पूर्व निदेशक आलोक वर्मा के कार्यकाल के दौरान चर्चा में रहे वरिष्ठ अधिकारी एम नागेश्वर राव को सीबीआई से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। वो दो बार सीबीआई के कार्यकारी निदेशक रहे और अब उनके तबादले के समय वे एडिशनल डायरेक्टर के पद पर थे।
किसी समय यह मान जाता था कि देश की प्रतिष्ठित जांच एजेंसी सीबीआई के वो पूर्णकालिक अध्यक्ष बन जायेंगे लेकिन सर्वोच्च अदालत के साफ़ निर्देश के बावजूद जनवरी में उन्होंने सीबीआई में कुछ अधिकारियों के तबादले कर दिए। इसके बाद उनके खराब दिन शुरू हो गए। तबादले करने पर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अवमानना का दोषी माना।
राव को अक्तूबर में सीबीआई के एडिशनल डायरेक्टर पद पर रहते समय अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया था। उस समय सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें कोई अहम फैसले करने से रोक दिया था। लेकिन, जनवरी में राव ने कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए अधिकारियों के तबादले कर दिए। राव ने बाद में सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगी लेकिन कोर्ट ने उन्हें सजा के तौर पर दिन भर अदालत में बैठने और एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया था।
इसके बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली नियुक्त समिति की तरफ से सीबीआई में राव के कार्यकाल में कटौती करने और उन्हें गृह मंत्रालय मे भेजे जाने का फैसला किया गया। अब शुक्रवार को गृह मंत्रालय की तरफ से उन्हें तब्दील करने का आदेश जारी हो गया है।
राव को सीबीआई से हटाकर फायर सर्विसेज, सिविल डिफेंस एंड होम गार्ड के डायरेक्टर पद पर ज्वाइन करने का आदेश दिया गया है। याद रहे पूर्व निदेशक आलोक वर्मा को भी आखिरी महीने में इसी पद नियुक्ति दी गई थी, हालांकि वर्मा ने ज्वाइनिंग न करते हुए सेवानिवृत्ति ले ली थी। गौरतलब है कि नागेश्वर राव की दो बार बतौर सीबीआई एक्टिंग डायरेक्टर नियुक्ति हुई थी।