नोटबंदी के बावजूद फल-फूल रहा नक़ली मुद्रा का धंधा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 देश में जब विमुद्रीकरण की घोषणा की, तो उन्होंने कहा था कि यह फ़ैसला देश में नक़ली मुद्रा (करेंसी) की कमर तोड़ देगा। नक़ली मुद्रा तो ज्यों-की-त्यों रह गयी, पर लोगों ने ज़रूर कई महीने तक मुसीबत झेली। देश में अभी भी सरकारी एजेंसियों की नाक के नीचे नक़ली नोटों का धंधा धड़ल्ले से चल रहा है। नक़ली मुद्रा का यह रैकेट देश भर में फैला हुआ है। इसका ख़ुलासा कर रही है तहलका एसआईटी की यह रिपोर्ट :-
भारतीय रिजर्व बैंक की नवीनतम रिपोर्ट, जिसमें कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में सभी मूल्यवर्ग के नक़ली नोटों में वृद्धि हुई है; ‘तहलका’ ने नक़ली मुद्रा पर जाँच की है। जाँच में नक़ली मुद्रा रैकेट का पर्दाफ़ाश होता है, जो देश भर में फैला हुआ है। अपने बटुए में रखी नक़दी को लेकर आप भी नहीं जानते होंगे कि यह नक़ली मुद्रा हो सकती है। यानी पाकिस्तान में छपे और बांग्लादेश के माध्यम से यहाँ पहुँचे नोट। यह सब विमुद्रीकरण के बावजूद है, जिसका एक प्रमुख लक्ष्य नक़ली मुद्रा को ख़त्म करना था। निश्चित ही नक़ली मुद्रा का प्रचलन सरकार के लिए सिरदर्द बना हुआ है। जम्मू-कश्मीर के रहने वाले बशीर अहमद भट्ट, जिसने स्वीकार किया कि वह भारत में आईएसआई के लिए काम करता है; ने मुझे 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान छिपे हुए कैमरे पर नक़ली मुद्रा मार्ग के बारे में बताया। उसने बताया कि ‘यह पाकिस्तान से जुड़ा मामला है और मुद्रा बांग्लादेश से होकर आती है। वहाँ (पाकिस्तान) के मास्टरमाइंड इसे (भारतीय नक़ली मुद्रा रैकेट) चला रहे हैं। उन्होंने बांग्लादेश में टकसाल स्थापित की है।’
कहानी के दौरान, जो अब सार्वजनिक है; बशीर ने कई क़ुबूलनामे किये। यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने सन् 2019 के आम चुनाव में नक़ली नोटों की आपूर्ति की थी? बशीर ने कहा- ‘हाँ, नक़ली पैसा ग़रीब मतदाताओं के बीच शराब के लिए वितरित किया जाता है। किसी को 1,000 रुपये, किसी को 2,000 रुपये, किसी को 3,000 रुपये मिलते हैं। पार्टी एजेंट पश्चिम बंगाल से खेप उठाते हैं।’ रेट के बारे में पूछे जाने पर बशीर का जवाब था- ‘यह फिफ्टी-फिफ्टी है। एक लाख रुपये के नक़ली नोटों के लिए आपको 50,000 रुपये के असली नोट देने होते हैं।’
सन् 2019 के आम चुनाव की यह कहानी सार्वजनिक होने के बाद बशीर $गायब हो गया। आज तक हमें उसके ठिकाने के बारे में कोई जानकारी नहीं है। लेकिन भारतीय प्रणाली में अभी भी कई बशीर मौज़ूद हैं। सन् 2019 के पिछले भारतीय आम चुनावों के तीन साल बाद अब 2022 में ‘तहलका’ ने हिन्दी भाषी क्षेत्रों में ऐसे लोगों को पकड़ा, जो नक़ली नोटों का कारोबार करते हैं। इन लोगों ने न केवल विभिन्न भारतीय चुनावों, बल्कि आम जनता को अपने दैनिक जीवन को चलाने के लिए नक़ली मुद्रा नोटों की आपूर्ति की है।
हम पहली बार रोहित शर्मा से मिले, जो लम्बे समय से नक़ली नोटों का कारोबार करता है। हमसे मिलने के फ़ौरन बाद रोहित शर्मा ने हमें अपना नक़ली करेंसी एक्सचेंज रेट (नक़ली नोट लेने का भाव) बताया। उसके मुताबिक, हमें उसे 3,00,000 रुपये नक़ली नोटों के लिए 1,00,000 रुपये देने होंगे।
रोहित : एक का तीन मिलता है।
रिपोर्टर : मैं आपको एक लाख दूँगा…, एक का मतलब तीन?
