नये साल को यादगार बनाने की कोशिश में जश्न की तैयारी में लगे लोगों की •िान्दगी में ज़हर घोलने की सा•िाशें नाकाम करने की मुहिम है हमारी, और इरादे बुलन्द हैं। यह बात कहते हैं मूथा अशोक जैन, जो नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के डिप्टी डायरेक्टर हैं।
लेकिन इस सुनहरे अवसर को अपने हाथों से नहीं छूटने देने के लिए नशे के कारोबारी भी अपने नेटवकल को अलर्ट और मज़बूत बनाने में लगे हैं। ड्रग सिंडिकेट से जुड़े सूत्र बताते हैं कि थर्टी फस्र्ट से पहले ही नशीले कारोबार का बाज़ार गुलज़ार होने लगता है। साल-भर की कमायी का 50 फीसदी से •यादा कमायी इस दौरान हो जाती है। रेट दोगुना हो जाता है। 6000 रुपये प्रति ग्राम बिकने वाली कोकीन 10,000 रुपये के भाव बिकने लगेगा।
नये साल का गर्मजोशी से स्वागत करने और जश्न मानने के लिए अपनी नाईट लाइफ के लिए मशहूर िफल्मी नगरी मुम्बई और विदेश-सा खुलापन लिए गोवा से बेहतर डेस्टिनेशन शायद ही कोई हो, तभी तो हिंदुस्तान ही नहीं दुनिया के अलग अलग कोनों से लोग नये साल का जश्न मनाने की लिए मुम्बई और गोवा पहुँचते हैं।
ड्रग माफिया ने मुम्बई पर अपनी नापाक नज़र गढ़ा दी है। कानून से आँख बचाकर अलग अलग रंग, अलग-अलग रूप में ड्रग्स की खेप मुम्बई पहुँचने लगी है। नये साल के जश्न में डूबे युवाओं को टारगेट करने करने के लिए, जो ड्रग्स मुम्बई लायी जा रही है; उसमें कोकीन उर्फ बम्बा, एमडी, एक्स्टेसी और गाँजे का समावेश है। वैसे तो जम्मू-कश्मीर, मध्य प्रदेश से सडक़ या ट्रेन के रास्ते ड्रग्स मुम्बई पहुँचती है, लेकिन कोकीन जैसा ड्रग विदेशों से मुम्बई पहुँचाने के लिए माफिया एयर वेज का इस्तेमाल करता है; लेकिन कस्टम की बढ़ती मुस्तैदी के चलते माफिया अब चेन्नई पोर्ट से ड्रग्स सडक़ के रास्ते गोवा और फिर मुम्बई में तस्करी करते हैं।
ड्रग्स का गोवा कनेक्शन
ड्रग्स का सबसे बड़ा बाज़ार है गोवा। इसीलिए हज़ारों मील दूर से माफिया यहाँ आकर बड़े पैमाने पर धन्धा सँभाल रहे हैं। आज इस काले साम्राज्य पर रशियन माफिया का कब्ज़ा है, जो बेहद ही खतरनाक है। गोवा पर कभी नाइजीरियन ड्रग माफिया का वर्चस्व हुआ करता था। लेकिन रशियन माफिया ने इतनी तेज़ी से धन्धे पर कब्ज़ा किया कि नाइजीरियन माफिया को भनक ही नहीं पड़ी और जब तक नाइजीरियन माफिया को पता चला, तब तक रशियन माफिया गोवा ड्रग बाज़ार के बड़े हिस्से पर अपना कब्ज़ा कर चुके थे। गोवा ड्रग बाज़ार पर वर्चस्व की लड़ाई में नाइजीरियन और रशियन माफिया के बीच छिड़े गैंगवार में कई लोगों को अपनी जान तक गँवानी पड़ी।
कहा जाता है कि जिसके सिर पर गोवा के कुछ कुख्यात पॉलिटिशियन और भ्रष्ट पुलिस अफसरान का वरदहस्त है, वो ही इस सफेद पाउडर के काले धन्धे का सुल्तान होता है। रशियन माफिया ने गोवा के इन सफेदपोश माफिया के मन की वो सभी मुरादें समय से पहले पूरी कीं, जो वो चाहते थे। यही कारण है कि गोवा का ड्रग बाज़ार आज रशियन माफिया के हाथ चला गया।
ऐसा नहीं कि ड्रग के इस खतरनाक कारोबार के िखलाफ आवाज़ नहीं उठायी गयी हो। लेकिन यह सिंडिकेट कितना खतरनाक है उसका अंदाज़ा गोवा के एक मिनिस्टर के बयान से लगाया जा सकता है, जिसमें उन्होंने ड्रग माफिया से उनकी जान को खतरा बताया है। गोवा फॉरवर्ड पार्टी के विनोद पालयेकर गोवा में फैले ड्रग माफिया के िखलाफ अपनी लड़ाई लड़ते रहे हैं।
चूँकि नये साल को सेलिब्रेट करने के लिए बड़ी संख्या से यंगएस्टर्स मुम्बई पहुँचते हैं, इसी लिए मुम्बई, गोवा ड्रग माफिया की पहली पसन्द रहा है। गोवा ड्रग्स सिंडिकेट से जुड़े जुनैद (बदला हुआ नाम) ने तहलका से बात करते हुए बताया कि मुम्बई उनके लिए सॉफ्ट टारगेट है और यहाँ आने वाले लोगों के पिछवाड़े (पॉकेट) में इतना दम होता है कि उनके सामान को आसानी से खपा लेते हैं। जुनैद के साथी सलीम (बदला हुआ नाम) ने तहलका के सामने खम ठोककर दावा है कि उन्हें किसी का खौफ नहीं है और यहाँ सब कुछ सेटिंग से चलता है। सलीम ने यह भी दावा किया कि उनके करियर बॉस के पेरोल पर पलने वाले कुछ साहब लोगों की निगरानी में माल को बिना किसी दिक्कत के मुम्बई सुरक्षित ठिकाने पर पहुँचा देते हैं।
