गुजरात विधानसभा में बुधवार को रखी गयी जस्टिस जीटी नानावती आयोग की फाइनल रिपोर्ट में गुजरात दंगों संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लगे सभी आरोपों को खारिज करते हुए उन्हें क्लीन चिट दी गयी है। इन दंगों में १००० से अधिक लोग मारे गए थे जिनमें से अधिकतर अल्पसंख्यक समुदाय के थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि ”दंगे संगठित नहीं” थे।
गृहमंत्री प्रदीप सिंह ने इस रिपोर्ट के हवाले से विधानसभा में कहा कि रिपोर्ट के मुताबिक सीएम के तौर पर नरेंद्र मोदी किसी भी जानकारी के बिना गोधरा गए थे। इस आरोप को पंच ने खारिज कर दिया है। आयोग का कहना है कि वहां पर मौजूद अधिकारियों के आदेश पर पोस्टमॉर्टम किया गया था न कि सीएम के आदेश पर।
गौरतलब है कि साल २००२ में कारसेवकों से भरी एक ट्रेन में आगजनी के बाद भड़की हिंसा और दंगों से सारा देश दहल गया था। उस वक्त गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी पर भी इन दंगों को लेकर आरोप लगे थे। इसके बाद उनके विरोधी उन्हें इसे लेकर निशाना बनाते रहे, हालांकि विधानसभा में आज पेश की गयी नानावती-मेहता कमिशन की रिपोर्ट में उन्हें क्लीन चिट दी गयी है।
इस रिपोर्ट को तत्कालीन राज्य सरकार को सौंपे जाने के पांच साल बाद सदन के पटल पर रखा गया है। नानावती-मेहता कमीशन की रिपोर्ट में कहा गया है कि गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस की बोगी जलाए जाने के बाद हुई सांप्रदायिक हिंसा सुनियोजित नहीं थी।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) जीटी नानावती और गुजरात हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) अक्षय मेहता ने २००२ दंगों पर अपनी अंतिम रिपोर्ट २०१४ में राज्य की तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को सौंपी थी। साल २००२ में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने दंगों की जांच के लिए आयोग गठित किया था। यह दंगे गोधरा रेलवे स्टेशन के समीप साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन की दो बोगियों में आग लगाए जाने के बाद भड़के थे जिसमें ५९ कारसेवक मारे गए थे।