केंद्रीय मंत्रिमंडल के मंज़ूर करने के बाद अब निजी डाटा सुरक्षा बिल को लोकसभा में पेश किया गया है। इस बिल को 11 दिसंबर को संसद में जब पेश किया गया, तो विपक्षी दलों कांग्रेस और राकांपा समेत अन्य ने इसका विरोध किया।
लोकसभा में निजी डाटा सुरक्षा बिल पेश होने के बाद सरकार ने कहा कि विधेयक की व्यापक विवेचना के लिए इसे संयुक्त प्रवर समिति को भेजा जाएगा और इस बारे में एक प्रस्ताव लाया जाएगा। इस बिल को पिछले हफ्ते ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हरी झंडी दिखायी थी। उधर विपक्ष का आरोप है कि निजी डाटा सुरक्षा बिल से लोगों की निजता खतरे में पड़ जाएगी।
लोकसभा में बिल विधि और न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पेश किया। बिल पेश करते हुए मंत्री ने कहा कि इस बिल के प्रावधानों को लेकर आरोप निराधार और दुर्भावनापूर्ण हैं। विधेयक में निजता और डाटा सुरक्षा का खास ध्यान रखा गया है और बिना किसी के अनुमति के कोई डाटा जारी करने पर करोड़ों रुपये का ज़ुर्माना लगेगा।
प्रसाद ने कहा कि इस विधेयक की व्यापक विवेचना के लिए दोनों सदनों की संयुक्त प्रवर समिति विचार करेगी। इसमें दोनों सदनों के सदस्य होंगे और यह खासतौर पर इसी विषय पर विचार करेगी। उन्होंने इसे संसदीय स्थायी समिति को भेजने की मांग की। हालांकि इससे पहले वह गलती से विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजने की बात कहते सुने गये, जिसे उन्होंने बाद में सुधार लिया।
तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने कहा कि निजी डाटा संरक्षण एक संवेदनशील विषय है। उन्होंने उच्चतम न्यायालय के एक फैसले का •िाक्र करते हुए कहा कि इसके बाद इस विषय पर अलग से विधेयक की जरूरत नहीं है और मौज़ूदा कानूनों के तहत यह काम हो सकता है। तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा ने भी विधेयक को सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय स्थायी समिति को भेजने की माँग की। बहरहाल, विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आधार मामले में उच्चतम न्यायालय ने डाटा संरक्षण के लिए निर्देश दिया था और इसलिए यह विधेयक लाया गया है। इससे पहले इस बिल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल को मंज़ूरी दी गयी। बिल लोक सभा के बाद राज्यसभा में पेश किया जाएगा।
क्या है बिल में
बिल में डेटा कलेक्शन, स्टोरेज, व्यक्ति की स्वीकारोक्ति, कोड ऑफ कंडक्ट और उल्लंघन की स्थिति में सज़ा का प्रावधान होगा। इस बिल को सरकार ने तीन भागों में विभाजित कर दिया है। नये बिल में सरकार ने डेटा को तीन भागों में बाट दिया है, जिसमें एक रूपरेखा तैयार करने की उम्मीद है, जिसमें सार्वजनिक और निजी संस्थाओं द्वारा व्यक्तिगत और निजी डेटा का प्रसंस्करण शामिल होगा। सरकार की तरफ से इसे तीन भागों संवेदन शील, क्रिटिकल डेटा, और सामान्य डेटा में बाँटा गया है। कोई भी डेटा सिर्फ कानूनी कार्यवाही में लिया जा सकता है। बाकी डेटा के उपयोग के लिए सहमति ज़रूरी होगी। क्रिटकाल डेटा समय-समय पर बदलता रहेगा।