गौरतलब हो कि मुम्बई पुलिस ने पिछले कुछ साल में अपने ही डिपार्टमेंट से जुड़े कुछ बड़े ऑफिसर्स को ड्रग्स तस्करों के साथ सीधे तौर पर काम करने और ड्रग माफिया को हेल्प करने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
पब्स-डिस्को का फेवरेट ड्रग-बंबा
तहलका ने ड्रग्स के धन्धे से जुड़े कुछ और लोगों से बात की। यह वो लोग थे, जो ‘घोड़ा’ का काम करते हैं। इस धन्धे में घोड़ा वो शख्स होता है, जो ड्रग्स को पुलिस की नज़र से छुपा का ‘माल’ यानी ड्रग को ‘माइक्रो’ तक पहुँचाता है। ‘माइक्रो’ यानी वह आदमी जो ड्रग्स को कस्टमर्स तक पहुँचाता है। एक माइक्रो ने तहलका को बताया कि मुम्बई के वेस्टर्न सबर्ब के पॉश जुहू, सांताक्रूज, खार, बांद्रा एरिया के डिस्को, पब्स में आने वाले लडक़ों-लड़कियों की पहली पसंद कोकीन होती है। माइक्रो ने बताया कि वैसे तो उनके कोकीन के कस्टमर फिक्स ही होते हैं; लेकिन न्यू ईयर पार्टी में उनके फिक्स्ड कस्टमर्स ही नये कस्टमर्स से उनकी पहचान करवाकर देते हैं और इस काम के लिए वे अपना ‘कट’ रख लेते हैं। कट में यह कस्टमर या तो माल की पूड़ी लेते हैं या कैश।
मुम्बई के एक पब में एक्टिव रहने वाले माइक्रो ने बताया कि कोकीन के अलावा उनके कस्टमर्स एमडी की भी डिमांड करते हैं। बता दें कि पिछले कुछ साल में एमडी की डिमांड बहुत तेज़ी से बढ़ी है। सलीम की मानें तो, एमडी को सप्लाई करने में •यादा प्रॉब्लम नहीं आती, क्योंकि एमडी मुम्बई के आसपास आसानी से मिल जाती है और ट्रांसपोर्ट करने में •यादा रिस्क नहीं होता।
इस धन्धे से जुड़े मार्क (बदला हुआ नाम) बताया कि आज कोकीन 6,000 रुपये प्रति ग्राम बिक रही है और 25 दिसंबर के बाद इसके दाम में 50 फीसदी बढ़ जाएगा। जबकि आज एमडी का रेट 4,000 रुपये प्रति ग्राम और आने वाले दिनों में उसकी कीमत भी डबल हो जाएगी। मार्क ने कहा- ‘एमडी का नशा कोकीन को टक्कर देता है और लम्बे समय तक असर करता है, रेट भी कोकीन के मुकाबले कम है; इसीलिए एमडी के कस्टमर तेज़ी से बढ़ रहें हैं।’
गौरतलब हो कि मुम्बई पुलिस की एंटी नारकोटिक सेल और ठाणे पुलिस ने पिछले कुछ साल में मुम्बई से सटे कुछ कस्बों से एमडी की कई फैक्टरियाँ सील करने में सफलता हासिल की है। इन फैक्टरियों में केमिकल से एमडी तैयार किया जाता था और मार्केट में सप्लाई किया जाता था। इसके अलावा वेस्टर्न रीज़न के एडिशनल कमिश्नर डॉ. मनोज शर्मा द्वारा चलाये गये विशेष अभियान के तहत जनवरी, 2019 से सितंबर, 2019 के बीच 125 ड्रग पेडलर्स को अरेस्ट किया गया और इनके कब्•ो से 4 करोड़ रुपए से •यादा की ड्रग्स सीज की गयी। जिसमें एमडी, कोकीन, चरस और गाँजा शामिल है। डॉ. मनोज शर्मा के अनुसार, हमने 107 एफआईआर रजिस्टर की और 125 ड्रग पेडलर्स को अरेस्ट किया। पुलिस की सख्ती के बावजूद एमडी की मार्केट तेज़ी से बढ़ रही है।
ड्रग्स और मुम्बई नाइट लाइफ- पब, डिस्को
मुम्बई की नाइट लाइफ को नौजवानों अपनी लाइफ लाइन मानते हैं। मुम्बई के समंदर से सटे वेस्टर्न सबर्ब के जितने भी पॉश एरिया हैं, ड्रग माफिया के अड्डे हैं। दरअसल मुम्बई के बड़े और आलीशान डिस्को-पब वेस्टर्न मुम्बई के पॉश जुहू, खार, बांद्रा सांताक्रूज में आबाद है। एक परिचित माइक्रो के साथ तहलका संवाददाता ने खार, सांताक्रूज, जुहू, अंधेरी स्थित कुछ डिस्को और पब का जायज़ा लिया। लेकिन माइक्रो संवाददाता को इस शर्त पर अपने साथ ले जाने को राजी हुआ था कि डिस्को में एंट्री करने के बाद वो हमारे लिए अनजान हो जाएगा।
