भारत और नेपाल के बीच रिश्ते खराब होने की कगार पर दिख रहे हैं। नेपाल ने एक कड़ा कदम उठाते हुए भारतीयों के लिए देश में किसी भी तरह की नौकरी के लिए वर्क परमिट अब ज़रूरी कर दिया है।
नेपाल के लेबर एंड ऑक्यूपेशनल सेफ्टी डिपार्टमेंट ने आदेश जारी करते हुए बताया है कि हम जानना चाहते हैं कि कितने भारतीय नेपाल में काम कर रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक एक ही महीने पहले नेपाल ने भारत की नई करेंसी के चलन पर भी रोक लगा दी थी और बीते कुछ सालों से लगातार उसका रुख भारत के खिलाफ होता नज़र आ रहा है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक अब नेपाल में भारतीय कामगारों को बिना परमिट के काम करने की इजाजत नहीं होगी। दरअसल, नेपाल सरकार ने वहां पर उद्योगों, कंपनियों और अन्य संस्थानों में काम करने वाले भारतीय नागरिकों के लिए वर्क परमिट अनिवार्य कर दिया है। नेपाल के श्रम और व्यावसायिक सुरक्षा विभाग ने बुधवार को देशभर में अपने दफ्तरों को आदेश जारी करते हुए कहा कि देश के अलग-अलग सेक्टर्स में काम करने वाले सभी भारतीय कामगारों के वास्तविक संख्या बताने के लिए कहा है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक विभाग के आदेश में कहा गया है – ”कंपनियों में भारतीय वर्करों की जांच करके अपडेट कर दिया जाएगा और अगर उनके पास वर्क परमिट नहीं होगा तो संस्थान को बता दिया जाएगा कि वे इनका वर्क परमिट ले लें।” रिपोर्ट में कहा गया है कि अभी तक भारत और नेपाल में विशेष संधि के तहत भारतीय नागरिकों को नेपाल में और नेपाली नागरिकों को भारत में काम करने के लिए किसी तरह के परमिट की जरूरत नहीं पड़ती थी।
गौरतलब है कि साल २०१५ में नेपाल ने नया संविधान लागू किया था। ये संविधान २० सितंबर को जारी हुआ और २१ सितंबर की रात से ही नेपाल की नाकेबंदी कर दी गई। नेपाली जनता ने इसे नाराज़गी में उठाया गया भारत सरकार का कदम माना, हालांकि, भारत सरकार का कहना था कि संविधान से असंतुष्ट मधेसी जनता ने यह कदम उठाया है।
भारत सरकार के विदेश सचिव जयशंकर ने सितम्बर २०१५ में नेपाल जाकर प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं से मिलकर ये कहा था कि जब तक मधेस जनता नाराज़ है तब तक संविधान लागू करने का काम टाल दिया जाना चाहिए। कुछ भाजपा नेताओं ने नेपाल के संविधान से ”धर्मनिरपेक्षता” शब्द निकालने का भी सुझाव दिया था जिस पर नेपाली पीएम प्रचंड ने ध्यान नहीं दिया था।