रोहित : तीन लाख रुपये दूँगा मैं आपको।
रिपोर्टर : मैं एक लाख दूँगा…, आप मुझे नक़ली नोट के तीन लाख दोगे?
रोहित : हाँ।
रोहित शर्मा ने क़ुबूल किया कि चुनावों के दौरान नक़ली नोटों की माँग बढ़ जाती है और उन्हें नक़ली नोटों के ढेर सारे ऑर्डर मिलते हैं।
रिपोर्टर : अभी चुनाव में तो तुम्हारा काम बढ़ गया होगा। कितना बढ़ गया?
रोहित : अभी चालू होने वाला है। धीरे-धीरे बढ़ रहा है। बढ़ेगा थोड़ा-थोड़ा। चुनाव में ही तो ज़्यादा काम आता है।
रिपोर्टर : ज़्यादा आता है?
रोहित : हाँ।
रिपोर्टर : कौन लोग आते हैं ज़्यादा, चुनाव में?
रोहित : सांसद, विधायक के काम आते हैं हमारे पास। विधायक के चुनाव हैं अब।
रिपोर्टर : विधायक, सांसद ख़ुद आते हैं या उनके लोग आते हैं?
रोहित : लोग आते हैं उनके।
रोहित ने अब ख़ुलासा किया कि उसने एक दिन में सबसे ज़्यादा नक़ली नोटों की आपूर्ति की है।
रिपोर्टर : आपने एक दिन में सबसे ज़्यादा कितना माल
सप्लाई किया है?
रोहित : 10 लाख रुपये, एक दिन में।
रिपोर्टर : करें हैं?
रोहित : हाँ।
जब आगे बात की गयी, तो रोहित ने स्वीकार किया कि नक़ली मुद्रा की आपूर्ति देशव्यापी है।
रिपोर्टर : देश में कहाँ-कहाँ सप्लाई कर सकते हैं?
रोहित : हमारा देश बहुत बड़ा है…, कहीं भी कर सकते हैं।
रिपोर्टर : कहीं भी कर सकते हैं?
रोहित : हाँ।
रिपोर्टर : कश्मीर-दक्षिण?
रोहित : हाँ, नोट तो यहीं के हैं, कोई हॉन्गकॉन्ग का नोट तो है नहीं।
रिपोर्टर : हॉन्गकॉन्ग क्या?
रोहित : हॉन्गकॉन्ग देश का है नहीं हमारे पास।
रोहित शर्मा ने अब हमें आश्वासन दिया कि उनकी नक़ली मुद्रा बैंकों को छोड़कर पूरे भारत में काम करेगी।
रिपोर्टर : मतलब कोई पकड़ न पाये नक़ली नोट, दे रहे आप हमें?
रोहित : हमारा काम पक्का है। कान पकड़ लेना हमारा। मार्केट में कहीं भी घूम लेना। पूरे हिन्दुस्तान घूम लेना, कहीं भी।
रिपोर्टर : किस बारे में हिन्दुस्तान में घूम आएँ?
रोहित : इसी बारे में कि कहीं पर चला सकते हैं…, बैंक छोड़कर।
रिपोर्टर : नोटों के बारे में?
रोहित शर्मा ने अब नक़ली नोटों के मूल्यवर्ग का ख़ुलासा किया, जो वह हमें आपूर्ति करेगा।
रिपोर्टर : ये माल जो लेंगे आपसे, इसमें कौन-कौन से नोट होंगे?
रोहित : ये होंगे 50 के, 100 के।
रिपोर्टर : 500 का नहीं होगा?
रोहित : नहीं, बड़े माल पर शक होता है। …500 पर।
रिपोर्टर : बड़े माल पर क्या होता है?
रोहित : शक…, 500, 2000 पर शक होता है। जैसे आदमी बैंक में जाएगा।
रिपोर्टर : 500 वाले में शक ज़्यादा होता है?
रोहित : हाँ।
रिपोर्टर : 100-50 में कम होता है?