डिस्को के अन्दर का नज़ारा बिलकुल वैसा ही था, जैसा िफल्मों में दिखाया जाता है। कभी अंग्रेजी, तो कभी हिंदी िफल्मों की तेज़ धुन पर एक-दूसरे को बाँहों में जकड़े और थिरकते नौजवान, किसी के हाथ में बियर के केन, किसी के हाथ में जाम और सुलगती सिगरेट। सब अपनी मस्ती में मगन, वहाँ मौज़ूद हर एक शख्स चिन्ता मुक्त दिख रहा था। देश की पॉलिटिक्स से दूर, न तो किसी को देश की अर्थ-व्यवस्था की चिन्ता थी और न ही अपनों की। अगर चिन्ता थी, तो बस अपने साथ आये साथी की।
इस अनजानी भीड़ में सबकी नज़रें या तो अपने बंदे को ढूँढ रही थीं या वह अपने साथी की बाँहों में बाँहें डाले झूम रहा था। सिगरेट के धुएँ ने पूरे डिस्को को अपनी गिरफ्त में लिया हुआ था। तहलका संवाददाता भी धुएँ को चीरते हुए जैसे ही आगे बढ़े अन्दर लाने वाले बन्दे से नज़रें मिलीं और उसने वॉशरूम में आने का इशारा किया। वैसे तो वॉशरूम काफी बड़ा था, लेकिन वहाँ लगे लडक़े-लड़कियों के मेले के आगे छोटा दिख रहा था। यह वो जगह थी, जहाँ से धुआँ पूरे डिस्क में फैल रहा था। यही थे माइक्रो के कस्टमर। लडक़े -लड़कियाँ एक-दूसरे से नज़र बचाकर उससे छोटी-छोटी पूडिय़ाँ खरीद रहे थे, इन पूडिय़ों में कोकीन भी था और एमडी भी।
बमुश्किल वो 15 मिनट वहाँ रुका और तेज़ी से बहार निकल गया। लेकिन कुछ पब्स-डिस्को से निकलने से पहले उसने वहाँ के स्टाफ को भी कुछ पूडिय़ाँ थमा दी थीं, स्टाफ में वेटर और बाउंसर का समावेश था। सभी पब्स-डिस्को में उसने कमोबेश ऐसे ही माल बेचा। उसने बताया कि अपुन ने जितना माल अभी बेचा न्यू ईयर पार्टी में इससे 50 फीसदी •यादा माल निकलेगा।
जब हमने उससे डिस्को में वेटर-बाउंसर्स को पूडिय़ां देने के बारे में जानना चाहा, तो उसने हँसते हुए बात टाल दी और बोला- ‘छोड़ो न भाई, इनका भी तो पेट है।’
इस बारे में जब जुनैद (बदला हुआ नाम) से पूछा, तब उसने बताया- ‘भाई ऐसी जगहों पर पुलिस का जीरो भी होता है। यहाँ •यादा टाइम रुकने मतलब है सीधे जेल। इसीलिए कुछ स्टाफ के लोग अपुन लोगों की थोड़ी हेल्प करता है; समझा क्या?’
हमारे सामने दो बड़े खुलासे हुए। पहला यह कि डिस्को और पब के स्टाफ के ज़रिये कस्टमर को सामान पहुँचाने का आइडिया पहली बार सामने आया। इसके अलावा जुनैद (बदला हुआ नाम) ने दूसरा खुलासा यह किया कि इस धन्धे में अब लड़कियाँ भी शामिल हो गयी हैं, जो बेखौफ माल निकालती हैं। जुनैद के अनुसार, लडक़ी पर जल्दी कोई शक नहीं करता, इन लोगों को कम माल ही दिया जाता है, जिसे यह अपनी बॉडी के पाट्र्स में आसानी से छुपा लेती हैं।
जुहू इलाके में कुछ कुख्यात डिस्को-पब आबाद हैं; इसीलिए जुहू पुलिस स्टेशन के सीनियर इंस्पेक्टर पंढरीनाथ वाव्हळ से तहलका संवाददाता ने बात की। सीनियर पीआई वाव्हळ ने बताया- ‘हमारी टीम को इन्फॉर्मेंट से ऐसी ही टिप मिली थी, जिसके बाद कुछ ठिकानों पर रेड की गयी, हमारे हाथ कुछ नहीं आया। लेकिन इस रेड के बाद मैनेजमेंट ने अपना पूरा स्टाफ चेंज कर दिया।’
ड्रग्स और हाई प्रोफाइल एजुकेशन इंस्टीट्यूूशन
डिस्को-पब कृचर और हाई-प्रोफाइल एजुकेशन इंस्टीटूशन का गहरा रिश्ता रहा है इसी लिए मुम्बई के हाई प्रोफाइल एजुकेशन इंस्टीटूशन भी ड्रग माफिया के सॉफ्ट टारगेट हैं। इन हाई-प्रोफाइल इंस्टीटूशन्स में पढऩे वाले स्टूडेंट्स रईस घरानों से ताल्लुक रखते हैं, जिन्हें शो-ऑफ करने और अपना स्टेटस मेन्टेन रखने का नशा होता है। यही कारण है कि स्टूडेंट्स डिस्को-पब-हुक्का पार्लर जाने के शौक रखते हैं। यहीं से इनको स्लो पॉइज़न मिलना शुरू हो जाता है और जब यह स्टूडेंट नशे के एडिक्ट हो जाते हैं तब नशे के सौदागर इन स्टूडेंट्स की हेल्प से दूसरे स्टूडेंट्स तक आसानी से पहुँच जाते हैं और अपना धन्धा चलाते हैं। सलीम(बदला हुआ नाम )ने बताया कि कॉलेज स्टूडेंट्स को टारगेट करने के लिए स्टूडेंट्स को ही अपने जाल में फांसते हैं और फिर सस्ती पूड़ी का लालच देकर इन से धन्धा हैं। सीनियर पीआई वहवळ ने बताया कि उनकी जुरिडिक्शन में भी कुछ बड़े एजुकेशन इंस्टीटूशन हैं और इन इंस्टीटूशन पर उनकी पैनी नज़र रहती है। बतौर सीनियर पीआई वहवळ, स्टूडेंट्स को नशे से बचाने के लिए मैं खुद अपने सीनियर्स और जूनियर्स के साथ कॉलेजेस में विजिट करता हूँ, स्टूडेंट्स और टीचर्स को जागरूक करता हूँ। इसके अलावा मेरी टीम और हमारे इनफॉर्मर यहाँ होने वाली हर गतिविधियों पर नज़र रखतें हैं।
