नीतीश कुमार रविवार को बिहार में एनडीए विधायक दल के नेता चुन लिए गए। इस तरह उनकी 7वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ़ हो गया है। नीतीश कुमार ने एनडीए का नेता चुने जाने के बाद राजभवन में राज्यपाल फागु चौहान से मिलकर अगली सरकार बनाने का दावा पेश किया। शपथ ग्रहण सोमवार शाम 4 और 4.30 बजे के बीच होगा। भाजपा ने तार किशोर प्रसाद (कटिहार) को विधायक दल का नेता चुना है। उपमुख्यमंत्री कौन होगा इसे लेकर भाजपा ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। चर्चा है कि सुशील मोदी, जिन्हें भाजपा नेतृत्व ने शनिवार को दिल्ली तलब किया था, की इस पद से छुट्टी भी हो सकती है और उन्हें केंद्र की राजनीति में ले जाया जा सकता है।
राज्यपाल से मिलने के बाद नीतीश कुमार ने मीडिया को बताया कि वो मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते थे और उन्होंने भाजपा के आग्रह पर यह पद स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि वे तो चाहते थे कि भाजपा ही अपना मुख्यमंत्री बनाए। कहा कि सोमवार को शाम 4 और 4.30 बजे के बीच शपथ ग्रहण होगा। कितने मंत्री शपथ लेंगे, इसे लेकर उन्होंने कहा इसका फैसला जल्द हो जाएगा। वैसे जानकारी है कि मंत्रिमंडल भी शुरू में छोटा हो सकता है। भाजपा के भीतर और सहयोगियों में अभी कुछ मसलों पर खींचतान दिखती है।
बिहार भाजपा के चुनाव प्रभारी देवेंद्र फडणवीस और भूपेंद्र यादव ने नीतीश कुमार से उनके राज्यपाल से मिलकर आने के बाद मुलाकात की। भाजपा के केंद्रीय पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह भी बाद में राज्यपाल से मिलने गए। उनके साथ सुशील मोदी भी थे। राजनाथ सिंह ने बाद में मीडिया को बताया कि नीतीश कुमार मुख्यमंत्री होंगे, हालांकि, उप मुख्यमंत्री पर सवाल को वे टाल गए और कहा कि जल्दी ही आपको पता चल जाएगा। हो सकता है भाजपा सुशील मोदी को केंद्र की राजनीति में ले जाए।
इससे पहले भाजपा विधायक दल की बैठक में सुशील मोदी ने जिस तरह भाजपा विधायकों का आभार जताया उससे संकेत मिलते हैं कि नई सरकार में भाजपा उप मुख्यमंत्री पद का जिम्मा किसी और को दे सकती है। यदि ऐसा हुआ तो कामेश्वर चौपाल या तार किशोर प्रसाद को यह पद मिल सकता है। यह खबर सामने आई थी कि सुशील मोदी को भाजपा विधानमंडल दल का नेता चुना गया है।
एनडीए विधायक दल का नेता चुनने के लिए आज पटना में बैठक हुई। इसमें नीतीश कुमार को आम राय से नेता चुन लिया गया। एनडीए ने नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाकर चुनाव लड़ा था। जीत के बाद दिल्ली भाजपा की धन्यवाद रैली में भी में भी प्रधानमंत्री मोदी ने साफ़ कहा था कि नीतीश ही मुख्यमंत्री होंगे। इस तरह नीतीश 7वीं बार बिहार मुख्यमंत्री बनेंगे।
उधर भाजपा ने वरिष्ठ नेता एयर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में हुई भाजपा विधायक दल की बैठक में तार किशोर प्रसाद (कटिहार से विधायक) को विधायक दल का नेता चुना है जबकि रेणु को उप नेता चुना गया है। नीतीश कुमार ने एनडीए का नेता चुने जाने के बाद राजभवन में राज्यपाल फागु चौहान से मिलकर अगली सरकार बनाने का दावा पेश किया। शपथ ग्रहण सोमवार शाम होगा।
यह माना जाता है कि भाजपा में किसी अन्य को उपमुख्यमंत्री पद देने की सोच बनी है ताकि भाजपा का कोई चेहरा भविष्य के लिए सामने किया जा सके। इसके लिए कई नाम चर्चा में रहे हैं। वरिष्ठ नेता नित्यानंद रॉय का नाम तो मुख्यमंत्री पद के लिए भाजपा में चर्चा में रहा है। हालांकि, आज भाजपा के भीतर कामेश्वर चौपाल का नाम तेजी से उभरा, हालांकि विधायक दल के नेता तार किशोर प्रसाद का नाम भी खारिज नहीं किया जा सकता। वैसे भी उप मुख्यमंत्री का पद संबैधानिक पद नहीं है, लिहाजा इसके चयन में भाजपा समय ले सकती है।
हालांकि, भाजपा को यह भी लगता है कि बिहार में एनडीए का उतना मजबूत बहुमत नहीं है लिहाज किसी तरह का रिस्क लेना भी ठीक नहीं है। बता दें नीतीश और सुशील मोदी के बीच पिछले करीब 13-14 साल में साथ काम करके बेहतर तालमेल है। फ़िलहाल इन्तजार है कि उप मुख्यमंत्री कौन होगा।
यह माना जाता है कि नीतीश नहीं चाहते थे कि सुशील को उप मुख्यमंत्री पद से बदला जाये। हालांकि, यह साफ़ है कि भाजपा अगले विधानसभा चुनाव में अपने बूते बिहार में पार्टी को खड़ा करने की तैयारी कर रही है। ऐसे में कोई दो राय नहीं कि नीतीश के लिए इस बार का कार्यकाल उतना सरल और सीधा नहीं होगा। भाजपा अपनी ज़मीन मजबूत करने के लिए उच्च ऐसी योजनाओं पर काम करवाना चाहेगी जो शायद नीतीश को रास न आएं।
इसमें कोई शक नहीं कि तेजस्वी यादव के रूप में आरजेडी बिहार एक मजबूत दल सामने आया है। जिस तरह तेजस्वी ने रोजगार को मुद्दा बनाकर बिहार की राजनीति को जाति-पाति के चुनाव से ऊपर उठा दिया, उसे बड़ी बात माना जाएगा। कांग्रेस वहां कमजोर हुई है लेकिन आरजेडी के लिए उसकी ताकत काम की चीज है, क्योंकि पार्टी के पास इस चुनाव में भी 9.5 फीसदी बचा रहा है। तेजस्वी की कोशिश एकाध मजबूत क्षेत्रीय दल को साथ जोड़ने की है ताकि विपक्ष के रूप में ठूसी और टाकत हासिल की जाए। तेजस्वी आरोप लगा चुके हैं कि जनता ने सरकार बनाने के लिए वोट तो महागठबंधन को दिया था, लेकिन भाजपा-जदयू ने पैसे और चुनाव आयोग की ताकत पर जनादेश में हेराफेरी की।