मैंने जन्म नहीं मांगा था किंतु मरण की मांग करुंगा जाने कितनी बार जिया हूं, जाने कितनी बार मरा हूं। जन्म मरण के फेरे से मैं इतना पहले नहीं डरा हूं। अंतहीन अंधियार ज्योति की कब तक और तलाश करूंगा मैंने जन्म नहीं मांगा था, किंतु मरण की मांग करुंगा बचपन, यौवन और बुढ़ापा कुछ दशकों में खत्म कहानी फिर-फिर जीना, फिर-फिर मरना। पूर्व जन्म के पूर्व बसी दुनिया का द्वारचार करूंगा मैंने जन्म नहीं मांगा था किंतु मरण की मांग करूंगा। – (वाजपेयी की एक कविता)
स्मृति स्थल पर भीड़ थी। लेकिन वे अकेले थे फूलों से सजी अर्थी के भीतर। निशब्द। और कुछ ही देर में अमर हो के नारों के बीच पंचतत्व में विलीन होने को तैयार। भारत रत्न अटल बिहारी वाजपयी के अंतिम संस्कार से पहले स्मृति स्थल पर उन्हें विदा करने आये हुजूम ने दो मिनट का मौन रखा मानों वे निशब्द वाजपयी के साथ अपनी भावना, अपना दुःख साझा करना चाहते हों। सेना के तीनों अध्यक्षों ने उन्हें सलामी दी। फिर मातमी धुन के साथ उन्हें तोपों की सलामी दी गयी। पार्थिव देह से तिरंगा हटाया गया। पूरे राजकीय सम्मान के साथ करीब 4.58 बजे पूरे हिन्दू रीति रिवाज के मुताबिक उनकी पार्थिव देह को दत्तक पुत्री नमिता ने मुखाग्नि दी।
इससे पहले पीएम नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, लोक सभा में भाजपा के मुख्य सचेतक अनुराग ठाकुर, मध्य प्रदश के मुख्यमंत्री शिव राज चौहान और अन्य कई नेता पैदल ही वाजपेयी की शव यात्रा के साथ समृति स्थल तक पैदल गए। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उप राष्ट्रपति वैंकया नायुडु, लाल कृष्ण आडवाणी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, भाजपा ध्यक्ष अमित शाह, सभी मंत्री, कई मुख्यमंत्री सहित बड़ी तादाद में नेता और उनके सभी परिजन उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुए और उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दी। नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली और श्रीलंका के कार्यवाह विदेश मंत्री लक्ष्मण किरिएला भी अंतिम संस्कार में शामिल हुए।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का पार्थिव शरीर भारतीय जनता पार्टी के मुख्यालय से अंतिम यात्रा के लिए स्मृति स्थल के लिए ले जाया गया। इस दौरान सड़क के दोनों किनारों पर लोग अपने प्रिय नेता के अंतिम दर्शन की लालसा में खड़े रहे। तिरंगे में लिपटा वाजपेयी का पार्थिव शरीर फूलों से सजे तोप ले जाने वाले वाहन पर रखा हुआ था। उनका पार्थिव शरीर सुबह करीब 10 बजे भाजपा मुख्यालय के लिए रवाना हुआ। पूरा रास्ता ‘अटल बिहारी अमर रहें’ के नारों से गूंजता रहा।
इससे पहले भाजपा मुख्यालय के बाहर बड़ी संख्या में लोग जमा हैं। वहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह सहित तमाम केन्द्रीय मंत्रियों एवं अन्य लोगों ने उनके अंतिम दर्शन किये। लंबी बीमारी के बाद कल शाम 93 वर्ष की आयु में वाजपेयी का एम्स में निधन हो गया।
इससे पहले अपने प्रिय नेता के अंतिम दर्शन के लिए सुबह से ही सैकड़ों की संख्या में लोग पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के आवास पर पहुंचे। इसके चलते ही उनका पार्थिव शरीर कृष्णा मेनन मार्ग से 9 बजे की जगह 10 बजे बीजेपी मुख्यालय के लिए ले जाया गया। उन्हें पीएम मोदी और अमित शाह ने श्रद्धांजलि दी। रात को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने वाजपेयी के निवास पर अन्य नेताओं के साथ श्रद्धांजलि अर्पित की।