नरेंद्र मोदी का अमर रथ

अमर सिंह बम-बम हैं। दुकान चल गई है। देश के तमाम उद्योगपतियों को मालूम हो गया है कि ‘अमर सिंहजीÓ अब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ब्रांड एंबेसडर हैं। प्रधानमंत्री निवास से लेकर वित्त मंत्री पीयूष गोयल, धर्मेंद्र प्रधान, अमित शाह सबके यहां उनकी फोन लाइन जुड़ गई होंगी। सचमुच वक्त और भाग्य का कमाल देखिए कि जिस प्रधानमंत्री ने यह कसम खा कर दिल्ली का तख्त संभाला था कि वे दिल्ली के पॉवरब्रोकर, इनसाइडरों, दलालों को अपने और अपनी सरकार के पास फटकने नहीं देंगे वे नरेंद्र मोदी अब अमर सिंह, अमिताभ बच्चन, अनिल अंबानी की उस तिकड़ी से घिरे दिख रहे हैं, जिसका अर्थ पूरा देश कई दशकों से जानता है।

उस नाते कौतुक अमर सिंह का नहीं है, बल्कि नरेंद्र मोदी, अमित शाह और योगी आदित्यनाथ का है! इनके आंगन में यदि अमर सिंह अब ‘अमर सिंह जीÓ हुए हैं और चुनावी उपयोग के लिए अमर रथ आ खड़ा हुआ है तो क्या यह बदले वक्त का गवाह नहीं है? 29 जुलाई 2018 का दिन अमर सिंह के जीवन का अभूतपूर्व दिन था तो नरेंद्र मोदी-अमित शाह की राजनीति में भी मोड़ था। एक झटके में नरेंद्र मोदी ने देश को बताया कि उन्हें अब अपने पर भरोसा नहीं। वे 2019 के लोकसभा चुनाव में अमर सिंह के रथ पर बैठ कर उत्तर प्रदेश का महाभारत लड़ेंगे।

सोचो, भगवा वस्त्रधारी योगी आदित्यनाथ, कथित हिंदू चाणक्य अमित शाह और हिंदुओं के आज के पृथ्वीराज चौहान को अपने आप पर हिंदू बनाम मुस्लिम कराने का वह भरोसा नहीं है, जो 2014 और 2017 में 56 इंची छाती से खम ठोंक पैदा किया गया था। तभी तो अमर सिंह के रथ को बनवा कर उससे ‘बुआ-बबुआÓ एलायंस के आगे मोर्चेबंदी कराई जा रही है और हल्ला बनाया जा रहा हैं कि ‘अमरसिंहजीÓ का जीवन नरेंद्र मोदी को समर्पित है!

संदेह नहीं जंग में सब कुछ जायज होता है। सो, मोदी-शाह-योगी क्यों न उत्तर प्रदेश में अमर सिंह का उपयोग करें? मगर ऐसा होना अपने आपमें प्रमाण है कि उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा-लोकदल-कांग्रेस के एलायंस को मोदी-शाह कितना खतरनाक माने हुए हैं, और इसकी चिंता में नरेंद्र मोदी किसी को भी गले लगाने को तैयार हैं। वे कुछ भी करेंगें। मायावती, अखिलेश, अजित सिंह, राहुल गांधी को नंगा कराने के लिए अमर सिंह जैसे कपड़े खींचने वाले, काटने वाली असंख्य ताकतों को आगे ऐसे दौड़ा दिया जाना है, जिससे राजनीति की तमाम हदें टूट जानी है। इसलिए 29 जुलाई 2018 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लखनऊ में कारोबारियों के सम्मेलन में जो कहा उसके गंभीरता से अर्थ बूझने चाहिए। एक वाक्य से अमर सिंह को मायावती-अखिलेश-राहुल के पीछे छोड़ दिया- सामने अमर सिंह जी बैठे हैं, सबकी हिस्ट्री खोल कर रख देंगे।

और जान लें अमर सिंह हिस्ट्री खोलने में ही नहीं, बल्कि घर में कलह पैदा करने, पार्टियों में तोडफ़ोड़ करने, चरचे-परचे-खरचे और ग्लैमर का वह कीचड़ बनाने में सौ टका समर्थ हैं, जो मोदी-शाह के लिए आगे कमल खिलवा दे!

उस नाते अमर सिंह का ‘अमर सिंहजीÓ होना प्रमाण है कि 2014 के बाद गंगा-यमुना में कितना पानी बह गया है और मोदी-शाह-योगी यूपी में विपक्ष का एलायंस न होने देने के लिए कितनी तरह के जतन करेंगें! अमर सिंह एंड पार्टी की ताकत से मोदी-शाह को उत्तर प्रदेश में कितना धक्का मिलता है यह तो वक्त बताएगा लेकिन इतना तय मानें कि अमर सिंह मौका नहीं चूकेंगें। उनका बड़बोलापन चालू हो गया है। वे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पटा कर लखनऊ में शासन, अफसरों और मंत्रियों पर बहुत जल्दी अपनी पकड़ बना लेने वाले हैं। यों भी योगी के पास सलाहकार नहीं हैं। इसलिए वे अपनी ठाकुरशाही में ठाकुर अमर सिंह से राजकाज की शिक्षा-दीक्षा न लें यह संभव ही नहीं है। आगे संभावनाएं असंख्य हैं। अमर सिंह चुनावी पैकेज डील बना कर खुद अखिलेश यादव के खिलाफ खड़े हो सकते हैं, वह जया प्रदा को भी भाजपा के चुनाव चिन्ह पर आजम खान के खिलाफ चुनाव लड़वा सकते हैं तो अजित सिंह को तोडऩे के लिए उनकी पुरानी महिला मंडली को सक्रिय बनवा सकते हैं।

