मोदी सरकार ने २४ घंटे के भीतर अपना फैसला बदलते हुए भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों के बीच न्यूयार्क में यूएनजीए के साइडलाईंस में होने वाले बातचीत को रद्द कर दिया है। पाकिस्तान के नए पीएम इमरान खान के पहल का सकारात्मक जवाब देते हुए मोदी सरकार ने इस बातचीत पर सहमति जताई थी। हालांकि गुरूवार को मोदी सरकार ने जब यह फैसला किया था तो उस पर उसी समय सवाल उठाये गए थे क्योंकि उस समय बीएसएफ के जवान की पाकिस्तान के हाथों बर्बर हत्या को २४ घंटे भी नहीं बीते थे।
शुक्रवार को कुछ देर पहले भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि भारत ने इमरान खान के आग्रह के आधार पर यह फैसला किया था लेकिन इमरान के पीएम बनने के एक महीने के भीतर ही पाकिस्तान का जो चेहरा सामने आया है उससे साफ़ हो जाता है कि पाकिस्तान की क्या नीति है। वैसे मोदी सरकार ने काश्मीर में तीन पुलिस कर्मियों की हत्या को भी सामने रखा है।
रवीश ने कहा कि पाकिस्तान ने आतंकवादियों के २० टिकट उन्हें महिमामंडित करने के लिए हाल ही में जारी किये हैं। ”इन सब प[ारिस्थितियों में बातचीत का कोई मतलब नहीं रहता लिहाजा न्यूयार्क में विदेश मंत्रियों की बातचीत का अब सवाल नहीं है”।
वैसे सरकार के फैसले से पीएम मोदी की विदेश नीति, खासकर पाकिस्तान के साथ सम्वन्धों को लेकर, सवाल खड़े हो गए हैं। भारत-पाक रिश्तों के जानकारों के मुताबिक पिछले लम्बे समय से पाकिस्तान की तरफ से सीमा पर हालत खराब किये जा रहे हैं और जम्मू कश्मीर में आतंकवादी भेजने का सिलसिला जारी है। फिर पिछले कुछ घंटे में ऐसा क्या नया हो गया कि फैसला बदलना पड़ा।
इन लोगों का मानना है कि यह फैसला पूरी तरह राजनीतिक है क्योंकि गुरूवार को विदेश मंत्रियों की बातचीत का न्योता मान कर ही मोदी सरकार ने बड़ी भूल कर दी थी जिससे उसपर राजनीतिक दबाव बहुत बढ़ गया था। यहाँ तक कि भाजपा के ही भीतर इसे लेकर अलग-अलग राय थी।