सीबीआई के निदेशक रहे आलोक वर्मा की सेवानिवृति की अपील खारिज करते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उन्हें सेवानिवृति के आखिरी दिन (३१ जनवरी) नया ऑफिस ज्वाइन करने का फरमान जारी कर दिया। लेकिन पता चला है कि वर्मा आज (गुरूवार को) ज्वाइन नहीं हुए और अब गृह मंत्रालय उनके खिलाफ कार्रवाई की तैयारी में जुट गया है।
आलोक वर्मा को सीबीआई के निदेशक के पद पर मोदी सरकार ही लाई थी लेकिन बाद में सरकार की उनसे खटक गयी। यह भी जानकारी सामने आई कि वर्मा कथित तौर पर राफेल मामले में कागज़ इक्कठे कर रहे थे।
निदेशक पद से हटाए जाने के बाद जब उन्हें नई पोस्टिंग मोदी सरकार ने दी थी तो उसे स्वीकार न करते हुए वर्मा ने सेवा निवृति का ऐलान कर दिया था। गृह मंत्रालय ने वर्मा के सरकार की सेवा से मुक्त होने के अनुरोध को नामंजूर कर दिया और उन्हें कहा कि वो नागरिक सुरक्षा और होम गार्ड (अग्निशमन सेवा) के महानिदेशक पद पर अंतिम दिन ही सही, दफ्तर ज्वाइन करें।
वर्मा का सीबीआई प्रमुख के रूप में दो साल का कार्यकाल ३१ जनवरी को समाप्त होने वाला था। ऐसे में मंत्रालय के इस आदेश के मुताबिक वर्मा को गुरुवार को दफ्तर आना था, हालांकि वे सरकार के फरमान के विपरीत गुरूवार को दफ्तर में हाज़िर नहीं हुए।
आलोक वर्मा को सीबीआई के निदेशक पद से हटा दिया गया था, जिसके बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था और कहा था कि उन्हें रिटायर माना जाए। वर्मा को १० जनवरी को पीएम मोदी की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय समिति की बैठक के बाद हटाया गया था जिसमें कांग्रेस सदस्य मल्लिकार्जुन खड़गे ने विरोध किया था।
सरकार के नए फरमान के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने आलोक वर्मा मामले पर कटाक्ष किया और केंद्र पर निशाना साधा। उन्होंने कहा – ”अगर वर्मा को विशेष रूप से सीबीआई के लिए नियुक्त किया गया था तो वे दूसरा काम कैसे कर सकते हैं। सरकार ने गड़बड़ी की है और इसलिए अब वह फायर विभाग के डीजी के रूप में वर्मा को ज्वाइन करने के लिए कह रही है।”