हां, अमर सिंह कलाकार हैं तो क्षमतावान भी। आखिर चंद्रशेखर की चिरकुटी से नरेंद्र मोदी के ‘अमर सिंहजीÓ बनने का अमर सिंह का सफर यूं ही नहीं हुआ। यह अलग बात है कि 40 साल के उनके इतिहास का एक निचोड़ यह भी है कि जिस-जिस के साथ अमर सिंह रहे, उनके घरों में भाई-भाई में झगड़े हुए। कलह हुई और अंतत: सब डूबे। जिस घर में उनके पांव पड़े उसमें कलह के साथ घर टूटा और नेता ने सत्ता भी गंवाई! मगर हां, अमर सिंह की अपनी दुकान जरूर चमकी रही। दुकान के बोर्ड पर विविध ब्रांड जुड़ते गए।

क्या वह इतिहास नरेंद्र मोदी, अमित शाह और योगी आदित्यनाथ के भगवा घरों में अमर सिंह के पांव रखे जाने से दोहराया नहीं जाएगा?

जवाब वक्त देगा। इतना तय मानें कि अमर सिंह उधम मचाने में कसर नहीं रख छोड़ेंगे। बहुत संभव है अपनी बातों, अपनी राजनीति से वे उत्तर प्रदेश में अब योगी आदित्यनाथ के बाद भाजपा के नैरेटिव बनवाने वाले नंबर दो के नेता बन जाएं। यों भाजपा अध्यक्ष उन्हें पार्टी में औपचारिक तौर पर शामिल करें, यह संभव नहीं लगता है। आखिर कुछ भी हो उत्तर प्रदेश को, उसकी तासीर को, उसके कलाकार अमर सिंह को अमित शाह बखूबी, जानते समझते हैं। यदि अमर सिंह भाजपा में शामिल हुए और योगी आदित्यनाथ के साथ ठाकुर नजदीकी में कर्ता-धर्ता बन गए तो अमित शाह के कंट्रोल में फिर क्या रहेगा?

हां, तय मानें नरेंद्र मोदी के जरिए योगी आदित्यनाथ का कर्ता-धर्ता बनना अमर सिंह की दीर्घकालीन उड़ान का टेकऑफ है। वे योगी को अहसास करा देंगें कि आपका भगवा चेहरा मोदी-शाह की मजबूरी है। आपके कारण प्रदेश में हिंदू-मुस्लिम होता है। आप हिंदुओं के, भगवा राजनीति के असली आईकॉन हैं। आप ही आगे के प्रधानमंत्री हैं और आपको ऐसे राजनीति करनी है, जिससे आपके खास लोग टिकट पाएं। वे जीतें और आप अखिल भारतीय इमेज पा कर देश की राजनीति में निर्णायक बनें।

जान लें यह सब अमर सिंह की बेसिक फितरत है। चंद्रशेखर, माधव सिंह सोलंकी, माधवराव सिंधिया, बच्चन परिवार से ले कर मुलायम सिंह यादव सबके यहां एंट्री बनते ही अमर सिंह ने हमेशा पहले इर्द-गिर्द जमे हुए लोगों को उखाड़ा। नेता को अपने ऊपर निर्भर बनाया। उसके चरचे, परचे, खरचे और ग्लैमर का ऐसा बंदोबस्त किया कि उसके दरबार का सौ टका टेकओवर अमर सिंह का बना। वैसा योगी आदित्यनाथ का आगे  हो सकता है और ‘अमर सिंहजीÓ की उपयोगिता देख नरेंद्र मोदी ने अपने प्रधानमंत्री निवास में यदि उनको पूरी एक्सेस दे दी तो वह वक्त अकल्पनीय नहीं है कि अमित शाह भी मोदी के यहां से आउट हो जाएं और ‘अमर सिंहजीÓ ही चुनाव के बाद उनके लिए सहयोगी पार्टियों के जुगाड़ के कर्ता-धर्ता बनें!

और वैसा होना बड़ा मजेदार होगा। मैं अमर सिंह को चिरकुटी दिनों से बहुत गहराई से जानता हूं इसलिए अपना मानना है कि नरेंद्र मोदी ने 29 जुलाई 2018 के दिन भारत के नंबर एक ऐयार को ऐसे पंख लगाए हैं कि मायावती, अखिलेश, अजित सिंह, राहुल गांधी को वे चाहे जैसे घायल करें लेकिन असली खेल तो भाजपा के भीतर योगी के टेकओवर या नरेंद्र मोदी के टेकओवर का होगा। देखते जाएं, क्या-क्या गुल खिलते हैं!

साभार: नया इंडिया