अगर यह बिल पास होता है, तो इसके तहत आम आदमी की किसी भी तरह की जानकारी उसकी बिना इजाज़त के लेना, उसे प्रयोग करना और शेयर करना कानूनी तौर पर जुर्म होगा। केंद्र सरकार का कहना है कि डेटा प्रोटेक्शन बिल के प्रावधानों को इसमें शामिल करने के लिए कई देशों के डेटा प्रोटेक्शन से संबंधित कानूनों को समझकर उनका अध्ययन किया गया है। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मौज़ूदा दौर की ज़रूरतों को देखते हुए इस विधेयक सबसे ज़रूरी बताया।
भारतीय संविधान गोपनीयता के अधिकार (राइट टू प्राइवेसी) को मूल अधिकारों का अंग मानता है। यही अधिकार इस विधेयक का आधार है। बिल को तैयार करने के लिए सरकार ने लोगों से सलाह भी माँगी थी। बिल में सबसे •यादा ज़ोर डेटा को शेयर करने में लोगों की सहमति को लेकर दिया गया है। सरकार का दावा है कि इसको लेकर सख्त नियम बनाए गये हैं।
इस बिल लेकर सुप्रीम कोर्ट का अगस्त 2017 में दिया गया एक आदेश भी यहाँ बताना ज़रूरी है । कोर्ट ने कहा था कि बिना किसी की मंज़ूरी या इजाज़त के किसी तरह का डेटा लेना या उसे शेयर करना कानूनन अपराध होगा। किसी भी तरह के व्यक्तिगत डेटा को केवल और केवल भारत में ही संरक्षित किया जा सकता है।
ऐसी कोई भी जानकारी जिससे एक आदमी की पहचान ज़ाहिर होती है, वह पर्सनल डेटा, यानी कि व्यक्तिगत जानकारी है। इसमें किसी का नाम, उसकी फोटो, घर-दफ्तर का पता खासतौर पर शामिल हैं। इसके बाद वह सारे दस्तावेज़, जहाँ इस जानकारी का •िाक्र है, वह सब कुछ भी पर्सनल डेटा है। इसमें सीधे तौर पर सरकारी पहचान पत्र, वोटर कार्ड, आधार, पैन कार्ड आते हैं अब इससे एक कदम और ऊपर बढ़ें तो कुछ जानकारियाँ ऐसी हैं, जो संवेदनशील यानी कि सेंसेटिव होती हैं। इनमें रुपयों का लेन-देन, बैंक ट्रांजेक्शन, जाति, धार्मिक विचार, सेक्सुअलिटी, शामिल हैं।
पर्सनल डेटा को उस समय किसी भी वक्त जमा किया जा सकता है, जब उपभोक्ता इनकी सहायता से कोई काम कर रहा है। जैसे गैस कनेक्शन लेना है, फोन कनेक्शन लेना है या किसी पॉलिसी और सरकारी योजना का लाभ लेना है, तो वहाँ व्यक्तिगत डेटा देने की ज़रूरत पड़ती है। ऐसे में जब आप सम्बन्धित संस्थान में अपना डेटा शेयर करेंगे, तो वह सिर्फ आपके उसी काम के लिए प्रयोग किया जा सकेगा, जिसके लिए आपने अपनी जानकारी दी है। यानी कि संस्थान आपके डेटा को कहीं और शेयर नहीं कर पायेगा। अगर ऐसा करता है तो वह अपराध होगा।
जब आप किसी कम्पनी या आर्गेनाइजेशन से अपना पर्सनल डेटा शेयर करते हैं तो उस डेटा का सिर्फ सम्बन्धित चीज़ों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। ज़रूरत पडऩे पर ही इस डेटा को किसी और के साथ शेयर किया जा सकता है। तीसरी पार्टी सिर्फ उतने ही डेटा का इस्तेमाल कर पाएगी जितने की उसे ज़रूरत हो। बिल में प्रावधान है कि पर्सनल डेटा की एक सॄवग कॉपी सम्बन्धित राज्य में स्टोर की जाएगी। कुछ महत्त्वपूर्ण पर्सनल डेटा को देश में स्टोर किया जाएगा।