रोहित : हाँ।
हमारी माँग पर रोहित हमारे लिए भी 500 और 2,000 के नक़ली नोटों की व्यवस्था करने को तैयार हो गया।
रिपोर्टर : हमारे लिए कौन-कौन सा मँगा सकते हो?
रोहित : कौन-सा मँगाना है? बताएँ!
रिपोर्टर : 500?
रोहित : 500 मँगवा देंगे।
रिपोर्टर : 2,000?
रोहित : 2,000 का भी आ जाएगा।
रिपोर्टर : 50 और 100? वो तो आ ही जाएँगे?
रोहित : हाँ।
रोहित ने अब क़ुबूल किया कि उसने नक़ली नोटों में इतना नाम कमा लिया है कि दूर-दराज़ के लोग उससे मिलने आते हैं। लेकिन उसने इस बात पर ज़ोर दिया कि हमारे मामले में वह ख़ुद हमारे यहाँ हमसे मिलने
आये थे।
रोहित : मेरे पास लोग चले आते हैं कहाँ-कहाँ से। मैं आपके पास चलकर आया हूँ।
रिपोर्टर : लोग आते हैं?
रोहित : हाँ; पता नहीं कहाँ-कहाँ से?
रिपोर्टर : बहुत-बहुत धन्यवाद।
रोहित : मैं आपके पास चला आया हूँ।
रोहित ने स्वीकार किया कि राजस्थान के सरपंच के चुनाव में उसने नक़ली नोटों की आपूर्ति की थी।
रोहित : राजस्थान में सरपंच का चुनाव हुआ था। पैसा बहुत जाता है।
रिपोर्टर : उसका ऑर्डर आया था आपके पास?
रोहित : हाँ।
(रोहित ने बताया कि उसे राजस्थान के सरपंच चुनाव में नक़ली नोटों की आपूर्ति करने का आदेश मिला था।)
रोहित शर्मा ने अब इस नक़ली करेंसी के धंधे में शामिल लोगों की संख्या का ख़ुलासा किया और हमें अपना कमीशन भी बताया।
रिपोर्टर : तो आपका इसमें कितना कमीशन होता है?
रोहित : इसमें मेरे अकेले का नहीं है, काफ़ी लोगों का कमीशन होता है। 10 किसी के, 20 किसी के, 50 किसी के…, ऐसा होता है…। सबका कमीशन होता है।
रिपोर्टर : 10,000, 20,000 या लाख?
रोहित : हाँ, जैसे रक़म आयी, ऐसे बढिय़ा काम हो गया…। जैसे 10 लाख आयी, उसमें से लाख-लाख उठ जाती है।
रिपोर्टर : अच्छा-अच्छा, लाख आपका हो गया, लाख किसी और का होगा, मतलब चेन है पूरी?
रोहित : हाँ।
रिपोर्टर : कितने लोग हैं आपकी चेन में?
रोहित : कोई गिनती नहीं।
रिपोर्टर : बहुत सारे हैं?
रोहित : एक-दूसरे से लिंक हैं। आप से हो गयी। मुझसे हो गयी। ऐसे हो जाती है।
रिपोर्टर : आपको नहीं लगता जितने ज़्यादा लोग होंगे, उतना ज़्यादा ख़तरा है?
रोहित : नहीं, ऐसा कुछ नहीं है।
रिपोर्टर : तो आप इसी काम से पैसा कमाते हो?
रोहित : हाँ।
रिपोर्टर : महीने में कितना कमा लेते हो। लाख-दो लाख?
रोहित : हाँ, दो-तीन लाख कमा लेता हूँ।
जैसे ही रोहित शर्मा के साथ बैठक आगे बढ़ी, उन्होंने ख़ुलासा किया कि नक़ली नोट देने के लिए उन्हें एक दिन चाहिए।
रिपोर्टर : जैसे आज हम ऑर्डर करते हैं 10 लाख का, कब दे
दोगे हमें?
रोहित : आज देते हो, तो कल आ जाना।
रिपोर्टर : कल आ जाएँ?
रोहित : हाँ।
रोहित के बाद अब हम नक़ली नोटों का कारोबार करने वाले एक और शख़्स वीरपाल से मिले। वीरपाल उनके हेल्प डेस्क पर काम करने वाली आईटी कम्पनी का पूर्व कर्मचारी था। रोहित की तरह वीरपाल भी वर्षों से नक़ली करेंसी के धंधे में है। हमारे मिलने के तुरन्त बाद उसने हमें अपनी नक़ली मुद्रा दर बतायी। उसने कहा कि वह हमें एक लाख रुपये में दो लाख रुपये का नक़ली माल देगा।
वीरपाल : वहाँ से मिलेगा एक का डबल।
रिपोर्टर : कहाँ से?
