भाजपा भले पिछले कुछ समय से ”राष्ट्रवाद” को चुनाव में अपना सबसे बड़ा एजेंडा बना रही हो, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने गुरूवार को कहा कि ”राष्ट्रवाद जैसे शब्द में नाज़ी और हिटलर की झलक” दिखाई पड़ती है। भागवत ने यह बड़ा ब्यान झारखंड की राजधानी रांची में आरएसएस के एक कार्यक्रम में दिया है।
उन्होंने कहा कि ”राष्ट्रवाद जैसे शब्द का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए” क्योंकि इसका मतलब नाज़ी या हिटलर से निकाला जा सकता है। ऐसे में राष्ट्र या राष्ट्रीय जैसे शब्दों को ही प्रमुखता से इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने कहा – ”दुनिया के सामने इस वक्त आइएसआइएस, कट्टरपंथ और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दे ज्यादा बड़ी चुनौती हैं।
अपने संबोधन में मोहन भागवत ने कहा कि आरएसएस का विस्तार देश के लिए है क्योंकि हमारा लक्ष्य भारत को विश्वगुरू बनाना है।
ट्रम्प दौरे से पहले मोहन भागवत ने विकसित देशो पर भी कटाक्ष किया है और कहा है कि विकसित देश क्या करते हैं, वो अपने व्यापार को हर देश में फैलाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि इसके जरिए वो अपनी शर्तों को मनवाना चाहते हैं।
भागवत ने कहा कि आरएसएस प्रमुख ने कहा कि दुनिया के सामने जो बड़ी समस्याएं हैं, उनसे सिर्फ भारत ही निजात दिलवा सकता है ऐसे में हिंदुस्तान को दुनिया का नेतृत्व करने की सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश की एकता ही असली ताकत है, इसका आधार अलग हो सकता है लेकिन मकसद समान ही है।