सारिका बहुत दिनों से कुछ बुझी-बुझी सी दिखायी दे रही थी। शाम को ऑफिस से लौटते हुए मुलाकात में उसने बताया कि जब से उसकी नयी नौकरी लगी है। लेकिन उसे अपने लिए बिल्कुल वक्त नहीं मिलता। रोज़ शाम को जो वह एक घंटा नृत्य (डांस) क्लासेस ले रही थी। व्यस्तता के कारण वह भी बन्द हो गयी थी। इस वजह से ऑफिस में भी वह उस ताज़गी के साथ काम नहीं कर पा रही है।
सारिका की बात सुनकर मुझे भी लगा कि अगर मुझे कोई एक हफ्ते तो क्या, एक दिन भी यह कहे कि आज नृत्य मत करो, तो शायद मुझे मंज़ूर नहीं। मैं अपने रुटीन में से आधा से पौना घण्टा नृत्य के लिए अवश्य रखती हूँ।
अगर आप का मन बुझा-बुझा रहता है या आपको लगता है कि आपकी बॉडी पहले जैसी एक्टिव नहीं रही है, तो आप नृत्य रूपी व्यायाम को अपनाकर देखिए। कुछ ही दिनों में आपको लगेगा कि आपके अन्दर एक नयी ऊर्जा का संचार हो रहा है। अगर आपको व्यायाम करने में आलस आता है, तो आप ज़रा अपना म्यूजिक-सिस्टम थोड़ी-सी ऊँची आवाज़ में करके उसके ऊपर अपना पाँव थिरकाइए और झूम जाइए। लेकिन याद रखिए, संगीत इतनी तेज़ मत बजाइए, जिससे किसी को परेशानी हो।
चाहे आपका लगाव कथक, भरतनाट्यम्, हरियाणवी, पंजाबी, गरबा, वेस्टर्न, जैज़ आदि कोई भी नृत्य हो; तत थई तत् की आवाज़ आते ही आपके पैरों के साथ आपका पूरा शरीर झूम उठेगा। नृत्य केवल शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी आपके लिए अच्छा है। शायद आप यकीन न करें, लेकिन जो लोग रोज़ नृत्य का अभ्यास करते हैं, उनमें गज़ब का आत्मविश्वास होता है।
नृत्य करते समय इन बातों का रखें ध्यान :-
पेट अगर भरा हो तो भूल से भी नृत्य नहीं करना चाहिए। हमेशा हल्के भरे पेट से ही नृत्य करना चाहिए।
नृत्य हमेशा किसी खाली कमरे में ही करना चाहिए, वरना आप नृत्य करते समय अनायास ही किसी चीज़ से टकरा सकते हैं।
जहाँ तक हो सके, नृत्य के अभ्यास का समय निश्चित कर लें, जिससे आपका रुटीन बना रहेगा और आपकी बॉडी उसकी अभ्यस्त हो जाएगी।
अपने रेडियो या म्यूजिक सिस्टम की आवाज़ बहुत तेज़ न रखें, वरना इससे आपकी सुनने की शक्ति पर विपरीत असर पडऩे के साथ-साथ आप अपने पड़ोसियों की परेशानी का कारण बन सकते हैं।
नृत्य वाले रूम में आईना कभी नहीं रखना चाहिए, वरना बीच में उस पर नज़र पडऩे से आपका ध्यान भंग हो सकता है।
लगातार नृत्य न करें। अगर आपने अभ्यास का समय एक घंटा चुना है, तो बीच में कम-से-कम तीन से चार बार रुकें और फिर पुन: नृत्य करें करें।
नृत्य के लाभ :-
नृत्य हृदय गति को सही रखता है। जो लोग नृत्य को व्यायाम की भाँति रोज़ करते हैं, उनके हृदय की गति ठीक रहती है और वे पूरी तरह से फिट रहते हैं।
कभी-कभी अपने उबाऊ कार्य या दैनिक कार्य से टाइम निकालकर अगर आप नृत्य करते हैं, तो चिन्ता आपके पास फटकेगी भी नहीं। क्योंकि नृत्य चिन्ता, तनाव, बोरियत दूर करने का सबसे कारगर तरीका है।
नृत्य मांसपेशियों को मज़बूती प्रदान करता है। हर रोज़ नृत्य करने वाले लोगों को किसी अन्य व्यायाम का सहारा तो शायद ही लेना पड़ता हो। नृत्य करने से आपकी बॉडी पर मोटापा नहीं चढ़ता।
नृत्य करते रहने से पेट और पैरों पर चर्बी नहीं चढ़ती। इसलिए जो लोग नृत्य का अभ्यास करते हैं, उनकी काम करने की शक्ति भी ज़्यादा होती है।
नृत्य करने से न सिर्फ आपका शरीर, वरन मन-मस्तिष्क भी स्वस्थ-दुरुस्त रहते हैं। वहीं आप दूसरों के सामने ज़्यादा आत्मविश्वास के साथ पेश आते हैं और दूसरों के सामने बिना हिचकिचाहट के आपनी बात प्रस्तुत कर सकते हैं।
तरन्नुम अतहर (स्वास्थ्य दर्पण)