वीरपाल : जहाँ से भी आएगा, वहाँ से आएगा एक का डबल।
रिपोर्टर : एक का डबल मानें तो?
वीरपाल : एक लाख के दो लाख मिलेंगे।
रिपोर्टर : एक लाख के हम असली नोट देंगे और दो लाख के आप नक़ली नोट दोगे?
वीरपाल : हाँ।
वीरपाल ने हमें सलाह दी कि चूँकि उसके सभी नक़ली नोट एक ही क्रमांक के होंगे, इसलिए हमें उन्हें किसी को भी एक बार में नहीं देना चाहिए। उसने हमें उन्हें हिस्सों में देने की सलाह दी, अन्यथा हम पकड़े जाएँगे।
वीरपाल : जो मैं आपको बता रहा हूँ, वो ही साफ़ रहेगा। नोट नक़ली आपका चलेगा मार्केट में, ये नहीं है कि अब आप एक लाख किसी को दें… वो तो पकड़ा जाएगा। आज भी, या कल भी, क्योंकि एक ही सीरियल नंबर के हैं। अगर उसने ध्यान दिया.. और ध्यान क्यों नहीं देगा…, बड़े नोट हैं। हर बंदा ध्यान देगा।
रिपोर्टर : इसमें तो ये है कि छोटे-छोटे नोट दिये जाएँ। एक साथ गड्डी दे दें?
वीरपाल : गड्डी में नहीं दे सकते। गड्डी में दि$क्क़त है।
रिपोर्टर : गड्डी में तो पकड़ा जाएगा न?
वीरपाल : पकड़ा जाएगा भाई! आप किसी को एक लाख रुपये दे रहे हों। उसमें 10,000 नक़ली मिक्स करके दे दो। 50,000 दे रहे हो तो उसमें 10,000 मिक्स कर दो।
रिपोर्टर : पूरा नहीं दे सकते?
वीरपाल : पकड़े जाएँगे आप। एक बंदे को पकड़ लिया, तो ख़त्म है कहानी।
जैसे-जैसे बैठक आगे बढ़ी, वीरपाल ने ख़ुलासा किया कि उसने दिल्ली, नोएडा और मेरठ में नक़ली नोटों की आपूर्ति की है।
रिपोर्टर : आपकी सप्लाई वैसे कहाँ-कहाँ रही है, वीरपाल जी! नक़ली नोटों की?
वीरपाल : सेक्टर-37 नोएडा में, दिल्ली के कुछ बंदे थे। मेरठ किया है। मेरठ में काफ़ी किया है। मेरठ के आसपास देवबंद पूरा उधर किया है।
वीरपाल ने कहा कि वह हमें एक हफ़्ते में छ: लाख रुपये के नक़ली नोटों की आपूर्ति कर सकता है।
रिपोर्टर : एक बार में आप कितने दे सकते हैं नोट?
वीरपाल : एक बार में क्या बताऊँ भाई… ज़्यादा के लफड़े में नहीं पडऩा…। दो-तीन लाख रुपये कर दूँगा; …तीन लाख रुपये।
रिपोर्टर : एक दिन में?
वीरपाल : आप हफ़्ते में दो बार लगा लीजिए।
रिपोर्टर : मतलब हफ़्ते में छ: लाख रुपये, नक़ली नोट?
वीरपाल : हफ़्ते में छ: लाख रुपये नक़ली के दे सकता हूँ। क्योंकि मैं इतना बड़ा रिस्क नहीं लूँगा कि मैं पैसे समेत वहाँ पकड़ा जाऊँ…। आपका तो हो गया, दुश्मन ज़िन्दगी भर का… मैं वहाँ पड़ा हुआ हूँ जेल में।
रिपोर्टर : अच्छा चुनाव चल रहा है। चुनाव की कोई माँग आयी आपके पास?
वीरपाल : मेरे पास नहीं आयी।
रिपोर्टर : उसके पास?
वीरपाल : उसके पास तो चल रहा है.., वो कहाँ $खाली बैठा है।
रिपोर्टर : चल रहा है काम उसका?
