अब किसान अपनी उपज यानी अनाज, सब्जी और अन्य खेती उत्पादों, अफ़ीम को छोड़कार; को कहीं भी बेच सकेंगे। इस मामले में केंद्र सरकार ने नये नियमों की घोषणा की है। 16 मई को सरकार ने किसानों को अपनी उपज बेचने की स्वच्छंदता को लेकर एक बड़े सुधार के तौर पर राष्ट्रीय बाजारों के दरवाजे खोलने की पहल में यह निर्णय लिया है। इस निर्णय में कहा गया है कि किसान अपनी उपज को जहाँ चाहें बेच सकेंगे। किसान अब अपनी उपज को मण्डी या किसी अधिकृत समिति में ही बेचने के लिए बाध्य नहीं होना पड़ेगा।
इसकी घोषणा केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार यानी 16 मई को आर्थिक पैकेज के तीसरे भाग की घोषणा करते हुए की। इस दौरान उन्होंने कृषि क्षेत्र के लिए प्रशासनिक सुधार की पहल पर ज़ोर देते हुए कहा कि एपीएमसी अधिनियम के प्रावधानों के तहत किसानों को निर्दिष्ट मंडियों में उस मूल्य पर अपनी उपज बेचने को मजबूर होना पड़ता है, जिन्हें अक्सर विनियमित किया जाता है। कई बार यह मूल्य बाजार मूल्य से कई गुना कम होता है। यह किसानों की आय को प्रतिबन्धित करके आगे की प्रक्रिया या निर्यात के लिए उनकी क्षमता और उपड की ख़रीद पर अंकुश लगाता है। इसलिए किसानों को विपणन विकल्प प्रदान करने और उनकी उपज का बेहतर मूल्य मिलने के पक्ष में एक केंद्रीय क़ानून बनाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि हालाँकि यह एक बड़ा बाज़ार है, लेकिन एपीएमसी अधिनियम को रद्द करने अथवा बदलने तथा मण्डी प्रणाली को ख़त्म करने पर कई राज्य सरकारों ने सहमति व्यक्त की है। वित्त मंत्री ने कहा कि समवर्ती सूची में होने के नाते किसानों को आकर्षक मूल्य पर उपज बेचने के लिए पर्याप्त विकल्प प्रदान करने के लिए तैयार किया जाने वाला यह क़ानून किसानों के लिए बाधा मुक्त अंतर्राज्यीय व्यापार भी प्रदान करने के साथ-साथ कृषि उपज की ई-ट्रेडिंग के लिए रूपरेखा तैयार करेगा। उन्होंने साफ़ किया कि बिक्री पर इस तरह का प्रतिबन्ध किसी भी औद्योगिक उत्पाद के लिए नहीं है। सीतारमण ने इस नये क़ानून को उचित बताते हुए कहा कि किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए दी जाने वाली अंतर्राज्यीय स्वतंत्रता से अपने उत्पाद को सही बाज़ार की पहचान कर वहाँ बेचने में मदद मिलेगी।