बिहार में विधानसभा चुनाव के नतीजे अभी 10 नवंबर को आने हैं लेकिन वहां राजनीतिक गतिविधियां एग्जिट पोल के आते ही शुरू हो गयी हैं। ज्यादातर सर्वे में आरजेडी-कांग्रेस-वामपंथी गठबंधन को बढ़त दिखाई गयी है, हालांकि भास्कर के सर्वे में एनडीए की सत्ता में वापसी की बात कही गयी है। इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रविवार को महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला और अविनाश पांडे को बड़ी जिम्मेदारी देते हुए बिहार का पर्यवेक्षक तैनात करते हुए उन्हें नतीजे से पहले पटना जाने के निर्देश दिए हैं। यह कांग्रेस नेता नतीजों से पहले भी आरजेडी नेताओं और पार्टी नेताओं से मंत्रणा करेंगे।
वैसे तो अभी एग्जिट पोल के ही रुझान सामने आये हैं, लेकिन इनमें से कमोवेश सभी ने आरजेडी-कांग्रेस-वामपंथी गठबंधन (यूपीए गठबंधन) को एनडीए के मुकाबले आगे रखा है। टुडेज-चाणक्य ने तो यूपीए महागठबंधन को 180 और भाजपा-जदयू-अन्य वाले एनडीए गठबंधन को महज 55 सीटों पर समेत दिया है। इसके विपरीत भास्कर अखबार ने एनडीए की दोबारा सरकार बनने का दावा सर्वे में किया है। कुछ सर्वे में यूपीए-एनडीए के कड़ी टक्कर बताई गयी है।
ऐसे में कांग्रेस ने सतर्कता बरतते हुए अभी से बिहार को लेकर अपनी तैयारी शुरू कर दी है। इसका एक कारण चुनाव प्रचार के दौरान बिहार की जनता में भाजपा-जदयू सरकार के खिलाफ खुली नाराजगी का दिखना भी है। कांग्रेस इस चुनाव में 70 सीटों पर लड़ रही है और उसके नेताओं को पक्की उम्मीद है कि वह 30-35 के बीच सीटें हर हालत में जीतेगी।
पार्टी के एक नेता ने तहलका संवाददाता से बातचीत में कहा कि यदि टुडेज-चाणक्य जैसा नतीजा सच में आया तो कांग्रेस 45-50 सीटें भी जीत सकती है। यह माना जाता है कि यदि बिहार में जनता ने भाजपा के भी खिलाफ मत दिया होगा तो इसका सबसे बड़ा लाभ कांग्रेस को ही मिलेगा। ऐसे में उसकी सीटें आश्चर्यजनक रूप से ज्यादा हो सकती हैं। वहां कांग्रेस के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल को बहुत बेहतर चुनाव प्रबंधक माना जाता है। कहा तो यह भी जाता है कि आरजेडी, खासकर तेजस्वी यादव, को भी वे चुनाव प्रचार के दौरान सलाह देते रहे हैं और यह भी उनका ही सुझाव था कि राहुल गांधी के रोजगार वाले मुद्दे को चुनाव में मजबूती से उभारा जाए।
बिहार में आरजेडी से कांग्रेस के रिश्ते की बजह सोनिया गांधी रही हैं। यूपीए की सरकार के समय से ही, जब लालू प्रसाद यादव मनमोहन सिंह सरकार में रेल मंत्री थे, सोनिया गांधी उन्हें विशेष सम्मान देती थीं, जबकि लालू भी उनका खूब सम्मान करते थे। यही कारण रहा है कि कांग्रेस ने संकट के समय भी लालू का साथ नहीं छोड़ा। तेजस्वी राहुल गांधी को बड़ा भाई कहते हैं, जबकि सोनिया गांधी तेजस्वी को बेटे जैसा मानती हैं।
अब बिहार के नतीजे आने वाले हैं तो बेहतर की उम्मीद कर रही कांग्रेस ने अभी से तैयारी कर ली है। यदि नतीजे हक़ में आये तो निश्चित ही बिहार में बनने वाली सरकार में कांग्रेस का बड़ा रोल रहेगा। यह भी माना जाता है कि यदि कांग्रेस 35 के आसपास सीटें जीत जाती है तो उसका उप मुख्यमंत्री भी बन सकता है। हालांकि, यह भी तय है कि सोनिया गांधी के कारण कांग्रेस इसके लिए कभी तेजस्वी पर दबाव नहीं डालेगी।
अब सोनिया गांधी ने महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला और अविनाश पांडे को अपना दूत बनाकर पटना जाने को कहा है। वे नतीजों से पहले भी आरजेडी और अपने नेताओं से मिल सकते हैं।
अब जबकि सभी निगाहें 10 नवंबर पर टिकी हैं, बिहार में सभी दल अपनी-अपनी तैयारी करते दिख रहे हैं। कांग्रेस के अलावा आरजेडी भी सक्रिय हो गयी है। जानकारी के मुताबिक तीसरे चरण के मतदान के बाद बिहार सरकार के कुछ बड़े अफसरों ने तेजस्वी यादव को बधाई सन्देश भेजे हैं। इससे नतीजों का कुछ अनुमान लगाया जा सकता है।
जदयू खेमे में खामोशी है, जबकि सर्वे में बहुत सीटें नहीं लेते दिखाए गए एलजेपी के मुखिया चिराग पासवान को उम्मीद है कि उनकी सीटें 15 के आसपास तो होंगी ही। भाजपा भी नतीजों का इंतजार कर रही है। उसके नेता यह पक्के तौर पर कह रहे हैं कि 10 नवंबर को सभी एग्जिट पोल फेल हो जाएंगे। एक भाजपा नेता ने कहा कि या तो भाजपा 90 सीटें जीतेगी या फिर 40 तक सिमट जाएगी। जदयू खेमे में सबसे ज्यादा भ्रम की स्थिति है और उसके नेता सिर्फ भगवान से दुआ कर रहे हैं।