देश भर में उनके ब्यान पर विवाद पैदा होने के बाद आखिर तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने जवाहर लाल नेहरू को लेकर दिए गए बयान पर शुक्रवार को माफी मांग ली है। दलाई लामा ने पहले कहा था कि १९४७ में महात्मा गांधी जिन्ना को प्रधानमंत्री बनाना चाहते थे लेकिन जवाहर लाल नेहरू ने इसका विरोध किया था।
अब दलाई लामा ने कहा है कि उनका बयान अचानक विवादास्पद हो गया। ”अगर कुछ ग़लत है तो मैं माफ़ी मांगता हूं।” रिपोर्ट्स के मुताबिक गोवा इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट के एक कार्यक्रम में दलाई लामा ने कहा था कि ”महात्मा गांधी चाहते थे कि मोहम्मद अली जिन्ना पीएम बनें लेकिन पंडित नेहरू इसके लिए तैयार नहीं हुए”। दलाई लामा ने कहा था कि ”तब पीएम बनने की चाहत में नेहरू ने आत्मकेंद्रित रवैया नहीं अपनाया होता तो देश का बंटवारा नहीं होता”।
उनके ब्यान के बाद राजनीतिक दलों ने इस पर आपत्ति जताई थी जिसके बाद दलाई लामा ने बयान को लेकर माफी मांगी है। दरअसल, कार्यक्रम में एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने यह बयान दिया था। दलाई लामा का कहना था कि ”मेरा मानना है कि सामंती व्यवस्था के बजाय प्रजातांत्रिक प्रणाली बहुत अच्छी होती है। सामंती व्यवस्था में कुछ लोगों के हाथों में निर्णय लेने की शक्ति होती है, जो बहुत खतरनाक होता है”। उन्होंने कहा, ‘अब भारत की तरफ देखें। मुझे लगता है कि महात्मा गांधी जिन्ना को पीएम का पद देने के बेहद इच्छुक थे लेकिन पंडित नेहरू ने इसे स्वीकार नहीं किया।
तिब्बती धर्मगुरु ने कहा, मुझे लगता है कि खुद को पीएम के रूप में देखना पंडित नेहरू का आत्म केंद्रित रवैया था। अगर महात्मा गांधी की सोच को स्वीकारा गया होता तो भारत और पाकिस्तान एक होते। उन्होंने कहा, मैं पंडित नेहरू को बहुत अच्छी तरह जानता हूं, वे बेहद अनुभवी और बुद्धिमान व्यक्ति थे लेकिन कभी-कभी गलतियां हो जाती हैं।
दलाई लामा के ब्यान के तुरंत बाद इस पर राजनितिक दलों की टिप्णियां आनी शुरू हो गयी थीं और निजी टीवी चैनलों ने इस पर लगातार कार्यकरण करने शुरू कर दिए थे। अब दलाई लामा ने अपने ब्यान पर माफी मांग ली है।