सीनियर पीआई वाव्हळ ने यह भी बताया कि उन्होंने आठ जवानों की एक स्पेशल टीम का गठन किया है, जो एपीआई के आधीन काम करती है और इस टीम का काम उनके पुलिस स्टेशन की हद में ड्रग माफिया नकेल कसना है। सीनियर पीआई वहवळ, न्यू ईयर में ड्रग माफिया से निपटने के लिए हमने पूरी तैयारी कर ली है।
पिछले महीने मुम्बई पुलिस की एंटी- नार्कोटिक्स सेल ने ड्रग माफिया की नयी मोडस ऑपरेंडी का खुलासा किया था। एंटी-नार्कोटिक्स सेल के डीसीपी शिवदीप लांडे ने मीडिया के सामने खुलासा करते हुए बताया कि ड्रग माफिया ने पुलिस की नज़र से बचने के लिए एमडी को टेबलेट शक्ल दे दी है, ताकि किसी को भी शक नहीं हो। टीचर्स और पेरेंट्स को आगाह करते हुए शिवदीप लांडे ने कहा कि अगर किसी को अपने बच्चों के पास किसी भी प्रकार का सफेद या पर्पल कलर का टेबलेट मिले तो सावधान हो जाएँ। एडिशनल सीपी डॉ. मनोज शर्मा ने बताया था कि ड्रग्स के िखलाफ चलाये गये ऑपरेशन के तहत पुलिस ने लोकल सिविल बॉडी के साथ मिलकर 80 ऐसे ठिकानों को ध्वस्त किया जो स्कूल-कॉलेजेस में ड्रग्स सप्लाई किया करते थे।
ड्रग्स और हुक्का पार्लर
मुम्बई में तेज़ी से फैलते हुक्का पार्लर कृचर ने स्कूल और कॉलेज जाने वाले स्टूडेंट्स को अपना अदि बना लिया है। आज की तारीक में हुक्का पार्लर स्टूडेंट्स के फेवरेट स्पॉट हैं। इसी का फायदा उठाकर ड्रग माफिया चोरी से हुक्के धुएँ के साथ बच्चों के दिलो-दिमाग में घुस गया। अँधेरी के एक कुख्यात हुक्का पार्लर में काम करने वाले मंजू शेट्टी (बदला हुआ नाम ) ने तहलका को बताया कि लडक़े-लड़कियों को हुक्के का अदि बनाने के लिए कॉमन मसाले में थोड़ा थोड़ा नशे का पाउडर मिला देते हैं। हुक्का पार्लर में ड्रग माफिया की एंट्री की भनक लगते ही सामाजिक कार्यकर्ता हरकत में आये और कोर्ट का दरवाजा खटकाया क्यूंकि पुलिस ने मामले को गम्भीरता से नहीं लिया। सुप्रीम कोर्ट ने हुक्का पार्लर मालिकों को हिदायत दी की हुक्का पार्लर चलना है तो सिर्फ हर्बल मसाले का ही इस्तेमाल किया जाये। मुम्बई में हुक्का पार्लर अभी भी कानून की आँख में धूल झोंककर अपना धन्धा चला रहे हैं। न्यू ईयर के लिए ड्रग माफिया ने अभी से हुक्का पार्लर में सेटिंग कर दी है। एक महिला ने बताया कि सबको सब पता है साहब, पुलिस को भी और ऊपर भी; सब चलता है। बता दें कि हुक्का पार्लर के •यादातर कस्टमर गाँजा के शौकीन होते हैं। डिस्को-पब्स में ड्रग सप्लाई करने वाले लोग हुक्का पार्लर के धन्धे को ‘चिंदी’ मानते हैं। जुनैद (बदला हुआ नाम ) के मुताबिक, अपना धन्धा हाई-प्रोफाइल धन्धा है, अपना माल खरीदने की औकात हुक्का के छोकरों की नहीं है, वहाँ गाँजा, बटन और चरस चलता है। मुम्बई पुलिस समय समय पर हुक्का पार्लर्स पर एक्शन लेती है और सब कुछ कण्ट्रोल में होने का दावा करती रही है, जबकि हकीकत इन दावों से अलग है। हुक्का पार्लर माफिया लोकल पुलिस स्टेशन और अपने कुछ खास पुलिस वालों की जेब गर्म करके अपना धन्धा चला रहें हैं। बता दें कि गोरेगाँव पुलिस स्टेशन की हद में एक हुक्के पार्लर पर कई बार रेड की गयी, बावजूद इसके हुक्का कभी बन्द नहीं हुआ। लेकिन जब इस हुक्के में दो गुटों में झड़प हुई और एक युवक का बेरहमी से मर्डर कर दिया गया, तब कहीं जाकर इस हुक्का पार्लर पर ताला लगा। मुम्बई में आज भी हुक्का पार्लर आबाद हैं, आज भी कुछ हुक्का पार्लर चोरी-छुपे नशा वाली ची•ों परोस रहे हैं।
ड्रग्स और बॉलीवुड
