भारत के सबसे बड़े मीडिया समूह बेनेट कोलमैन एंड कम्पनी लिमिटेड (बीसीसीएल), जिसे टाइम्स ग्रुप के नाम से जाना जाता है; की अध्यक्ष (चेयरपर्सन) 84 वर्षीय इंदु जैन हमारे बीच नहीं रहीं। कोरोना वायरस की चपेट में आने के बाद वह पिछले कुछ दिनों से अस्पताल में भर्ती थीं। उन्होंने 13 मई की शाम को निर्वाण प्राप्त किया। इंदु जैन भारतीय मीडिया की प्रमुख शख़्सियत थीं और धार्मिक प्रवृत्ति की थीं। वह आजीवन आध्यात्मिकता की ओर अग्रसर रहीं और परोपकार, कला संरक्षण एवं महिला अधिकारों की समर्थक रहीं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई बड़ी हस्तियों ने इंदु जैन की निर्वाण प्राप्ति पर श्रद्धांजलि दी है।
उत्तर प्रदेश के फै़ज़ाबाद में 8 सितंबर, 1936 में साहू-जैन जन्मीं इंदु जैन का विवाह टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप के अशोक कुमार जैन से हुआ था। सन् 1999 में उनके पति अशोक जैन का निधन हो गया था। इंदु जैन के दो बेटे- बीसीसीएल के मौज़ूदा प्रबन्ध निदेशक विनीत जैन और समीर जैन हैं।
कई बार फोब्र्स की सबसे अमीर शख़्सियतों की सूची में आ चुकी इंदु जैन दि टाइम्स फाउंडेशन की संस्थापक एवं अध्यक्ष, भारतीय ज्ञानपीठ ट्रस्ट की अध्यक्ष और फिक्की की महिला विंग (एफएलओ) की संस्थापक अध्यक्ष थीं, जिसकी स्थापना उन्होंने सन् 1983 में की। इंदु जैन ने सन् 2000 में दि टाइम्स फाउंडेशन की स्थापना की थी। दि टाइम्स फाउंडेशन आपदा राहत के लिए सामुदायिक सेवा, रिसर्च फाउंडेशन और टाइम्स रिलीफ फंड चलाता है। टाइम्स ग्रुप में टाइम्स नाउ, मिरर नाउ, मूवीज नाउ, जूम, रोमी नाउ जैसे समाचार न्यूज और मनोरंजन चैनल, टाइम्स ऑफ इंडिया, नवभारत टाइम्स और इकोनॉमिक टाइम्स जैसे अ$खबार शामिल हैं। इंदु जैन हमेशा काम को तवज्जो देने वाली एक सफल व्यावसायिक महिला थीं। समाज सेवा और कला आदि क्षेत्र में रुचि रखने के चलते उन्हें दुनिया भर में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता था।सन् 2016 में उन्हें पद्म भूषण, सन् 2019 में इंस्टीट्यूट ऑफ कम्पनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया द्वारा लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड, सन् 2018 में अखिल भारतीय प्रबन्धन संघ द्वारा मीडिया को लाइफटाइम कंट्रीब्यूशन के लिए पुरस्कार, भारतीय महिला कांग्रेस द्वारा लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। पिछले साल उन्होंने सहस्राब्दी विश्व शिखर सम्मेलन (मिलेनियम वल्र्ड पीस समिट) में संयुक्त राष्ट्र को भी सम्बोधित किया था।
इंदु जैन का कहना था- ‘वर्तमान में जीने का मतलब है- अतीत के लिए पछतावा नहीं, भविष्य की चिन्ता नहीं। जीवन वही है, जो अभी है। मैं एक साधक पैदा हुई थी। मैं तलाश करने के लिए बहुत जिज्ञासु और उत्सुक रही। मुझे $खुश रहने और एक उद्देश्य होने के बीच कोई विकल्प नहीं दिखता। अलग-अलग प्रतीत होने वाले विकल्प बस एक ही हो सकते हैं। जीवन एक अविश्वसनीय साहसिक कार्य है और आपको इसे अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहिए।’
शायद उन्हें अपने निर्वाण का पूर्वाभास था। इसलिए उन्होंने अपने निर्वाण से पहले कहा था- ‘यदि कोई अंतिम इच्छा है, तो यह है कि किसी को भी मेरे जाने की सूचना नहीं दी जानी चाहिए। किसी को पूछने की ज़रूरत नहीं है कि इंदु कहाँ है? क्योंकि जहाँ भी हँसी होगी, वे उसे वहीं पाएँगे। शरीर के निर्जीव खोल का अन्तिम संस्कार उसी तरह किया जा सकता है, जिस तरह से आश्रमवासियों को सबसे अच्छा लगता है। मेरे गुरु जहाँ भी होंगे, मेरी तरफ़ से निश्चित रूप से पंख लगाएँगे। फिर मैं लम्बे समय से प्रतीक्षित मिलन-मिलान में अग्नि, भूमि, जल, वायु और अंतरिक्ष में मिस जाऊँगी। हमेशा मैं तुम
में। प्यार!’
वह श्री श्री रविशंकर और सद्गुरु जग्गी वासुदेव की अनुयायी थीं। आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के संस्थापक श्री श्री रविशंकर के साथ उनका गहरा जुड़ाव था। उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए श्री श्री रविशंकर ने कहा- ‘इंदु माँ के साथ मेरा जुड़ाव सन् 1980 के दशक में शुरू हुआ था और उनकी सबसे शुरुआती यादों में से एक आध्यात्मिक चीज़ों के लिए उनकी अतृप्त जिज्ञासा थी।’
टाइम्स समूह के अध्यक्ष श्रीमती इंदु जैन के निधन में हमने एक अद्वितीय मीडिया नेता और कला और संस्कृति के एक महान् संरक्षक को खो दिया। उन्होंने उद्यमिता, आध्यात्मिकता और परोपकार के क्षेत्रों में अपनी विशेष छाप छोड़ी। उनके परिवार, दोस्तों और प्रशंसकों के प्रति संवेदना।’’
रामनाथ कोविंद, राष्ट्रपति
(एक ट्वीट में)
टाइम्स समूह की अध्यक्ष इंदु जैन के निधन से दु:खी हूँ। सामुदायिक सेवा के क्षेत्र में उनके द्वारा उठाये गये क़दमों, भारत की प्रगति को लेकर उनके जज़्बे और संस्कृति के प्रति गहरी दिलचस्पी के लिए उन्हें याद किया जाएगा। वह समाज के लिए किये गये योगदान के लिए याद रखी जाएँगी।’’
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
(एक ट्वीट में)