नागरिकता संशोधन बिल (कैब) सोमवार को लोकसभा में पास होने के बाद बुधवार को राज्यसभा में भी पास हो गया। बिल के हक़ में १२५ वोट जबकि विरोध में १०५ वोट पड़े। इससे पहले बिल को सेलेक्ट कमेटी को भेजने का प्रस्ताव १२४ के मुकाबले ९९ मतों से गिर गया। अन्य संशोधनों के प्रस्ताव भी गिर गए। शिव सेना ने बिल का सदन में विरोध करने की जगह सदन से वाकआउट किया। उधर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बिल पास होने के बाद एक ब्यान में देश के इतिहास में आज के दिन को ”काला दिन” करार दिया है।
इससे पहले सुबह राज्य सभा में गृह मंत्री अमित शाह बिल ने पेश किया। विपक्ष के जबरदस्त विरोध और असम सहित देश के कुछ राज्यों में इसके जबरदस्त विरोध के बीच इसे राज्यसभा में पेश करने के बाद इसपर चर्चा शुरू हुई। लोकसभा में बहस के बाद कुछ राजनीतिक दलों ने अपने रुख में बदलाव किया तो कुछ गैर-भाजपा, गैर-कांग्रेसी दल बिल के समर्थन में आ गए।
शाह ने कहा कांग्रेस के नेताओं के बयान और पाकिस्तान के नेताओं के बयान कई बार घुल-मिल जाते हैं। कल ही पाकिस्तान के पीएम ने जो बयान दिया और आज जो इस सदन में बयान दिए गए हैं, वो एक समान हैं। एयर स्ट्राइक के लिए जो पाकिस्तान ने बयान दिए वो और कांग्रेस के नेताओं के बयान एक समान हैं। सर्जिकल स्ट्राइक के समय जो बयान पाकिस्तान के नेताओं और कांग्रेस के नेताओं ने दिए वो एक समान हैं।
विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा- बिल के लिए जिन धर्मों का चुनाव किया गया, उसका आधार क्या है। वहीं कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि इससे पहले कभी भी धर्म के आधार पर सरकारों ने फैसला नहीं लिया। यह सरकार जल्दबाजी में है। वहीं, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा- अगर भारत देश अपनी संस्कृति और संस्कार के चलते लोगों को आश्रय दे रहा है, तो इसमें क्या गलत है। प्रसाद ने अपने भाषण में कश्मीर का जिक्र किया, तो टोका-टोकी शुरु हो गई। हालांकि अध्यक्ष के हस्तक्षेप के बाद कार्रवाई आगे बढ़ी।
आजाद ने कहा- मैं पूछना चाहता हूं कि बिल के लिए जिन धर्मों का चुनाव किया गया, उसका आधार क्या है। इस बिल में श्रीलंका के हिंदू, भूटान के ईसाई क्यों शामिल नहीं किए गए। मुसलमानों का सबसे ज्यादा प्रॉसीक्यूशन अफगानिस्तान में हुआ, जो इस्लामी देश है। उन्होंने कहा कि अगर यह बिल सबको पसंद है, तो असम में ये हालात क्यों बने हैं, त्रिपुरा में ये हालात क्यों बिगड़े? पूरे नॉर्थ ईस्ट में यही स्थिति है। आप लोग इसी तरह तीन तलाक बिल लाए, इसी तरह एनआरसी लाए और अब सिटीजनशिप बिल ला रहे हैं।
कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा ने कहा, ‘पिछले कुछ सालों से इस बिल को लेकर चर्चा हो रही है। साल 2016 में भी यह बिल लाया गया था लेकिन उसमें और इसमें काफी अंतर है। ”मैंने गृह मंत्री को आज भी सुना और दूसरे सदन में भी सुना था। उनका कहना है कि सबसे बातचीत हो चुकी है। जांच पड़ताल हो चुकी है। मैं इससे सहमत नहीं हूं। इसकी स्क्रूटनी होनी चाहिए।”
शर्मा ने कहा कि आप कह रहे है कि यह ऐतिहासिक बिल है, इतिहास इसको किस नजरिए से देखेगा, यह वक्त बताएगा। इस बिल को लेकर इतनी जल्दबाजी क्यों है। इसे पार्लियामेंट्री कमेटी को भेजे, दोबारा से दिखवाते, अगले सत्र में लेकर आते लेकिन सरकार जिद्द कर रही है। वह इसको लेकर ऐसे कर रही है, जैसे भारत पर कोई विपत्ति आ रही हो। ऐसा पिछले ७२ साल में नहीं देखने को मिला। हमारा विरोध राजनीतिक नहीं, बल्कि संवैधानिक और नैतिक है। यह भारतीय संविधान की नींव पर हमला है। यह भारत की आत्मा पर हमला है। यह संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ है।