वीरपाल : वो कर रहा है अपना।
वीरपाल ने अब क़ुबूल किया कि कैसे वह और उसके दोस्त रात में नक़ली नोटों का इस्तेमाल बाज़ार में सामान ख़रीदने के लिए करते थे।
रिपोर्टर : आपका, किसी का भी नहीं पकड़ा गया? …आपका, न समीर का, न तीसरे का?
वीरपाल : पकड़ा जाता, कुछ-न-कुछ तो होता। हम शाम को चलते थे। 9-10 बजे फ्री हो जाते थे अपना। कई-कई बोरी तो सब्ज़ी हो जाती थी। गुटखे इतने हो जाते थे।
रिपोर्टर : वो ही नक़ली नोट से?
वीरपाल : हाँ।
जाली नोटों पर ‘तहलका’ की छानबीन से वह सब साबित हो जाता है, जो भारतीय रिजर्व बैंक की ताज़ा वार्षिक रिपोर्ट कहती है। विभिन्न मीडिया प्लेटफॉर्म पर छपी रिपोट्र्स के मुताबिक, वित्त वर्ष 2021-22 में सभी मूल्यवर्ग के जाली नोटों की संख्या में इज़ाफ़ा हुआ है। आरबीआई ने पिछले वर्ष की तुलना में 500 रुपये मूल्यवर्ग के 101.9 फ़ीसदी अधिक नक़ली नोट और 2,000 रुपये मूल्यवर्ग के 54.16 फ़ीसदी अधिक नक़ली नोटों का पता लगाया।
आरबीआई की इस रिपोर्ट ने विपक्षी दलों को सन् 2016 में भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के विमुद्रीकरण क़दम पर हमला करने के लिए मसाला प्रदान किया है। हमारी सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, बढ़ी हुई जालसाज़ी को पाकिस्तान से निरंतर समर्थन मिलता है, जहाँ से अधिकांश नक़ली नोट आते हैं। पड़ोसी देश का कथित उद्देश्य भारतीय अर्थ-व्यवस्था को अस्थिर करना है। सीमा पार की सुविधाओं में मुद्रित होने के बाद नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, थाईलैंड, मलेशिया और संयुक्त अरब अमीरात में अच्छी तरह स्थापित वितरण नेटवर्क के माध्यम से भारत में इसकी तस्करी की जाती है। पिछले साल चीन के रास्ते का इस्तेमाल नक़ली नोटों की खेप भारत भेजने के लिए किया गया था।
नशीली दवाओं के तस्करों और हथियारों के तस्करों के साथ-साथ संगठित अपराध गिरोह और लश्कर-ए-तैयबा और इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) जैसे आतंकवादी संगठन भी इस कमाऊ मशीन का हिस्सा हैं। वास्तव मे आईएम के यासीन भटकल सहित गिर$फ्तार आतंकवादी गुर्गों की पूछताछ से पता चलता है कि आतंकवादी समूहों ने नक़ली मुद्रा कारोबार से प्राप्त आय का उपयोग हथियारों और विस्फोटक ख़रीद, भर्ती और कैडरों की घुसपैठ जैसी अन्य विध्वंसक गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए किया है।
यह एक सर्वविदित तथ्य है कि चुनावों में पर्याप्त मात्रा में धन का उपयोग किया जाता है, जिसमें पहले से कहीं अधिक बड़े पैमाने पर नक़दी का उपयोग शामिल है। ऐसे में जब तक मज़बूत क़दम नहीं उठाये जाते, हमारी नाक के नीचे भारी मात्रा में नक़ली धन प्रचलन में रहेगा, जो अराजक आर्थिक स्थिति पैदा करेगा। इससे मुद्रास्फीति में भी बढ़ोतरी होगी।
कोई इसे मानने को तैयार हो या न हो; लेकिन सच तो यह है कि पाकिस्तान अपनी एजेंसी आईएसआई के ज़रिये भारत में विनाशकारी प्रभाव से आर्थिक उथल-पुथल मचाने पर आमादा है। राजनीतिक बातचीत जारी रह सकती है; लेकिन भारत को देश में आर्थिक स्थिरता जैसे मामलों पर अपने दृष्टिकोण में यथार्थवादी और व्यावहारिक होने की ज़रूरत है।