बॉलीवुड का ड्रग से रिश्ता पुराना है और किसी से छुपा नहीं है। बॉलीवुड सेलिब्रिटी अपने बेहद करीबी से ड्रग्स लेते हैं। ऐसा नहीं है कि बॉलीवुड से ताल्लुक रखने वाला हर शख्स नशे का अदि है लेकिन शोबिज की दुनिया के कुछ बड़े चेहरे अकेले में ही नहीं पार्टियों में भी मौका मिलते ही नशे का कश लगा लेते हैं।
बॉलीवुड एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी और उसका हस्बैंड विक्की गोस्वामी ड्रग्स सिंडिकेट के सबसे बड़े मोहरे हैं, जो आज भी मुम्बई पुलिस फाइल्स में मोस्ट वांटेड हैं। कहा जाता है कि ममता कुलकर्णी और विक्की गोस्वामी बॉलीवुड में आज भी ड्रग्स के सबसे बड़े सप्लायर हैं। ममता कुलकर्णी, विक्की गोस्वामी के अलावा दूसरे ड्रग माफिया भी बॉलीवुड को ड्रग सप्लाई कर रहें हैं।
पुलिस इन्फॉर्मर अज़ीज़(बदला हुआ नाम) ने तहलका को बताया कि मुम्बई पर भले ही आज अंडरवल्र्ड का वर्चस्व कम हुआ हो; लेकिन पकड़ कम नहीं हुई है। अज़ीज़ के मुताबिक, डी-कम्पनी का डर आज भी बॉलीवुड पर है और आज भी डी-कम्पनी अपने लोगों की बदौलत बॉलीवुड में ड्रग पहुँचा रहा है। अज़ीज़ की माने तो, विक्की गोस्वामी और ममता कुलकर्णी का सिंडिकेट अंडरवल्र्ड के इशारे पर काम कर रहे हैं और बॉलीवुड में अपना माल दे रहा है।
एक्टर फरदीन खान ड्रग्स के साथ रंगे हाथ अरेस्ट कर लिया गया था। इसके अलावा एक्टर शक्ति कपूर के बेटा सिद्धांत कपूर को रेव पार्टी में नशा करते गिरफ्तार किया गया था।
बॉलीवुड के कुछ बड़े सेलिब्रिटीज को ड्रग्स सप्लाई करने वाले आनंद (बदला हुआ नाम) ने तहलका को बताया कि दिन काम करने वाले हीरो-हेरोइन अपनी बॉडी को एक्टिव रखने के लिए ड्रग्स का इस्तेमाल करती हैं। आनंद ने कुछ सेलिब्रिटीज का नाम लेते हुए दावा किया ,मैं इन लोगों को ‘बंबा’ सप्लाई करता हूँ। मैं चाहूँ तो इन लोगों का स्टिंग कर सकता हूँ, लेकिन इसके लिए मुझे बहुत बड़ी रकम देनी होगी) लेकिन उसने अमाउंट खुलासा नहीं किया। वो बोला- ‘जब करना होगा, तब बताना; सब बताऊँगा।’
गौरतलब हो कि इसी साल जुलाई महीने में बॉलीवुड के कुछ बड़े सेलिब्रिटीज की एक प्राइवेट पार्टी का वीडियो जमकर वायरल हुआ था। यह वीडियो करण जौहर के घर में हुई एक प्राइवेट पार्टी का था, जिसमें एक्टर विक्की कौशल, वरुण धवन, अर्जुन कपूर, शाहिद कपूर, दीपिका पादुकोण, मलाइका अरोरा इत्यादि नशे में धुत्त दिखाई दिये थे। यह वीडियो करण जौहर ने ही अपलोड किया था। वीडियो वायरल होते ही सोशल मीडिया पर इन सेलिब्रिटीज के फैंस ने आड़े हाथ ले लिया था और लोगों ने ड्रग के
नशे ने धुत्त अपने हीरो-हीरोइन की जमकर आलोचना थी। यह बात दीगर है कि मसला बढऩे पर इन सेलिब्रिटीज ने उनके नशे की खबरों को गलत करार दिया था। सोशल मीडिया पर यह वीडियो अब भी मौज़ूद है इस वीडियो को देखकर कोई भी कह सकता है कि जिस हालत में सेलिब्रिटीज दिखायी दे रहें हैं उन्होंने नशा किया हुआ है।
तहलका को मिली इनफॉर्मेशन के मुताबिक, बड़े स्टार्स के अलावा िफल्म इंडस्ट्री में स्ट्रगल कर रहे नौजवान लडक़े-लड़कियाँ भी बड़े पैमाने पर ड्रग्स का सेवन कर रहे हैं। ओशिवारा, लोखंडवाला, वर्सोवा यह वह एरिया है, जहाँ स्ट्रगलर्स रहना पसंद करते हैं। वह इसलिए कि िफल्म इंडस्ट्री से जुड़े तमाम बड़े डायरेक्टर्स-प्रोड्यूसर्स के ऑफिस इन्हीं एरिया में ही हैं। नशे करने वाले पेशे से िफल्म राइटर आदित्य (बदला हुआ नाम) ने तहलका से बात करते हुए अपना दर्द बयाँ किया कि वर्षों से इस इंडस्ट्री में हम मेहनत कर रहें हैं, बिहार से यहाँ आये थे कुछ बनने; लेकिन बेहतरीन राइटर होने के बाद भी काम नहीं मिला। क्या करते इतना टेंशन होता है कि यह (ड्रग की पूड़ी दीखते हुए) ही टेंशन दूर करती है। िफल्म इंडस्ट्री में आदित्य जैसे न जाने कितने होनहार हैं, जो कामयाबी नहीं मिलने की वजह से नशे के आदि हो गयी हैं। आदित्य के ही साथ मिली निशा (बदला हुआ नाम ), पाँच साल पहले निशा दिल्ली से मुम्बई आयी थी, सिल्वर स्क्रीन पर अपनी एक्टिंग का हुनर दिखाने। लेकिन उसे ऐसा काम नहीं मिला, जो वो सोचकर मुम्बई आयी थी। निशा ने एक काश खींचते हुए कहा कि क्राइम सीरियल में छोटे मोठे रोले मिले मुझे, मेरी एक्टिंग की सबने तारीफ भी की, लेकिन इस इंडस्ट्री में काम किसी को नहीं चाहिए सिर्फ लडक़ी की चमड़ी चाहिए। निशा ने आगे बताया कि मैंने वह भी किया, जिसका मैं विरोध करती थी। लेकिन काम फिर भी नहीं मिला, अब आप ही बताओ, यह नहीं करें, तो क्या करें? पखवाड़े पुलिस ने विवादों में रहने वाले और बिग-बॉस कंटेस्टेंट एक्टर एज़ाज़ खान को ड्रग्स के साथ गिरफ्तार किया था। पुलिस का दावा है कि बॉलीवुड पर भी उनकी नज़र है।
