पर केवल प्रोपेगेंडा किया है। ”अगर जमीनी स्तर पर ड्रग्स की सप्लाई चेन टूटी होती, तो इतनी बड़ी मात्रा में ड्रग्स की रिकवरी नहीं होती।” आप प्रदेश अध्यक्ष भगवंत मान कहते हैं ड्रग्ज का इशू जिंदा है और यही पंजाब एकता पार्टी के अध्यक्ष सुखपाल सिंह खैहरा का भी कहना है।
”चिट्टा” को 2016 के विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा बनाने वाले मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सत्ता में आते ही ड्रग्स को रोकने के लिए एसआइटी का गठन किया। सरकार ने ड्रग्स के कारोबार को खत्म करने के लिए ताबड़तोड़ कदम उठाए। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह का दावा है कि ड्रग्स की कमर तोड़ दी गई है। दो साल में पुलिस ने 575 किलो हेरोइन पकड़ी है। और जो अब पकड़ी जा रही है वह सरकार की सख्ती का ही नतीजा है। सरकार का दावा है कि एनडीपीएस एक्ट के 21,049 मामलों में 25,092 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
पंजाब में किसानों के मुद्दे भी बहुत अहम रहे हैं। मुख्यमंत्री अमरिंदर सरकार का कहना है कि पंजाब सरकार की किसान कर्ज राहत योजना के तहत चार जिलों में 1,09,730 सीमांत किसानों को वाणिज्यिक बैंकों के 1,771 करोड़ रुपये के कर्ज से राहत दी गयी। सरकार ने 2.5 से 5 एकड़ जमीन वाले किसानों के लिए छूट योजना में विस्तार किया है। ”यह रकम सीधे किसानों के वाणिज्यिक बैंकों के खाते में स्थानांतरित की गयी। योजना के इस चरण में शामिल किसान पाटियाला, लुधियाना, संगरूर और फतेहगढ़ साहिब जिलों के हैं। यह कर्ज माफी योजना का पहला चरण था। पंजाब सरकार का कि अब तक 35,000 करोड़ रुपए किसानों की कर्ज माफी पर खर्च कर चुकी है।
हालांकि भारतीय किसान यूनियन लक्खोवाल के महासचिव हरिंदर सिंह लक्खोवाल का आरोप है कि कांग्रेस सरकार ने 2017 विधानसभा चुनाव से पहले अपने मैनीफेस्टो में वादा किया था कि उनकी सरकार बनते ही पंजाब को नशा मुक्त और छोटे-बड़े सभी किसानों को कजऱ्ामुक्त कर दिया जाएगा, लेकिन दो वर्ष बीतने के बावजूद सरकार की ओर से न तो किसानों का कर्जा माफ किया गया और न ही पंजाब को नशा मुक्त किया गया। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में कोई भी राजनीतिक पार्टी अपना चुनावी मैनीफिस्टों जारी करने से पहले मतदाताओं को भरोसा दिलाए कि जीत के बाद उनके द्वारा किए वायदे कितने समय में पूरे किए जाएंगे।
यदि वोट फीसद की बात की जाये तो 2012 में पंजाब में 70.89 फीसदी वोट पड़े थे।
प्रदेश में विकास ठप्प: सुखबीर बादल
पंजाब के पूर्व उप मुख्यमंत्री और शिअद प्रमुख सुखबीर सिंह बादल का आरोप है कि कैप्टन ने सत्ता संभालने के बाद सारा विकास ठप करके रख दिया है। बेअदबी पर उनका कहना है – ”हम हमेशा ही गुरुओं का सम्मान करते हैं और हमने कभी भी धर्म के नाम पर सियासत नहीं की”। सुखबीर का कहना है कि कैप्टन सरकार लोगों को झूठ बोलकर सत्ता में आई है और सत्ता में आने के बाद सारे वादे भूल गए हैं। लोगों को अकाली सरकार के समय दी गई सभी सहूलियतें बंद कर दी गई हैं। हम प्रदेश की सभी सीटों पर जीत हासिल करेंगे।
विनोद खन्ना की पत्नी कविता नाराज़
विनोद खन्ना ने गुरदासपुर में भाजपा का जो रंग जमाया वो अनुकरणीय है। वो लगातार तीन बार यहाँ से जीते, बिना एक बार भी हारे। दो साल पहले उनका निधन हो गया तो उपचुनाव कांग्रेस ने जीत लिया। अब भाजपा यहाँ से एक और एक्टर सनी देओल को ले आई है तो दिवंगत एक्टर विनोद खन्ना की पत्नी कविता खन्ना भाजपा से सख्त नाराज हैं। गुरदासपुर सीट से टिकट नहीं मिलने पर कविता ने नाराज़गी जताई है। उनका कहना है – ”किसी ने मुझे पार्टी के लिए प्रचार करने तक को नहीं कहा। मुझे नामांकन के दौरान पार्टी जॉइन करने को कहा गया था और यह भरोसा दिया गया था कि मुझे टिकट दिया जाएगा। अब इस बात से मैं बहुत ज्यादा आहत हूं।” कविता खन्ना का कहना था कि जो हुआ है वह दोबारा नहीं होना चाहिए। विनोद खन्ना गुरदासपुर सीट से जब भी खड़े हुए सीट उन्होंने जीती। अब जबकि मैदान में उतारा है तो कविता का कहना है – ”सनी देओल ने मुझसे चुनाव प्रचार करने के लिए नहीं कहा है। मैं चाहती हूं कि वह गुरदासपुर सीट से जीतें।”
अमरिंदर बनाम सिद्धू
ट्वीटर पर फॉलो किये जाने वाले पंजाबी नेताओं में सबसे आगे हैं नवजोत सिंह सिद्धू। पाकिस्तान के साथ मित्रता के पक्षधर हैं और भाजपा के निशाने पर सबसे ज्यादा रहते हैं। दिलचस्प यह कि सीएम अमरिंदर सिंह भी सार्वजानिक रूप से खिंचाई करते रहे हैं। हालांकि, जानकारों का यही मानना है कि चुनाव में सिद्धू पार्टी के लिए पूरी ताकत से प्रचार कर रहे हैं। यह अलग बात है कि यह प्रचार प्रदेश के दूसरे सूबों में ज्यादा है।
सभी 13 सीटें जीतेंगे: अमरिंदर
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को पूरा भरोसा है कि कांग्रेस राज्य की सभी सीटें जीतेगी। उन्होंने कहा – ”इस बार न कोई मोदी लहर है, न भाजपा के पास दिखाने के लिए कोई उपलब्धि। भाजपा का जनाधार पूरी तरह खिसक गया है और उसे सत्ता से उखाड़ फेंका जाएगा।” अमरिंदर ने कहा कि पंजाब का मूड 2014 के मुकाबले पूरी तरह बदल चुका है और कांग्रेस अपने मिशन-13 को अंजाम तक पहुंचाएगी। जनता सभी 13 सीटें राहुल गांधी को देगी।” उनके मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी जल्दी ही पंजाब में चुनाव प्रचार करेंगे। गुरदासपुर में अभिनेता सनी देओल के भाजपा उम्मीदवार के रूप आने से वे कांग्रेस उम्मीदवार सुनील जाखड़ को कोइ खतरा नहीं मानते। कैप्टेन ने कहा – ”सुनील गुरदासपुर में ज़मीन पर काम कर रहे हैं, जबकि देओल की यहां कोई स्थिति नहीं बनती है। सनी देओल बॉलीवुड भाग जाएंगे और गुरदासपुर के लोगों के लिए मौजूद नहीं रहेंगे।”