मोदी सरकार के आलोक कुमार को आधी रात को सीबीआई निदेशक के पद से छुट्टी पर भेजने के बाद जिन नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक नियुक्त किया गया था, उन्हें मुज़फरनगर शेल्टर होम मामले की जांच कर रहे अधिकारी एके शर्मा का सर्वोच्च अदालत के निर्देश के विपरीत तबादला करने के लिए सर्वोच्च अदालत ने कोर्ट में तालाब किया है। इस मामले की १२ फरवरी को सुनवाई रखी गयी है।
सर्वोच्च अदालत ने गुरूवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान कुछ कड़ी टिप्णियां कीं। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की बेंच ने कड़े शब्दों में कहा कि पहली नजर में यही लग रहा है कि नागेश्वर राव ने सीबीआई अधिकारी एके शर्मा का ट्रांसफर कर कोर्ट की अवमानना की है। कोर्ट ने कहा- अब भगवान ही आपकी मदद करे।
नागेश्वर राव ने अंतरिम निदेशक रहते मुजफ्फरपुर शेल्टर होम रेप केस मामले की जांच कर रहे एके शर्मा का पिछले दिनों तबादला कर दिया था। हालांकि, कोर्ट ने आदेश दिया था कि इस मामले से जुड़े अधिकारियों की यथास्थिति बनाए।
अब सुप्रीम कोर्ट ने राव और एक अन्य अधिकारी को नोटिस भेजकर १२ फरवरी को व्यक्तिगत तौर पर कोर्ट में पेश होने के लिए कहा है। कोर्ट ने कहा कि तबादला आदेश जारी करने से पहले राव को कोर्ट से सहमति लेनी चाहिए थी।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने गुरूवार को कहा कि हम इसे बेहद गंभीरता से ले रहे हैं। आपने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के साथ खिलवाड़ किया है। अब भगवान ही आपकी मदद करे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के साथ कभी खिलावाड़ न किया जाए। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश के उल्लंघन के लिए सीबीआई प्रॉसिक्यूशन डायरेक्टर इंचार्ज एस भासु राम को भी मौजूद रहने का निर्देश दिया।