पार्टी ड्रग्स और रेव पार्टी
कानून के कसते शिकंजे से बचने के लिए ड्रग्स माफिया अब अपने कस्टमर्स के लिए मुम्बई के आसपास के एरिया में आबाद पर्सनल बंगलो, रिसोर्ट में पार्टी अरेंज करता है। इस पार्टी को रेव पार्टी कहा जाता है। वैसे तो यह पार्टी आम पार्टी जैसी ही होती है, शराब-सबाब-सब कुछ मिलता है यहाँ; लेकिन जब इन पार्टियों में ड्रग्स का इस्तेमाल होता है, तब इसे रेव पार्टी कहा जाता है।
वैसे तो रेव पार्टी वर्षों से आयोजित होती आ रही हैं; लेकिन रेव पार्टी का पता पुलिस को सबसे पहले तब चला जब कि मुम्बई पुलिस ने 5 अक्टूबर, 2008 की रात पॉश जुहू एरिया के कुख्यात 72 डिग्री ईस्ट क्लब नामक डिस्को पर रेड की और 240 नौजवानों को नशा करते अरेस्ट किया था। अरेस्ट किये गये युवकों में एक्टर शक्ति कपूर का बेटा सिद्धांत कपूर भी शामिल था। पुलिस ने मौके से कोकीन, चरस के अलावा भारी मात्रा में एक्स्टैसी की टेबलेट और ड्रॉप्स बरामत किये थे। उस समय के डीसीपी विश्वास नांगरे पाटिल ने दावा किया था कि जप्त की गयी ड्रग्स की कीमत एक मिलियन रुपये है।
ऐसी एक रेव पार्टी पर 01 अगस्त, 2013 को पुणे की लोनावला पुलिस ने अपाती गाँव के एक प्राइवेट बंगले पर रेड की, यह बंगला मुम्बई के बिजनेसमैन गोल्डी चोपड़ा का था। पुलिस ने मुम्बई के 50 बड़े बिजनेसमैन और 12 बार लड़कियों को हिरासत में लिया। पुलिस को शराब की बोतलों के अलावा भारी मात्रा में ड्रग्स बरामद हुई। इस रेड से जुड़े एक पुलिस इन्फॉर्मर ने तहलका संवाददाता को बताया- ‘पहले तो पुलिस ऑफिसर्स को हमारी बात पर यकीन ही नहीं हुआ कि ऐसी कोई पार्टी भी होती है। लेकिन ड्रग माफिया के िखलाफ हमारी महीने की मेहनत रंग लायी।’
मुम्बई के कुछ इलाके प्राइवेट बंगलो से पटे पड़े हैं। तहलका को इनफार्मेशन मिल रही है कि न्यू ईयर सेलिब्रेट करने के लिए यह बंगले अभी से बुक कर दिये गये हैं। ड्रग माफिया अपने लोगों के जरिए बंगले बुक कर रहा है और अपने कस्टमर्स के लिए सभी सुविधाएँ यानी मनपसंद ड्रग्स बिना किसी प्रॉब्लम के पहुँचाने की प्लानिंग कर चुका है। ड्रग सिंडिकेट से जुड़े मुन्ना एयरपोर्ट (बदला हुआ नाम) ने बताया कि उसके कस्टमर्स ने अभी से बंगले भी बुक कर लिये हैं और डिमांड भी फिक्स कर दी है। मुन्ना ने बताया कि रेव पार्टी के लिए इस बार एमडी की डिमांड •यादा हैं।
गौरतलब हो कि मुम्बई पुलिस कि एंटी-नार्कोटिक्स सेल ने दो हफ्ते पहले एक गैंग से पर्पल कलर की 97 कैप्सूल बरामद की। डीसीपी शिवदीप लांडे ने दावा किया कि एक बार ड्रग सीज होने के बाद मीडिया में खबर आने के बाद ड्रग माफिया अलर्ट हो जाते हैं और अपना तरीका चेंज कर देेते हैं। डीसीपी शिवदीप लांडे ने यह भी बताया कि इस पार्टी ड्रग्स का नशा ऐसा होता है कि उसका सेवन करने बाद नशा सिर चढक़र बोलता है। सेवन करने वाला घंटों तक अपनी सुध-बुध खोकर नाचने गाने और एन्जॉय करने में ही बिजी रहता है, इसीलिए इसे पार्टी-ड्रग्स कहा जाता है।
ड्रग्स और नाइजेरियन
