कांग्रेस पार्टी की नेतृत्व वाली यूपीए के नये अध्यक्ष के तौर पर शरद पवार के नाम को लेकर जारी अटकलों पर खुद एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने यह कहकर कि इस बाबत मीडिया गलत खबर फैला रही है, रोक लगा दी है।
पवार के 80 वें वर्षगांठ के ऐन कुछ दिन पहले अचानक देश के सियासी हलकों में इसकी चर्चा होने लगी थी कि सोनिया गांधी इस पद से इस्तीफा दे सकती हैं और एनसीपी चीफ शरद पवार को नया अध्यक्ष बनाया जा सकता है।
पवार ने कहा कि अगले कुछ दिनों में किसानों के आंदोलन उग्र होने की संभावना है और उन्होंने केंद्र सरकार से किसानो की सहिष्णुता का अंत नहीं होने देने की अपील की।
इसके पहले शिवसेना के संजय राउत ने गुरुवार को कहा था कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार में देश का नेतृत्व करने के सारे गुण हैं। राउत ने कहा कि पवार के पास बहुत अनुभव है और उन्हें देश के मुद्दों का ज्ञान है तथा वह जनता की नब्ज जानते हैं। उन्होंने कहा, ‘उनके पास राष्ट्र का नेतृत्व करने की पूरी काबिलियत है।’
कांग्रेस को ही मिटाने का एक बड़ा प्लान – निरुपम
इन खबरों के चलते ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संजय निरुपम बिफर उठे।उन्होंने ट्विटर पर इस मुद्दे पर अपनी नाराजगी जताई है। निरुपम ने कहा है कि दिल्ली से मुंबई तक राहुल गांधी के खिलाफ जो अभियान चल रहा है, उसी का हिस्सा है, शरद पवार को यूपीए का चेयरमैन बनाने का शिगूफा। उसी अभियान के तहत 23 हस्ताक्षर वाली चिट्ठी लिखी गई थी। फिर राहुल जी के नेतृत्व में कनसिस्टेंसी की कमी ढूंढ़ी गई है। एक बड़ा प्लान है,कांग्रेस को ही मिटाने का।
राजनीति में कुछ भी संभव है – संजय राउत
शरद पवार के खंडन पर संजय राउत का कहना था, ‘अगर शरद पवार यूपीए के अध्यक्ष बन जाते हैं, तो यह हमारे लिए खुशी की बात है। लेकिन मुझे ऐसी कोई संभावना नहीं दिख रही है। शरद पवार ने भी इस खबर का खंडन किया है। शरद पवार महाराष्ट्र और देश के एक महान नेता हैं। हम सभी उनके नेतृत्व में काम कर रहे हैं। अगर शरद पवार ने खुद यह कहा है, तो इस पर चर्चा करना उचित नहीं है।’ हालांकि उन्होंने इस संभावना से इंकार नहीं करते हुए कहा कि राजनीति में कुछ भी संभव है। किसी को नहीं मालूम कि आगे क्या होगा? और अगर ऐसा कोई प्रस्ताव आता है, तो हम इसका समर्थन करेंगे।
इस बीच एनसीपी के मुख्य प्रवक्ता महेश तपासे ने कहा कि एनसीपी स्पष्ट करना चाहती है कि यूपीए के सहयोगियों के साथ इस संदर्भ में कोई चर्चा नहीं हुई है। तपासे ने कहा कि ऐसा लगता है कि मीडिया में चल रही इस तरह की खबरों को जानबूझ कर फैलाया गया है ताकि लोगों का ध्यान किसान आंदोलन से हटाया जा सके।