निर्वाचन आयोग कांग्रेस या उसके नेता जैसा चाहते हैं उस तरीके से देश में चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग बाध्य नहीं है। यह बात इलेक्शन कमीशन ने सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल हलफनामे में कही है।
मध्यप्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव में पारदर्शिता की मांग को लेकर मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ की तरफ से दायर याचिका का विरोध करते हुए ईसी ने यह भी कहा कि यह एक संवैधानिक निकाय है जिसे नियमों के अनुसार काम करना है न कि राजनीतिक दल के निर्देशों के अनुसार। .
आयोग के मुताबिक़ कांग्रेस की याचिका आधारहीन है और इसलिए सुप्रीम कोर्ट कमलनाथ की याचिका खारिज करे। दरअसल, मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की मांग को लेकर कांग्रेस की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।
चुनाव आयोग ने कोर्ट में दिये गये अपने हलफनामे में कहा कि याचिका में आयोग पर लगाए गए आरोप गलत, बेबुनियाद और भ्रामक हैं। मतदाता सूची का प्रकाशन मतदाता सूची की जांच पडताल का अभिन्न हिस्सा है।
ईसी ने कहा, ‘कमलनाथ और उनकी पार्टी भारत के निर्वाचन आयोग को किसी विशेष तरीके से चुनाव आयोजित करने (वीवीपीएटी के कार्यान्वयन सहित) के लिए निर्देशित नहीं कर सकते।’
चुनाव आयोग ने कहा कि याचिका में आयोग पर लगाए गए आरोप गलत, बेबुनियाद और भ्रामक हैं, क्योंकि वह ईसी को अपनी निजी इच्छाओं और प्रशंसकों के अनुसार चुनाव करने के लिए निर्देशित कर रहे हैं।
इससे पहले कांग्रेस की मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की इकाइयों के प्रमुखों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील कर कहा था कि चुनाव आयोग फर्जी वोटरों का नाम वोटर लिस्ट से हटाए।
अपील में कमलनाथ, सचिन पायलट और भूपेश बघेल नेकहा था कि चुनाव आयोग इन राज्यों में निष्पक्ष चुनाव कराना सुनिश्चित करे।
कांग्रेस नेता कमलनाथ ने कहा था कि हम चुनाव आयोग को सबूत देंगे कि राज्य में 60 लाख फर्जी वोटर हैं।
मामला सामने आने के बाद चुनाव आयोग ने मामले में जांच करवाने का भरोसा दिया था। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में इसी साल चुनाव होने है।