मुम्बई में ड्रग्स के धन्धे के सबसे बड़े खिलाड़ी नाइजीरियन मूल के लोग हैं। स्टडी वीजा पर मुम्बई आते हैं। पूरी प्लानिंग के तहत यह लोग मुम्बई और दूसरे शहरों में आते हैं और फिर पहले से ही यहाँ ड्रग्स का धन्धा कर रहे अपने लोगों के साथ इस काले कारोबार को फैलाने में लग जाते हैं। तहलका संवाददाता अपने इन्फॉर्मर के ज़रिये मुम्बई में ड्रग्स का धन्धा कर रहे नाइजीरियन माफिया तक पहुँच तो गये, लेकिन इन लोगों ने अपने धन्धे के बारे में बिलकुल भी बात नहीं की। इन्फॉर्मर रेहान (बदला हुआ नाम) ने बताया कि नाइजीरियन ड्रग पेडलर्स कभी साउथ मुम्बई, खासकर मस्जिद बंदर और आसपास के एरिया में ही बंबा का धन्धा करते थे; लेकिन पिछले 10 वर्षों में इनकी पॉपुलेशन भी तेज़ी से बढ़ी और इन लोगों ने तेज़ी से अपना धन्धा साउथ मुम्बई के अलावा मुम्बई सबर्ब, यहाँ तक कि मीरा रोड, वसई-नालासोपारा तक फैला दिया।
मुम्बई पुलिस इन नाइजीरियन माफिया पर नकेल कसने की कोशिश करता रहा है; लेकिन पुलिस को वह सक्सेस नहीं मिली, जो मिलनी चाहिए थी। मुम्बई क्राइम ब्राँच से जुड़े एक अधिकारी ने नाम नहीं लिखने की शर्त पर बताया कि पुलिस अपनी पूरी ताकत से इन ‘कल्लू’ लोगों पर एक्शन लेती है; लेकिन यह लोग हर मामले में पुलिस पर भारी पड़ते हैं। बॉडी में ताकत में यह लोग पुलिस से बहुत •यादा हैं, हम लोग इनका मुकाबला नहीं कर सकते।
इस अधिकारी ने आगे बताया कि पुलिस को देखते ही यह लोग हम पर अटैक करते हैं और जिस रफ्तार यह लोग भागते हैं, उस स्पीड से हम भागना हम सोच भी नहीं सकते।
ड्रग सिंडिकेट और पुलिस
ड्रग माफिया बहुत तेज़ी से मुम्बई को जकज़ रहा है। पुलिस द्वारा सीज की गयी विभिन प्रकार के ड्रग्स की खेप इस बात की तस्दीक करती है। ड्रग माफिया जिस तेज़ी से ड्रग मुम्बई भेज रहा है, पुलिस भी उतनी ही मुस्तैदी से माफिया पर नकेल कसने में लगी है। मुम्बई पुलिस के अलावा महाराष्ट्र एंटी टेररिज्म स्क्वॉड भी ड्रग माफिया से आज़ाद करवाने के मिशन में शिद्दत से लगा है। महाराष्ट्र एटीएस ने 6 दिसंबर, 2019 को मुम्बई के विलेपार्ले एरिया से दो लोगों को एमडी ड्रग्स के साथ गिरफ्तार किया और इनके पास से 14.3 किलो एमडी बरामत की। सीज की गयी ड्रग्स की कीमत 5.60 करोड़ रुपये बतायी गयी है। एटीएस का दावा है कि यह ड्रग्स न्यू ईयर के लिए मुम्बई में ड्रग्स का रिटेल धन्धा कर रहे लोगों तक पहुँचाना था। महाराष्ट्र एटीएस की नवी मुम्बई यूनिट ने सितम्बर, 2019 में पनवेल में चोरी छुपे चल रही एक लेबोरेटरी पकड़ी थी, जिसमें एमडी ड्रग्स बनाया जाता था और मुम्बई के ड्रग माफिया को सप्लाई किया जाता था। एटीएस ने इस मामले में पाँच लोगों को अरेस्ट किया था और 51.6 करोड़ रुपये कीमत की 129 किलोग्राम दवा ज़ब्त की थी। प्रेस कॉन्फ्रेंस में एटीएस ने दावा किया था कि अरेस्ट किये गये लोग रेंट पर जगह लेते थे, लेबोरेटरी सेट करते थे उसके बाद दवा कम्पनियों से केमिकल खरीदते थे और मेफेड्रोन (एमडी) तैयार करते थे, जिसके लिए इन्होंने कुछ मज़दूर भी काम पर रखे थे। एटीएस के डीसीपी विक्रम देशमाने के मुताबिक, यह लोग 5-6 महीने में लेबोरेटरी की जगह बदल दिया करते थे। एटीएस ने इनके पास से 1.4 करोड़ रुपये भी बरामद किये थे और दावा किया था कि उन्होंने मुम्बई को ड्रग्स सप्लाई करने वाले एक बड़े अड्डे का शटर हमेशा के लिए गिरा दिया है। मुम्बई लोकल पुलिस और एंटी नारकोटिक्स सेल भी तेज़ी से ड्रग माफिया के िखलाफ ऑपरेशन चला रही है लेकिन बतौर एंटी नारकोटिक्स सेल के डीसीपी शिवदीप लांडे, न्यू ईयर आ रहा यह पुलिस के लिए चैलेंज होगा इसे कैसे क्रेकडाउन किया जा सके।
ड्रग्स यानी नशीले पदार्थ। इनकी अपनी रहस्यमय और खतरनाक दुनिया है, जहाँ पर ड्रग्स बनाने वाले से लेकर उसे जल, थल, वायु मार्ग से स्मगल करने वाला और अंत में उसे लेने वाला, छिपकर ही काम करता है जाँच एजेंसियों से की नज़रों से बचकर। ड्रग्स को उनके असली नामोंककी जगह उसे मार्केट में कोड वर्ड से पहचाना जाता है। कुछ ड्रग्स वनस्पति से पाये जाते हैं तो कुछ प्योर केमिकल हैं। कुछ ड्रग्स वनस्पति, केमिकल और दवाइयों का मिलाजुला खतरनाक रूप है। बाज़ार में मिलने वाले कुछ ड्रग्स और उनके कोड वर्ड :
मारिजुआना : बंबा, गांजा, पोर्ट, वीड, 420.