कुछ परिस्थितियों में पर्सनल डेटा का इस्तेमाल किया जा सकता है। अगर मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ रहा तो सरकार इसका इस्तेमाल कर सकती है। किसी अपराध को रोकने, उसकी जाँच करने या प्रॉसीक्यूशन के लिए, कानूनी कार्यवाही के लिए, व्यक्तिगत या घरेलू उद्देश्यों के लिए। इसके साथ ही रिसर्च और पत्रकारिता के क्षेत्र में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
डेटा लेने वाले संगठनों के नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक डेटा प्रोटेक्शन अथॉरिटी का गठन किया गया है। यह अथॉरिटी ही इसे नियंत्रित करेगी। अगर डेटा के साथ छेड़छाड़ होती है या गलत इस्तेमाल होता है, तो इस पर यह नज़र रखेगी। इस अथॉरिटी की •िाम्मेदारी होगी कि जो भी पर्सनल डेटा के साथ छेड़छाड़ करें, उनकी जाँच कर नियमों के अनुसार सजा दिलवाना। नियम को तोडऩे पर किसी कम्पनी या आर्गेनाइजेशन को डेटा प्रोटेक्शन अथॉरिटी को ज़ुर्माना देना होगा। पीडि़त लोगों के नुकसान की भरपाई करनी होगी। पर्सनल डेटा के गलत इस्तेमाल से लोग जेल भी जा सकते हैं। विधेयक में पाँच साल तक की सज़ा का प्रावधान किया गया है।
विपक्ष का विरोध
विपक्ष का इस बिल के विरोध में कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि निजता को किसी शख्स के मूलभूत अधिकार के तौर पर बरकरार रखा जाना चाहिए। कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हमारी निजता पहले से ही खतरे में है। उन्होंने लोकसभा में कहा- ‘निजता पहले से ही खतरे में है। आपके नेतृत्व में जासूसी उद्योग फल-फूल रहा है। जब हमारी निजता खतरे में थी, जब हमारे लोग सुप्रीम कोर्ट में निजता की लड़ाई लड़ रहे थे, उस समय भी मैंने सोचा था कि इस तरह के विधेयक की अच्छे तरीके से जाँच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को इस तरह के अभिमानपूर्ण तरीके से इस विधेयक को नहीं लाना चाहिए। मैं जानता हूँ आप संख्याबल के मामले में बहुमत में हैं, लेकिन आप इस तरह के विधेयक को इस अभिमानपूर्ण तरीके से हम पर थोप नहीं सकते। इस विधेयक की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से अच्छी तरह से जाँच किए जाने की ज़रूरत है।
बिल की खास बातें
बिल के मुताबिक, कोई भी निजी या सरकारी संस्था किसी व्यक्ति के डेटा का उसकी अनुमति के बिना इस्तेमाल नहीं कर सकती। लेकिन मेडिकल इमर्जेंसी और राज्य या केंद्र की लाभकारी योजनाओं के लिए ऐसा किया जा सकता है। हालाँकि विधेयक में राष्ट्रीय हित से जुड़े मसलों पर डेटा के इस्तेमाल की छूट होगी। इनमें राष्ट्रीय सुरक्षा, कानूनी कार्यवाही और पत्रकारिता के उद्देश्यों से इनका इस्तेमाल किया जा सकेगा। डेटा जुटाने वाली संस्थाओं की निगरानी के लिए डेटा प्रॉटेक्शन अथॉरिटी स्थापित करने का भी प्रावधान हैकिसी भी संस्था को सम्बन्धित व्यक्ति को डेटा के यूज के बारे में बताना होगा। सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व जस्टिस श्रीकृष्णा के नेतृत्व वाली कमिटी ने डेटा प्रॉटेक्शन को लेकर एक रिपोर्ट पेश की थी, जिसके आधार पर इस बिल को तैयार किया गया है। यूरोपियन यूनियन के जनरल डेटा प्रॉटेक्शन रेग्युलेटर की तर्ज पर इस बिल का ड्राफ्ट तैयार किया गया है। किसी भी व्यक्ति को उसके डेटा के सम्बन्ध में महत्त्वपूर्ण अधिकार होंगे।