भारत के जबरदस्त विरोध के बीच नेपाल की संसद ने शनिवार को विवादित नक्शे में संशोधन का प्रस्ताव पास कर दिया। इस नए नक्शे में भारत के तीन इलाकों कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को नेपाल का बताया गया है।
नेपाल की २७५ सदस्यों वाली संसद में बिल के पक्ष में २५८ वोट पड़े और किसी ने भी इसके खिलाफ मत नहीं दिया। वैसे इस बिल का नेपाल की जनता समाजवादी पार्टी की संसद सदस्य सरिता गिरी विरोध कर चुकी हैं। उन्होंने संशोधन बिल को वापस लेने और पुराने नक्शे को बहाल करने की मांग की थी।
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भारत पर अवैध कब्ज़े का आरोप लगाया। साथ ही दावा किया कि वो अपनी ज़मीन वापस लेकर रहेंगे। याद रहे ११ जून को नेपाल की कैबिनेट ने नौ सदस्यों की एक समिति का गठन किया है। वैसे जिस इलाके पर नेपाल दावा कर रहा है, उसपर अधिकार का नेपाल के पास कोई प्रमाण नहीं है। यह आरोप लगते रहे हैं कि नेपाल चीन के उकसावे में ऐसा कर रहा है। इसी कारण पिछले कुछ समय से भारत और नेपाल में सीमा विवाद से रिश्ते तनावपूर्ण बन गए हैं।
याद रहे तीन इलाकों का यह मसला तब गरमा गया था जब ८ मई को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लिपुलेख से धाराचूला तक बनाई गई सड़क का उद्घाटन किया था। नेपाल ने लिपुलेख को अपना हिस्सा बताते हुए इसका विरोध किया था और १८ मई को उसने नया नक्शा जारी कर इन तीन भारतीय इलाकों को नेपाल का हिस्सा बता दिया, जिसपर भारत ने कड़ा प्रतिरोध जताया।