उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव में भले ही आरक्षण को लेकर पेंच फंसा हो लेकिन, प्रत्याशियों के बीच चुनावी माहौल दिन व दिन गर्म होता जा रहा है। बताते चले कि 2020 में कोरोना के कारण पंचायत के चुनाव होने थे। लेकिन लाँक डाउन के कारण चुनाव ना हो सकें।
तहलका संवाददाता को उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों ने बताया कि इस बार का चुनाव देश की और उत्तर प्रदेश की राजनीति में अहम् भूमिका निभाने वाले है। इस लिहाज से प्रदेश में चुनाव में चाहे वर्ष 2015 के आधार पर हो या 2021 के आरक्षण के आधार वाले योगी सरकार के आरक्षण वाले फार्मूले के आधार पर हो। इससे चुनाव में पंचायत के चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों पर कोई असर पड़ने वाला नहीं है।
पंचायत का चुनाव लड़ने वाले नेता धीरज सिंह ने बताया कि इस बार के चुनाव में केन्द्र और उत्तर प्रदेश सरकार की नीतियों और बढ़ती महंगाई को चुनावी मुद्दा बनाया जायेगा। जो कि अभी तक ग्राम पंचायत के चुनाव में नहीं होता था। बताते चले ग्राम पंचायत के रास्ते प्रदेश के नेता आगामी 2022 के विधान सभा चुनाव की राजनीति तय करना चाहते है। क्योंकि इस बार ग्राम पंचायत के चुनाव में किसान आंदोलन को चुनाव में प्रमुखता से सपा , कांग्रेस, और अन्य राजनीतिक दल बढ़े जोर शोर से चुनाव में मुद्दा बनाएंगे।
कांग्रेस पार्टी के नेता अमरीश रंजन ने बताया कि उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव से ही प्रदेश की योगी सरकार की सारी राजनीति सामने आ जायेगी क्योंकि योगी सरकार में किसान और मजदूर परेशान ही नहीं बल्कि दुखी है। इसलिये ग्रामीण नेता ये चाहते है कि जैसे भी जल्दी चुनाव हो ताकि प्रदेश और देश की राजनीति नया रास्ता खुल सकें।
मौजूदा वक्त में किसान आंदोलन और बढ़ती मंहगाई के कारण देश के किसानों को काफी परेशानी का समाना करना पड़ रहा है। जिसके कारण गांव के किसान बदलाव के मूड़ में है। किसानों का कहना है कि पंचायत के चुनाव में ही 2022 के बदलाव की आहट् सुनाई देगी।