पांच राज्यों में हार के बाद देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के भीतर उथल-पुथल का दौर शुरू हो गया है। हार की समीक्षा के लिए जहाँ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पांच नेताओं को जिम्मा सौंपा है, वहीं पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आज़ाद की आज एक बहुत महत्वपूर्ण बैठक पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ हो रही है जिसमें वे पार्टी नेताओं (जी-23) की बैठक में सामने आई ‘भावनाओं’ के बारे में उन्हें बताएँगे। इन नेताओं ने कहा है कि पार्टी नहीं टूटने दी जाएगी, हालांकि, यह काफी कमजोर हो गयी है।
पिछले कई साल से जिस तरह कांग्रेस ने चुनाव हारे हैं, उससे कार्यकर्ताओं में निराशा है। साल 2019 में लोकसभा चुनाव लगातार दूसरी बार हारने के बाद अध्यक्ष पद से राहुल गांधी ने इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद सोनिया गांधी कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में पार्टी का जिम्मा खराब स्वास्थ्य के बावजूद ढो रही हैं। यह गंभीरता से महसूस किया जा रहा है कि पार्टी कायापलट करने का समय आ गया है। और उसे एक और ‘कामराज योजना’ की सख्त ज़रुरत है।
आज आज़ाद की सोनिया गांधी से बैठक बहुत ही महत्वपूर्ण है। यह पहली बार है जब जी-23 के नेताओं की भावनाओं को आधिकारिक रूप से आज़ाद पार्टी नेता (सोनिया गांधी) के सामने रखेंगे। अभी तक यह नेता अपनी बैठकों की जानकारी मीडिया के जरिये ही सामने लाते रहे हैं। जाहिर है आर-पार की लड़ाई शुरू हो गयी है।
‘तहलका’ की जानकारी के मुताबिक जी-23 के नेताओं के निशाने पर वास्तव में गांधी परिवार नहीं अपितु परिवार के करीबी नेता हैं। जी-23 नेता चाहते हैं कि इन नेताओं से मुक्ति पाई जाए क्योंकि कांग्रेस की वर्तमान हालत के लिए यही जिम्मेवार हैं। इन नेताओं का मानना है कि गांधी परिवार पार्टी के लिए ज़रूरी है क्योंकि उसकी देशव्यापी अपील है, लेकिन राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के नजदीकी कुछ नेता उन्हें सही सलाह नहीं दे रहे। इससे पार्टी का बंटाधार हो रहा है, क्योंकि आज पार्टी में उनके फैसले ही निर्णायक हैं।
सोनिया गांधी ने जिन नेताओं को पांच राज्यों में हार की समीक्षा का जिम्मा सौंपा है, जी-23 नेताओं का मानना कि इस कवायद से पार्टी को संकट से बाहर निकालने में कोई मदद नहीं मिलेगी। पार्टी की रणनीति बड़े पैमाने पर तय किये जाने की ज़रुरत है। इन नेताओं को राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष बनने पर भी कोई ऐतराज नहीं लेकिन वे उनके आसपास के नेताओं से उन्हें मुक्ति दिलाने की मांग कर रहे हैं। जैसा कि इस गुट के नेता सिब्बल कहते हैं – ‘मुझे सबकी कांग्रेस चाहिए, एक परिवार की नहीं।’
पांच राज्य के नतीजों पर पिछली रात जी -23 नेताओं की बैठक में पार्टी को विभाजित करने से साफ़ इनकार किया गया और कहा कि गांधी परिवार के वफादारों को प्रमुख पदों से हटाने की उनकी प्रमुख मांग है। बैठक में महसूस किया गया कि ‘पार्टी बहुत कमजोर हो गई है’ और विभाजन अपरिहार्य लगता है। अब इन भावनाओं को सोनिया गांधी से साझा करने के लिए गुलाम नबी आजाद उनसे मिलने वाले हैं।
इससे पहले सोनिया गांधी ने पिछले कल पांच राज्यों में हार के बाद स्थिति की समीक्षा के लिए पांच वरिष्ठ नेताओं राज्यसभा सदस्य रजनी पाटिल, जयराम रमेश, अजय माकन, जितेंद्र सिंह और अविनाश पांडे को जिम्मेदारी सौंपी थी। गांधी इसके बाद मिलने वाली रिपोर्ट के आधार पर आगे पार्टी के कोई फैसला करेंगी लेकिन आज गुलाम नबी आज़ाद के साथ उनकी बैठक कहीं ज्यादा अहम है जिसमें कुछ ठोस अगर सामने आता है तो सामूहिक रूप से पार्टी को पुनर्जीवित करने की गंभीर कोशिश शुरू की जा सकती है।