कोकीन : चिता, ब्लो, स्नो, डिस्को पाउडर।
एलएसडी : एसिड, बूमर, ब्लाटर, लूसी।
हेरोइन : ब्राउन शुगर, पाउडर, स्मैक, एच, ए हैज़ल।
जी एच बी : डीआरडी (डेट रेप ड्रग), फैंसी, जी रेफक, कैप्स, चरी मेथ्स।
एमडीएमए : एमडी, एक्सटसी, ई, मौली, हैप्पी पिल्स।
मेथ / मेथाएंफेटामाइन : आइस क्रैग, क्रिस्टल।
पीसीपी/फैंसी क्लेडिंन : पीपी, बेलाडोना रॉकेट फ्यूल, एंजल डस्ट, डस्ट।
एड्रिल : पेप, ऐडी, स्पीड, अपर।
केटामाइन : पर्पल, हनी के, विटामिन के, स्पेशल के, एसके, एचके।
मशरूम : बूमर, बटन, एमएम, मैजिक एम।
फेंटानिल : चाइना टाउन, टीएनटी, पॉइजन।
रूफी : पिंक, सर्कल, वुल्फी।
ऑक्सीकोडॉन: किकर ,ऑक्सी, ओसी, ऑक्सीकॉटन।
पेडलर, पुलिस एंड पॉलीटिशियंस का खतरनाक नक्सेस है गोवा में – वाल्मीकि नाईक नेता ‘आप’ गोवा
देखिए इस बात से कोई इन्कार नहीं कर सकता कि कोई भी इंलीगल एक्टिविटीज या धन्धा बिना लोकल सपोर्ट के चल सकता है। मामला चाहे रशियन ड्रग माफिया का हो या नाइजीरियन का, यह बिजनेस बिना लोकल अथॉरिटी सपोर्ट के नहीं चल सकता। इन्हें पॉलीटिशियन की तरफ से प्रोटेक्शन मिलता है। अगर ऐसा नहीं होता तो इतने बड़े पैमाने पर यह धन्धा फल फूल नहीं सकता। यहाँ पर जो भी रेड्स होते हैं सिर्फ दिखाने के लिए कि एक्शन लिया जा रहा है। और यह बात बिलकुल सच है कि जितना माल जप्त बताया जाता है, उससे कई गुना •यादा पकड़ा जाता। मैं कहूँ तो गोवा में एक पीपीपी मॉडल है। पेडलर, पुलिस एंड पॉलीटिशियन यह नक्सेस यहाँ पर काम करता है और यहाँ की जनता को उसका खामियाजा भुगतना पड़ता है।
इसमें हम किसी एक पार्टी को दोषी नहीं ठहरा सकते।
लेकिन अंत में कहानी खत्म होती है पैसों पर। और पैसों का कोई रंग नहीं होता। पैसा कोई भी दे कोई भी ले। पैसे का व्यवहार चलता रहता है। गोवा में काफी सरकारें बदल चुकी हैं। कांग्रेस की सत्ता रही है, अब बीजेपी की गवर्नमेंट चल रही है। यहाँ की लोकल पार्टी भी सत्ता में रही है; लेकिन ऐसा कभी भी नहीं हुआ कि ड्रग्स का कारोबार कम हुआ है। यह सिर्फ बढ़ता चला गया है।
गोवा का टूरिस्ट कोस्टल बेल्ट है करंगुट से अरंबोल तक जो फैला हुआ बेल्ट है, वहाँ पर सबसे •यादा अपनी पकड़ बनाये है।
अभी सबसे बड़ी भयंकर खबर यह है कि यह कारोबार अब टाउन में, सिटी में भी फैल रहा है।
एजुकेशनल इंस्टीट्यूट, स्कूल, कॉलेज तक। यंगस्टर और स्टूडेंट्स को भी टारगेट बनाया जा रहा है, जो बहुत खतरनाक है। ड्रग्स के ओवरडोज से मौत की भी खबरें आती रहती हैं।
गोवा में पॉलीटिशियंस और ड्रग्स माफिया के सम्बन्ध को लेकर खुलासे अकसर होते रहते हैं। लेकिन गम्भीर बात यह है कि इन खुलासों के बावजूद न तो इंवेस्टिगेशन किसी नतीजे पर पहुँचा है और न ही आज तक किसी को इन मामलों में पनिशमेंट मिला है।
कभी-कभी ऐसा लगता है ड्रग कार्टल्स पॉलिटिशन से •यादा पॉवरफुल हैं। उन्हें लाइफ थ्रेटस मिलती है। इन कर्टल से निपटने के लिए ऐसे लोगों की ज़रूरत जो इनसे भिड़ सके, निपट सके और खत्मकर सके। लेकिन यह सुनने में जितना आसान लगता है, उतना इंप्लिमेंट करने में आसान नहीं है। बहुत से पॉलीटिशियंस हैं, जो दिल से चाहते कि ड्रग माफिया के िखलाफ जंग लड़ें। लड़ भी रहे हैं, लेकिन उनको भी जब लाइफ थ्रेटस मिलती है, तो थोड़ा सा मामला गड़बड़ा जाता है।